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बुधवार, 31 जनवरी 2018

दूर की सोचो 

भले तितलियाँ आये ,फुदके हजारों ,
भले सैकड़ों ही भ्रमर  गुनगुनाये 
मधुमख्खियों को न दो पर इजाजत ,
कभी भूल कर भी ,चमन में वो आये 
ये आकर के चूसेगी पुष्पों के रस को ,
दरख्तों की डालों  पर छत्ते बनेगें 
मज़ा हम महक का उठा ना सकेगें,
अगर शहद का हम जो लालच करेंगे 
इन्ही छत्तों से मोम तुमको मिलेगा ,
इसी मोम से बन शमा जब जलेगी 
कितने ही परवाने ,जल जल मरेंगे ,
बरबादियों  का सबब ये बनेगी  
इसी वास्ते आज बेहतर यही है ,
कोई मधुमख्खी यहाँ घुस न पाये 
हमेशा महकता रहे ये गुलिश्तां ,
सभी  की बुरी हम नज़र से बचाये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सर्दी की दोपहरी -बूढ़ों का शगल 

बैठ बाग़  में कुछ बूढ़े ,बतियाया करते है 
कुछ बेंचों पर लेट  धूप ही खाया करते है 
सर्दी की दोपहरी में ये अक्सर होता है,
कितने दोस्त घूमते भी मिल जाया करते है 
ऊनी टोपी से सर ढक और मफलर गर्दन पर,
स्वेटर कोट पहन कर तन गरमाया करते है 
कुछ जेबों में काजू पिश्ता और बादामें  भर ,
कोई मूंगफली,गजक रेवड़ी खाया करते है 
चार पांच छह यारो की जब महफ़िल जमती है,
हंसी ठहाको से मंजर महकाया करते है 
राजनीति,राहुल मोदी पर चर्चा होती है ,
सब ज्वलंत मुद्दों को वो सुलझाया करते है 
कुछ दादा अपने पोते को फिसलन पट्टी पर ,
खेलाते है या  झूला झुलवाया करते है 
जली भुनी सी कुछ सासों के बहुओं से झगड़े ,
अपनी हमउम्रों आगे ,खुल जाया करते है 
जैसे दिन ढलता है ठंडक बढ़ने लगती है ,
सूरज जैसे सब घर में छुप जाया करते है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 3 जनवरी 2018

नया बरस -पुरानी बातें 

इस नए बरस की बस ,इतनी सी कहानी है 
कैलेंडर नया लटका ,पर कील पुरानी  है 
महीने है वो ही बारह,लेकिन कुछ वारों ने ,
कुछ तारीखों के संग ,की छेड़ा खानी है 
सर्दी में ठिठुरना है,ट्रेफिक में फंसना है ,
होटल है बड़ी मंहगी ,बस जेब कटानी है 
 दो पेग चढ़ा कर के ,दो पल मस्ती कर लो,
सर भारी सुबह होगा ,'एनासिन'  खानी है 
बीबी से नज़र बचा ,खाया गाजर हलवा 
लग गया पता उसको अब डाट भी खानी है 
कितने ही 'रिसोल्यूशन 'नव वर्ष में तुम कर लो,
संकल्पो की बातें ,दो दिन में भुलानी है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 2 जनवरी 2018

सोमवार, 1 जनवरी 2018

नववर्ष 

कल ,
दिन बदल जाएगा 
महीना बदल जाएगा
 वर्ष बदल जाएगा 
तारीख बदल जायेगी 
कैलेंडर बदल जाएगा 
डायरी बदल जायेगी 
और तो और ,
सूरज के उगने और 
अस्त होने का,
 समय भी बदल जाएगा 
नहीं बदलेगा तो आसमान,
जो जितना विस्तृत था ,
उतना ही विस्तृत रहेगा 
और मेरा तुम्हारे प्रति प्यार ,
नए वर्ष के आ जाने पर भी,
जैसा पहले था वैसा ही रहेगा 
अक्षुण था और अक्षुण ही रहेगा 
हमेशा की तरह 
हमेशा 

घोटू 

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