चेंज का चक्कर
मैंने पत्नी से कहा अजी सुनती हो
उसने कहा फरमाइए
मैंने कहा एक रस जिंदगी जीते जीते ,
मै बोअर हो गया हूँ ,
मुझे कुछ चेंज चाहिए
वो बोली ठीक है रोज की दाल रोटी के बदले
आज खिला देती हूँ हलवा पूरी
हमने कहा तुम बौड़म हो पूरी
खाने पीने में ही उंढेल देती हो सारा प्यार
रखती हो मेरा इतना ख्याल
पर मुझे ऐसा चेंज नहीं ,वैसा चेंज चाहिए
पत्नी बोली कैसा चेंज चाहिए
क्या मुझ बुढ़िया से मन भर गया है
जो चेंज करने को मन कर गया है
जरा अपनी उम्र देखो और देखो हालात
एक मैं ही ठीक से सम्भल नहीं पाती ,
करते हो चेंज की बात
मैंने कहा नहीं मेरी सरकार
तुम तो रोज लुटाती हो इतना प्यार
मेरी नज़र में तुम हो सबसे हसीन
पर कोई सिर्फ मीठा ही मीठा नहीं खा सकता
उसे संग चाहिए नमकीन
इसी तरह प्यार ही प्यार के साथ ,
अच्छे लगते है कभी कभी झगडे
मुझे चेंज चाहिए आओ हम थोड़ा सा लड़े
पत्नी बोली लड़ते तो हम तभी से आये है
जबसे आपसे नयना लड़ाये है
आप हमसे इतना लाड लड़ाते है
कि हम आपसे लड़ ही नहीं पाते है
हमने कहा वो तो हम ही सीधेसादे है
जो आपके प्यादे है
वरना हमारे दोस्त लोग तो ,
अपनी बीबी को इशारों पर नचाते है
आपने हमारे सीधेपन का बहुत फायदा उठाया है
क्या आपकी अम्मा ने आपको लड़ना नहीं सिखाया है
क्या वो भी आपकी तरह सीधी और स्यानी थी
वो चिल्लाई देखो जी ,अम्मा की बात मत करो ,
वो तो झाँसी की रानी थी
उनके आगे तो पिताजी क्या अच्छे अच्छे कांपते थे ,
ऐसा उनका रौब था
पूरे घरभर में उनका खौफ था
आप हमारे और आपके बीच में हमारी अम्मा को
या मायके वाले को क्यों घसीट लाते है
अपनी अम्मा की बात क्यों भूल जाते है
वो भी लड़ने में क्या थी कम
बड़ा सासपना दिखलाती थी ,
मेरी नाक में कर दिया दम
और तुम्हारी बहने याने मेरी ननदें क्या कम नकचढ़ी थी
सब की सब ,लड़ने में माहिर बड़ी थी
कितना किया करती थी मुझे तंग
वो तो मैं ही हूँ जो निभा पाई हूँ सबके संग
और तुम भी क्या कम थे हमेशा उनका ही पक्ष लेते थे
और रात को प्यार कर ,पुचकार कर ,
पाँव पकड़ कर माफ़ी मांग लेते थे
मैं अपने मायके वालों के बारे में ,
कोई भी ऐसी वैसी बात , सहन नहीं कर पाऊँगी
मै चुप नहीं बैठूंगी ,एक की सौ सुनाऊँगी
वो तो मै ही हूँ जो चाहती हूँ कि हममें ,
आपस में न कोई तनातनी रहे
और घर में शांति बनी रहे
वरना तुम तो हमेशा ही मेरा दिल तोड़ते हो
कभी झल्लाते हो ,कभी काटने को दौड़ते हो
मुझे तंग करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हो
वो तो तुम्हे हाई ब्लूडप्रेशर है और हार्ट है कमजोर
इसलिए सब सहन करके चुप रहती हूँ ,
नहीं मचाती हूँ शोर
वरना एक बार जो भड़क गयी
तो तुम्हारी हालत पस्त कर दूँगी
ठीक से बोल भी न पाओगे ,ऐसा दुरुस्त कर दूँगी
वो मेरा रोज रोज तुम्हारा रखना इतना ख्याल
और प्रदर्शित करना इतना प्यार
ये मेरा स्वभाव नहीं,तुम्हारा उपचार है
तुम हाई ब्लडप्रेशर के मरीज हो इसलिए ,
डॉक्टर की सलाह पर मेरा ऐसा मृदुल व्यवहार है
मैंने छोड़ दिया है करना क्रोध
ताकि मना सकूं करवा चौथ
क्योंकि लड़ाई पर आगयी तो पता नहीं ,
तुम कितना झेल पाओ
हमने कहा देवीजी ,हमने आपकी लड़ाई की
झलक देखली है ,अब शांत हो जाओ
आपका ये अंदाज हमें पसंद आ गया है
आज के झगड़े में तो आनंद आ गया है
पर अब हम कभी भी चेंज के चक्कर में नहीं पड़ेंगे
प्यार से ही रहेंगे और कभी नहीं झगड़ेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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