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गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मैं एक कमरे में कैद

मै एक कमरे में कैद मगर, बातें करता उड़ जाने की
तन्हाई में सिमटा ,चाहत ,फिर भी सबसे जुड़ जाने की

संगेमरमर का श्वेत फर्श ,है चार दीवारें ,एक छत है
एक दरवाजा ,एक खिड़की है ,बाकी क्या मुझे जरूरत है
कर लेता हूँ बस ताकझांक,बाहर की दुनिया की हलचल
मैं साधनहीन ,साधना में ,फिर भी खोया रहता हरपल
मैं जिस रस्ते पर निकल गया ,आदत ना है मुड़ आने की
मैं एक कमरे में कैद मगर बातें करता उड़ जाने की  

जो मिला उसी से पेट भरा ,पकवानो की ना चाह मुझे
दुनिया चाहे कुछ भी बोले ,ना रत्ती भर परवाह मुझे
बेतार तार की कुछ तरंग ,है जोड़ रही अपनों के संग
तन्हा हूँ पर लाचार नहीं ,मस्ती में डूबा ,मैं मलंग
तन एकाकी ,मन में हसरत लेकिन सबसे ,मिल पाने की
मैं एक कमरे में कैद मगर ,बातें करता उड़ जाने की

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
लॉक डाउन में

कबतक वक़्त गुजारें हम,उनकी जुल्फों की छाँव में
बैठे बैठे ,कूल्हे दुखते ,सूजन आई  पाँव में
कोरोना ने ऐसा हमको ,तन्हा करके बिठा दिया ,
कैद हो गए ,चारदीवारी में अपने ही ठाँव में
पहले दिनभर काम किया करते थे ,थक कर सो जाते ,
अब सो सो कर थक जाते है ,फंसे  हुए उलझाव में
मुश्किल से हो रही मयस्सर आटा दाल,चाय,चीनी ,
फल सब्जी भी मिल जाते है ,लेकिन दूने भाव में
भूल गए होटल का खाना ,आलू टिक्की और बर्गर ,
खुश है खाकर ,घर की रोटी ,खिचड़ी ,मटर पुलाव में
कामवालियां नहीं आरही ,सब मिल घर का काम करे ,
झाड़ू पोंछा,हाथ घिस रहे ,बर्तन संग घिसाव में
एक वाइरस ने जीवन का सारा रस है छीन लिया ,
मुश्किल के दिन कब बीतेंगे ,रहते इसी तनाव में
फिर भी धैर्य धरे घर बैठे  ,लड़ने महा बिमारी से ,
आज देश का मान, प्रतिष्ठा ,लगे हुए सब दाव में
दीप  जला ज्योतिर्मय करते देश बजा ताली,थाली ,
'अप 'हो रहे ,'लॉकडाउन 'में ,देशभक्ति के भाव में

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

कहाँ जाए बेचारे ?

झगडे मियां ,बीबी के ,होते है हमेशा ही ,
पर पहले ये होता था , जब बात थी बढ़ जाती
गुस्से में या तो शौहर ,जाता था दोस्तों के घर ,
या लड़ झगड़ के बीबी ,मइके को निकल जाती
पर लॉकडाउन में ये  ,सिमटे है घर के अंदर ,
होती लड़ाई है लेकिन ,बेबस है वो बेचारे
घर छोड़ने की धमकी ,कोई नहीं दे सकता ,
एडजस्ट करके रहते ,सब मुश्किलों के मारे

घोटू 

बुधवार, 1 अप्रैल 2020



अथ : श्री कोरोना  चालीसा

               दोहा
ये करनी है चीन की ,दिया करोना नाम
सारी दुनिया त्रस्त है , हुआ बुरा अन्जाम
फैल रहा चहु ओर है ,परेशान संसार
यही प्रार्थना हम करें ना अब हो संहार

