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शुक्रवार, 8 मई 2015

एक सलमान-दो दो ज्ञान

           एक सलमान-दो दो ज्ञान
                             १
   भले ही है ,भलामानस ,है बिरला  एक लाखों में
   बड़ा ही है दबंग दिल से ,बसा कितनी ही आँखों में ,
   नशे में क्या बुराई है ,कोई सलमान से  पूछे ,
  जमानत जो नहीं मिलती,तो होता बंद सलाखों में
                              २
लड़ाया इश्क़ कितनो से ,चलाये तीर नज़रों के ,
         किसी को मारा थप्पड़ तो ,पराई हो  गयी  कोई
बहुत सी लड़कियां गोरी,अभी भी मरती है उस पर ,
    चल रहा है अभी तक तो ,सिलसिला वो का ही वोही
बड़ा ही है दबंग बन्दा ,रंगे है सबके रंग बन्दा ,
      किसी भी काली लड़की पर ,नज़र उसने नहीं डाली
पड़ गया गलती से पीछे ,वो एक काली हिरणिया के,
             कटाये जेल के चक्कर   ,बुरी हालत बना डाली

घोटू

तब मौन हो जाता है अत्यंत आवश्यक...

मौन हो जाता है
अत्यंत आवश्यक,
तब -
जब हो गया हो
बहुत अधिक
कहना या सुनना,
जब लगने लगे कि
अब नहीं चाहते लोग
आपकी सुनना...
जब नहीं चल रहा हो
किसी पर अपना बस,
प्रतिकूल परिस्थितियों
के कारण जब
नहीं रह जाये
जीवन में कोई रस...
जब व्यथित हो चला
हो आपका मन,
जब नीरसता से भरा
हो वातावरण...
तब हो जायें शांत
तब हो जायें स्थिर
तब हो जायें उदासीन
तब हो जाये मौन...
क्योंकि -
मौन आत्मचिन्तन है
मौन आत्ममंथन है
मौन है परिमार्जन ह्रुदय का
मौन आत्मा का स्पंदन है...

- विशाल चर्चित

बुधवार, 6 मई 2015

फ्लर्टिंग

 
             फ्लर्टिंग
                   १
मज़ा लैला और मजनू सी,मोहब्बत में नहीं आता
मज़ा मियां और बीबी की ,सोहबत में नहीं  आता
चुगे या ना चुगे चिड़िया ,रहो तुम डालते दाना ,
मज़ा जो आता फ्लर्टिंग में ,कहीं पर भी नहीं आता
                           २
तुम्हारी हरकतों से वो,अगर जो थोड़ा हंसती है
कर रहे फ्लर्ट तुम उससे ,भली भांति समझती है
हंसी तो फंस गयी है वो,ग़लतफ़हमी में मत रहना ,
मज़ा उसको भी आता है ,वो टाइम पास करती है
                             ३
देख कर हुस्न मतवाला ,तुम्हारी बांछें जाती खिल
लिया जो देख बीबी ने ,बड़ी हो जाएगी   मुश्किल
जवानी देखते उसकी ,बुढ़ापा  अपना भी देखो ,
कहेगी जब तुम्हे अंकल,जलेगा फिर तुम्हारा दिल
                           ४
ये तुम्हारा दीवानापन ,ज़माना ताकता  होगा
फलूदा होगी इज्जत जो,गये पकड़े,पता होगा
बड़ा छुप छुप के मस्ती में ,इधर तुम मौज लेते हो,
उधर घर में तुम्हारे भी ,पड़ोसी झांकता होगा
                         ५
लड़कियां ना  करती  ,सीटियां यों बजाने से
रहो तुम मारते लाइन ,यूं ही पगले , दीवाने से 
मिठाई की दुकानो में ,सिरफ़ तकने से क्या होगा ,
भरेगा पेट तुम्हारा  ,रोटियां घर की  खाने से
                      ६
रहो तुम नाचते यूं ही,वो हंस हंस कर मज़ा लेगी
करोगे कोई ख्वाइश तो ,अंगूठा वो दिखा  देगी
लड़कियों को पटाने का ,बड़ा सिंपल तरीका  है,
उसे मत लिफ्ट दो बिलकुल ,वो खुद ही घास डालेगी
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सरोकार

            सरोकार

हमारी शक्शियत से,अदब से ,पढाई से ,
नहीं है,जिसको ज़रा सा भी सरोकार नहीं
उन्होंने इसलिए है किया नापसंद हमें ,
हमारे  पास में बँगला नहीं है,कार नहीं
हमारा कोई अकाउंट' फेस बुक 'में नहीं,
न ही  लेटेस्ट डिज़ाइन का पास मोबाईल
इस तरह पुराने ढचरे के कोई इन्सां संग,
जिंदगी काट नहीं पाएंगे ,होगी मुश्किल 
न तो पिज़्ज़ा ,नहीं बर्गर ,न  खाना होटल में ,
नहीं है शौक हमको महफ़िलों में पीने का
नहीं आता थिरकना  हमको डी जे की धुन पर ,
बड़ा ही दकियानूसी है तरीका जीने का
कहा हमने कि तुम आटा भी गूंध ना पाती ,
पका के घर में रोटी किस तरह खिलाओगी
एक चलता है तेज,दूसरा धीमा पहिया ,
गृहस्थी की भला गाडी क्या चला पाओगी
ऐसी शादी से तो हम अच्छे कंवारे ही है ,
ऐसी बीबी की हमें कोई भी दरकार नहीं
सिर्फ अपने ही मतलब की सोच रखती हो,
अपने घरवालों से है जिसको सरोकार नहीं

घोटू

साहसी इंसान

            साहसी इंसान

स्कूल  में पढ़ी  ,एक कविता  ,
'अबु बेन एडम 'नामक व्यक्ति की कहानी थी
बड़ी ही सुहानी थी
वो एक रात देखता है कि एक फरिश्ता ,
एक फेहरिस्त बना रहा था
खुदा जिनसे प्यार करता है,
उनके नाम गिना रहा था
अबु ने उससे पूछा ,
क्या उसमे उसका भी नाम कहीं लिखा है
फरिश्ता बोला ,
अभी तक तो नहीं दिखा है
तब 'अबु'उस फ़रिश्ते से फ़रियाद करता है
मेरा नाम उस फेहरिस्त में जरूर शामिल करना ,
जो खुदा के बन्दों से प्यार करता है
दूसरी रात उसको फिर वो फरिश्ता नज़र आया,
और अपने साथ एक नयी फेहरिस्त लाया
अबु ने देखा,नयी  फेहरिस्त में ,
सबसे ऊपर उसका की नाम था
खुदा उससे करता है प्यार ,
जो उसके बन्दों से करता है प्यार ,
ये पैगाम था
 एक रात मैंने भी सपने में देखा ,
एक फरिश्ता साहसी लोगों की ,
एक फेहरिस्त बना रहा था
और उसमे मेरा नाम ,
सबसे ऊपर आरहा था 
मैंने पूछ ही लिया ,फ़रिश्ते भाई
न तो मैंने लड़ी है आजादी की लड़ाई
न ही साहस का कोई काम किया है,
और न एवरेस्ट पर की है चढ़ाई,
नहीं कोई विशेष करतब दिखलाया 
फिर मेरा नाम इस फेहरिस्त  में ,
सब से ऊपर  कैसे आया ?
फ़रिश्ते ने समझाया
शादी करके ,पत्नी के साथ
जो बन्दा निभा ले पूरे  बरस पचास
और फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कान है
खुदा की नज़रों में ,
सबसे साहसी वो ही इंसान है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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