बिल्लो रानी
बिल्लियाँ जब है खिसयाती ,तो खम्बा नोचने लगती ,
बिल्लियाँ रोटी को लड़ती,मज़ा बन्दर उठाता है
बिल्लियाँ मार करके नौ सौ चूहे ,हज़ को जाती है,
गले में बिल्ली के घंटी ,कोई ना बाँध पाता है
कोई में तेजी बिल्ली सी,किसी की आँख बिल्ली सी ,
शेर की मौसी है और दाँव सौवां,उसको आता है
जिंदगी खेल है बस एक चूहे और बिल्ली का ,
दौड़ते दोनों है लेकिन ,पकड़ कोई न पाता है
दबे पाँवों आ बिल्ली दूध सारा , जाती है गटका,
बैर कुत्ते और बिल्ली का ,कभी भी थम न पाता है
बड़े होशियार लोगों ने,चलाया है चलन ऐसा ,
गले में ऊँट के बिल्ली, बाँध कर बेचा जाता है
कोई अफसर जो दफ्तर में ,दहाड़ा करता शेरों सा,
सामने बीबी के आ ,भीगी बिल्ली ,बन वो जाता है
बड़ी ही होशियारी से ,पति को नोचती रहती,
और 'वो' बिल्लो रानी' के,सभी नखरे उठाता है
'घोटू'
बिल्लियाँ जब है खिसयाती ,तो खम्बा नोचने लगती ,
बिल्लियाँ रोटी को लड़ती,मज़ा बन्दर उठाता है
बिल्लियाँ मार करके नौ सौ चूहे ,हज़ को जाती है,
गले में बिल्ली के घंटी ,कोई ना बाँध पाता है
कोई में तेजी बिल्ली सी,किसी की आँख बिल्ली सी ,
शेर की मौसी है और दाँव सौवां,उसको आता है
जिंदगी खेल है बस एक चूहे और बिल्ली का ,
दौड़ते दोनों है लेकिन ,पकड़ कोई न पाता है
दबे पाँवों आ बिल्ली दूध सारा , जाती है गटका,
बैर कुत्ते और बिल्ली का ,कभी भी थम न पाता है
बड़े होशियार लोगों ने,चलाया है चलन ऐसा ,
गले में ऊँट के बिल्ली, बाँध कर बेचा जाता है
कोई अफसर जो दफ्तर में ,दहाड़ा करता शेरों सा,
सामने बीबी के आ ,भीगी बिल्ली ,बन वो जाता है
बड़ी ही होशियारी से ,पति को नोचती रहती,
और 'वो' बिल्लो रानी' के,सभी नखरे उठाता है
'घोटू'