             चौपाई
हे  कोरोना  ,  दुष्ट  भयंकर
सबके मन बैठे बन कर डर    
कहने को तो हो अति छोटे
पर अपनी करनी में  खोटे    
केवल आपस में छूने से
बढ़ जाते हो दिन दूने से  
ऐसी चली तुम्हारी आंधी
सबके मुंह पर पट्टी बाँधी
चीन देश में जब से प्रकटे
तुम सबकी आँखों में खटके
फैल गए अब दुनिया भर में
गाँव गाँव और शहर शहर में
सबको बहुत त्रसित कर डाला
लगा दुकानों पर सब  ताला
अब सारे बाज़ार बंद है
आना जाना ,प्रतिबंध है
भीड़भाड़ में फैल रहे तुम
खेल अनोखा खेल रहे तुम
कोई छींका ,कोई खाँसा
तुमने उसे जाल में फांसा
आता कोई अगर पास में
डर लगता है श्वास श्वास में
कितने हुए शिकार तुम्हारे
बूढ़े तुमको ज्यादा प्यारे  
परेशान  दुनिया का जन जन
 बंद फैक्टरी में प्रोडक्शन
तुम्हरी दहशत रोज बढ़ रही
खेतों में फल,फसल सड़ रही
नर नारी सब   परेशान  है
तुम्हारा क्या कुछ निदान है
घर में घुसे रहो ,बस बैठो
या टीवी देखो  या लेटो
नहीं मिलो तुम इनसे, उनसे
धोते रहो हाथ साबुन से
भूलो झप्पी ,हाथ मिलाना
नमस्कार से काम चलाना
सबके मन में बहुत त्रास है
इक्कीस दिन एकांतवास है
लोग दे रहे तुम्हे गालियां
नहीं आ रही कामवालियां
करते वो जो कभी न सोचा
साहब लगाते झाड़ू ,पोंछा
रहती थी जो हरदम बनठन
मेडम मांज रही है बरतन
जिसे किचन का काम न आये
बोलो क्या पकाये ,क्या खाये
कैसी मुश्किल आन पड़ी है
होटल भी सब बंद पड़ी है
लगते नहीं चाट के ठेले
कब तक पेट भरें ,खा केले
शहरों के मजदूर बिचारे
 भटक रहे है मारे मारे
ना रोजी रोटी ना भोजन
गावों को कर रहे पलायन
लोग चल रहे मीलों पैदल
जैसे तैसे पहुँच रहे घर
घातक बहुत वाइरस हो तुम
करते जीवन तहस नहस तुम
लाये हो इस तरह मुसीबत
सबके मन बैठे बन दहशत
सब देशों की अर्थव्यवस्था
मुश्किल में है ,हालत खस्ता
जग में फैले बन महामारी
तुम एटम बम से भी भारी
 उभरे बन कर ऐसी आफत
पतली करदी सबकी हालत
 जनमानस है दुखी बेचारा  
कब कम होगा कोप तुम्हारा
हे लघु देव , प्रार्थना हर क्षण
दिए विराट रूप में  दरशन
करो कृपा पुनः लघु रूप धर
आये सुख और शांति घर घर
तुम हो श्वास श्वास के स्वामी
कृपा करहु उर  अन्तर्यामी
विनती करें हम हाथ जोड़ कर
हमको तुम अब जाओ छोड़ कर
हम सब पर उपकार करो तुम
अब न अधिक  संहार करो तुम
यह चालीसा जो नर गाये
कोरोना  ना उसे सताये
            दोहा
कह 'घोटू ' हम दूर से ,करते तुम्हे प्रणाम
तंग करो ना ,करोना ,दे दो जीवन दान      

अथ: घोटू कवि  रचित 'करोना चालीसा ' सम्पूर्ण  




अथ : श्री कोरोना  चालीसा

               दोहा
ये करनी है चीन की ,दिया करोना नाम
सारी दुनिया त्रस्त है , हुआ बुरा अन्जाम
फैल रहा चहु ओर है ,परेशान संसार
यही प्रार्थना हम करें ना अब हो संहार

