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बुधवार, 23 मार्च 2016

शहीद दिवस पर नमन

भारत माता के लाल थे वे,
आजादी की थी चाह बड़ी,
भारत माता के शान में बस,
चल निकले मुश्किल राह बड़ी ।

स्वाधीनता के दीवाने थे,
गौरों का दम जो निकाला था,
नस नस में थी आग दौड़ती,
खुद को आँधी में पाला था ।

इंकलाब की आग देश में,
खुद जलकर भी लगाया था,
मूँद कर आँखें सोये थे जो,
फोड़ कर बम यूँ जगाया था ।

सच्चे सपूत थे माता के,
अपना सुख दुःख सब भूल गए,
माता की बेड़ी तोड़ने को,
हँसते फांसी में झूल गए ।

वे बड़े अमर बलिदानी थे,
फंदे को जिसने चूमा था,
मेरा रंग दे बसंती चोला पर,
मरते मरते भी झूमा था ।

आदर्श बने लाखों युवा के,
नाम है जब तक है गगन,
सिंह भगत, सुखदेव, गुरु,
है आपको शत-शत नमन ।

भगतसिंह,सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस पर शत-शत नमन । 

-प्रदीप कुमार साहनी

मंगलवार, 22 मार्च 2016

पांच तत्व की प्रतिमा -नारी

 पांच तत्व की प्रतिमा -नारी

हमार काया
को प्रभु ने पांच तत्वों से बनाया
हवा,पानी ,अग्नि ,धरती और आकाश
पर इनका आभास
नारी में होता है ख़ास
उनमे हवा तत्व है भरपूर मिलता
उनकी इजाजत के बिना ,
घर का एक पत्ता भी नहीं हिलता
अग्नि तत्व भी स्पष्ट नज़र आता है
इनके सानिध्य  से ,कोई भी ,
पत्थर से पत्थर दिलवाला इंसान पिघल जाता है
और जब ये अपने जल तत्व का जलवा दिखलाती है
तो पति की सारी कमाई ,पानी  की तरह बहाती है
जब कभी ये सजधज कर ,इतरा कर ,
आसमान में उड़ती है
तो अपने आकाश तत्व से जुड़ती है
और जो कोई इन्हे छेड़े और हरकतें करे ऊल जलूल
तो ये उसे चटा देती है ,धरा तत्व की धूल
इसीलिये मैं इस पांच तत्व की प्रतिमा से डरता हूँ
और रोज सुबह उठ कर ,
अपनी पत्नी को दंडवत प्रणाम करता हूँ
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 21 मार्च 2016

पांच तत्व की प्रतिमा -नारी

 पांच तत्व की प्रतिमा -नारी
 
हमार काया
को प्रभु ने पांच तत्वों से बनाया
हवा,पानी ,अग्नि ,धरती और आकाश
पर इनका आभास
नारी में होता है ख़ास
उनमे हवा तत्व है भरपूर मिलता
उनकी इजाजत के बिना ,
घर का एक पत्ता भी नहीं हिलता
अग्नि तत्व भी स्पष्ट नज़र आता है 
इनके सानिध्य  से ,कोई भी ,
पत्थर से पत्थर दिलवाला इंसान पिघल जाता है
और जब ये अपने जल तत्व का जलवा दिखलाती है
तो पति की सारी कमाई ,पानी  की तरह बहाती है
जब कभी ये सजधज कर ,इतरा कर ,
आसमान में उड़ती है
तो अपने आकाश तत्व से जुड़ती है
और जो कोई इन्हे छेड़े और हरकतें करे ऊल जलूल
तो ये उसे चटा देती है ,धरा तत्व की धूल
इसीलिये मैं इस पांच तत्व की प्रतिमा से डरता हूँ
और रोज सुबह उठ कर ,
अपनी पत्नी को दंडवत प्रणाम करता हूँ
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'



 

ढपोरशंख

 भाषणबाजी में अव्वल, करने धरने में शून्य अंक,
आज के नेता हो चले हैं, जैसे कि ढपोरशंख ।

रोज नए नए वादे होते, करने के न इरादे होते,
जनता को भी लिए लपेटे, इनके कई कई प्यादे होते ।

राजनीति एक दल दल जैसी, ये खुद ही बन गए पंक,
निरे निखट्टू आज के नेता, जैसे कि ढपोरशंख ।

बस चुनाव में इनका आना, जीत कर ठेंगा है दिखाना,
वादे इनको याद करा दो, पहले से तैयार बहाना ।

दल बदलू और स्वार्थ परक ये, अपनो को ही मारे डंक,
लाभ के लिए कुछ भी कर दें, हो गए ये ढपोरशंख ।

होली तो इनकी ही हो ली, इनकी ही होती है दीवाली,
असली पैसों से ये खेले, पर सारे हैं लोग ये जाली ।

मुँह बाये हम आम लोग हैं, माल खा रहे ये कलंक,
अव्वल अब मक्कारी में भी, ये नेता हैं ढपोरशंख ।

- प्रदीप कुमार साहनी

रविवार, 20 मार्च 2016

होली-रंगों का त्योंहार

 होली-रंगों का त्योंहार

        आज होली दिवस भी है,
         रंगों का  त्योंहार भी है
पर्व कल था जो दहन का
आस्थाओं के दमन का
कुटिलता के नाश का दिन
भक्ति के  विश्वास का दिन
         शक्ति के उस परिक्षण में
         जीत भी है ,हार भी है
         आज होली  दिवस भी है,
          रंगों का त्योंहार भी है
  आग  भी है, फाग भी है
जलन है  अनुराग भी है
दाह भी है,  डाह भी है
चाह भी है, आह भी है 
          अजब है संयोग देखो,
          प्यार है,प्रतिकार भी है
          आज होली  दिवस भी है,
           रंगों का  त्योंहार भी है
आज उत्सव है मदन का
पर्व है ये  मधु मिलन का
प्रीत का,मनमीत का दिन
मचलते  संगीत का दिन
         आज रंगों में बरसता,
          प्यार है,मनुहार भी है
         आज होली  दिवस भी है,
          रंगों का  त्योंहार भी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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