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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

नहले पर दहला

           नहले पर दहला

एक दिन  अपनी बीबी को,कहा मैंने चिढ़ाने को,
                गया हूँ मैं बहुत बोअर  ,बदलने टेस्ट जाना है
इसलिए सोचता हूँ मैं ,चला ससुराल ही जाऊं ,
                 मज़ा संग छोटी साली के ,मुझे दूना ही आना है
ससुर और सास का कुछदिन, मिलेगा लाड़  भी मुझको,
                  संग सलहज के मस्ती में,मुझे टाइम  बिताना है 
कहा पत्नी ने खुश होकर ,बताओ जा रहे कब,
                   मेरे जीजाजी को भी थोड़े दिन ,मुझ संग बिताना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                          

गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

मॉर्निग वाक

              मॉर्निग वाक

सवेरे गर्मियों की छुट्टियों में घूमते बच्चे ,
क्योंकि एक तंदुरस्ती में ,हज़ारों ही नियामत है
जवां कुछ मर्द ,महिलायें ,भी अक्सर घूमते मिलते ,
जिन्हे है फ़िक्र फिगर की,और सेहत की जरूरत है
बुढ़ापे में भी  सुबह उठ   घूमना  बेहद  जरूरी  है ,
शुगर कंट्रोल में रहती ,नहीं बढ़ता है ब्लडप्रेशर
सवेरे घूमते,दिख अगर जाते ,कुछ हसीं चेहरे ,
ख़ुशी होता है मन और तन,तरोताज़ा रहे दिन भर

घोटू  

सबसे अच्छा केरियर

          सबसे अच्छा केरियर

हमसे ये पूछा बेटे ने ,करू क्या काम लाइफ में ,
               कमाऊँ खूब पैसा और मेरा नाम  हो जाये
न तो मुझको ,पड़े करनी ,रातदिन ,रोज की मेहनत ,
               करूं थोडा परिश्रम ,जिंदगी आसान हो जाये
बात सुन कर ये बेटे की,पिताजी मुस्करा बोले ,
               कि ऐसा केरियर तो बेटे केवल राजनीति है ,
इलेक्शन  में करो तुम भागादौड़ी सिर्फ दो महीने ,
               एम पी बन गए तो उम्र भर ,आराम  हो जाये 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

मंहगा पानी

          मंहगा   पानी
दिल्ली में मंहगा हो गया है ,पानी इस कदर
मुश्किल से शुद्ध पानी , होता है  मयस्सर 
पूरा जो पानी भरवाना तो रेट अलग है ,
जाते है भरे गोलगप्पे ,आधे आजकल

घोटू 

हम और तुम

          हम  और तुम

तुम हलवे सी नरम,मुलायम ,और करारा मैं पापड़ सा,
                 खाकर देखो , पापड़ के संग ,हलवा बड़ा मज़ा देता है
तुम आलू का गर्म परांठा,और  दही मैं ताज़ा  ताज़ा ,
                 साथ दही के,गरम परांठा ,सारी  भूख मिटा  देता है
तुम मख्खन की डली तैरती ,और मैं हूँ मठ्ठा खट्टा सा,
                 मख्खन में वो चिकनापन है,जो सबको फिसला देता है
हम दोनों में  फर्क बहुत है ,हैं विपरीत स्वभाव  हमारे , 
                फिर भी तेरा मेरा मिलना ,तन मे आग लगा देता है
 
   मदन मोहन बाहेती'घोटू'                             

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