           चौपाई
कोरोना  तुम  दुष्ट  भयंकर
सबके मन बैठे बन कर डर    
कहने को तो हो अति छोटे
पर अपनी करनी में  खोटे    
केवल आपस में छूने से
बढ़ जाते हो दिन दूने से  
ऐसी चली तुम्हारी आंधी
सबके मुंह पर पट्टी बाँधी
चीन देश में जब से प्रकटे
तुम सबकी आँखों में खटके
फैल गए अब दुनिया भर में
गाँव गाँव और शहर शहर में
सबको बहुत त्रसित कर डाला
लगा दुकानों पर सब  ताला
अब सारे बाज़ार बंद है
आना जाना ,प्रतिबंध है
भीड़भाड़ में फैल रहे तुम
खेल अनोखा खेल रहे तुम
कोई छींका ,कोई खाँसा
तुमने उसे जाल में फांसा
आता कोई अगर पास में
डर लगता है श्वास श्वास में
कितने हुए शिकार तुम्हारे
बूढ़े तुमको ज्यादा प्यारे  
परेशान  दुनिया का जन जन
 बंद फैक्टरी में प्रोडक्शन
तुम्हरी दहशत रोज बढ़ रही
खेतों में फल,फसल सड़ रही
नर नारी सब   परेशान  है
तुम्हारा क्या कुछ निदान है
घर में घुसे रहो ,बस बैठो
या टीवी देखो  या लेटो
नहीं मिलो तुम इनसे, उनसे
धोते रहो हाथ साबुन से
भूलो झप्पी ,हाथ मिलाना
नमस्कार से काम चलाना
सबके मन में बहुत त्रास है
इक्कीस दिन एकांतवास है
लोग दे रहे तुम्हे गालियां
नहीं आ रही कामवालियां
करते वो जो कभी न सोचा
साहब लगाते झाड़ू ,पोंछा
रहती थी जो हरदम बनठन
मेडम मांज रही है बरतन
जिसे किचन का काम न आये
बोलो क्या पकाये ,क्या खाये
कैसी मुश्किल आन पड़ी है
होटल भी सब बंद पड़ी है
लगते नहीं चाट के ठेले
कब तक पेट भरें ,खा केले
शहरों के मजदूर बिचारे
 भटक रहे है मारे मारे
ना रोजी रोटी ना भोजन
गावों को कर रहे पलायन
लोग चल रहे मीलों पैदल
जैसे तैसे पहुँच रहे घर
घातक बहुत वाइरस हो तुम
करते जीवन तहस नहस तुम
लाये हो इस तरह मुसीबत
सबके मन बैठे बन दहशत
सब देशों की अर्थव्यवस्था
आज हो रही पत्ता पत्ता
वक़्त काट रहा जैसे तैसे
 पटरी  पर लौटेंगे  कैसे
जग में फैले बन महामारी
तुम एटम बम से भी भारी
 उभरे बन कर ऐसी आफत
पतली करदी सबकी हालत
कई हजारों को संहारा  
कब कम होगा कोप तुम्हारा
हे लघु देव , प्रार्थना हर क्षण
दिए विराट रूप में  दरशन
करो कृपा पुनः लघु रूप धर
आये सुख और शांति घर घर
तुम हो श्वास श्वास के स्वामी
कृपा करहु उर  अन्तर्यामी
विनती करें हम हाथ जोड़ कर
हमको तुम अब जाओ छोड़ कर
हम सब पर उपकार करो तुम
अब न अधिक  संहार करो तुम
            दोहा
कह 'घोटू ' हम दूर से ,करते तुम्हे प्रणाम
तंग करो ना ,करोना ,दे दो जीवन दान      

अथ: घोटू कवि  रचित 'करोना चालीसा ' सम्पूर्ण  

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