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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

वेलेंटाइन डे के हालत-दिल्ली में बरसात

     वेलेंटाइन डे के हालत-दिल्ली में बरसात

 सोचा था देखेंगे पिक्चर नयी 'गुंडे',उनके संग ,
                गुंडों से डरती  है वो,उनने मना पर कर दिया
सोचा फिर  कि साथ उनके,घूमेंगे हम पार्क में ,
                  किन्तु बारिश ने बरस कर ,ये भी ना होने दिया
रेस्तरां में पंहुचे तो पाया गज़ब की भीड़ थी ,
                   माल में पंहुचें वहाँ भी  भीड़ थी, धमाल   था
बिठा कर बाइक पर उनको ,इधर उधर भटकते ,
                    भीग कर सर्दी के मारे ,बहुत बिगड़ा हाल था
उनका मेक अप ,धुल गया और नाक भी बहने लगी ,
                     लहलहाते केश उनके चिपक  गालों पर गये
ऐसे वेलेंटाइन डे ,हमने मनाया आज का,
                      दिल के सब अरमां संजोये,आँसुवों में बह गये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

बुढ़ापा-अहसास उम्र का

        बुढ़ापा-अहसास उम्र का

अबकी कड़कड़ाती ,ठिठुरन  भरी सर्दी के बाद ,
मुझे हुआ अहसास
कि बुढ़ापा आ गया है पास
सर्दी में केप और मफलर में ,
रहते थे ढके
सर के सब बाल सफ़ेद होकर थे  पके
और जब  सर्दी गयी और टोपी हटी ,
तो मन में आया खेद
क्योंकि मेरे सर के बाल ,
सारे के सारे हो गये थे  थे सफ़ेद
 और सर की सफेदी ,याने बुढ़ापे का अहसास
मुझे कर गया निराश
और मैंने झटपट अपने बालों पर लगा कर खिजाब
कर लिया काला
सच इस  कालिख का भी ,अंदाज है निराला
आँखों  में जब काजल बन लग जाती है
आँखों को सजाती है  
कलम से जब कागज़ पर उतरती है
तो शब्दों में बंध  कर,महाकाव्य रचती है
श्वेत बालों पर  जब लगाई जाती है
जवानी का अहसास कराती है
बच्चो के चेहरे पर काला टीका लगाते है
 और बुरी नज़र से बचाते है
मगर ये ही कालिख ,जब मुंह पर पुत  जाती है
बदनाम कर जाती है
तो हमारे सफ़ेद बालों पर जब लगा खिजाब
उनमे आ गयी  नयी जान  ,
 और हम  अपने आपको समझने लगे जवान
पर हम सचमुच में है कितने  नादान 
क्योंकि ,बुढ़ापा या जवानी ,
इसमें कोई अंतर नहीं खास है
ये तो सिर्फ ,मन का एक अहसास है
अगर सोच जवान है ,तो आप जवान है
और सर पर के काले बाल
ला देतें है आपको जवान होने का ख्याल
तो अपने सोच में जवानी का रंग आने दो
और जीवन में उमंग आने दो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

हम नेता हैं

         हम नेता हैं

हम नेता है,हम न किसी के सगे हुए है
जोड़ तोड़ कर ,बस कुर्सी से टंगे  हुए है
जनता के सेवक खुद को तो  कहते है पर,
खुद अपनी ही सेवा में हम लगे हुए है
मीठी मीठी बातें कर सबको बहलाते,
क्योंकि चाशनी में असत्य की पगे हुए है
आश्वासन की लोरी सुन ,सोती है जनता ,
और हम उसको ,थपकी देते ,जगे हुए है
हम भी तो है,इस जंगल के रहनेवाले ,
है तो वो ही सियार ,मगर हम रंगे  हुए है
लाख कोशिशें करते जनता को ठगने की,
पर सच ये है,हम  अपनों से ठगे  हुए है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सरस्वती वंदना

          सरस्वती वंदना

भावना के प्रसूनों से ,गुंथी उज्जवल,श्वेत माला 
अलंकारों से हुआ है   रूप आभूषित निराला
श्वेत वाहन,हंस सुन्दर ,श्वेत पद्मासन तुम्हारा
श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित ,दिव्य सुन्दर रूप प्यारा
हाथ में वीणा लिए माँ,तुम स्वरों की सुरसरी हो
बुद्धि का भण्डार हो तुम,भावनाओं से भरी  हो
भक्त,सेवक मैं तुम्हारा ,मुझे ,आशीर्वाद दो माँ
प्रीत दो,संगीत दो और ज्ञान का परशाद  दो माँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

         एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

यूं ही गुमनाम से आये हो,चले जाओगे ,
                        करो कुछ ऐसा कि कुछ नाम कमा लो यारों
कौन कहता है कि टी वी पे नहीं छा सकते ,
                        एक  जूता तो  किसी नेता  पे उछालो    यारों 
बड़ी मुश्किल से ये मानव शरीर पाया है,
                         हसरतें मन की अपनी ,सारी निकालों यारों
वैसे लड़ना तो बुरी बात है सब कहते है ,
                          नाम करना है तो चुनाव लड़  डालो यारों      
करो अफ़सोस नहीं,हार जीत चलती है,
                            भड़ास मन की तुम बीबी पे निकालों यारों
लोग ठगते है सब ,औरों को टोपी पहना कर ,
                              बदल के टोपी खुद ही पैसा कमालो यारों
एक के साथ ही निष्ठां की नहीं जरुरत है,
                              माल जो दल दे उसे ,अपना बना लो यारों
जिंदगी सुख से जो जीना है,जुगाड़ी बन कर,
                               निकालो काम ,अपनी गाडी धका लो यारों  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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