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शनिवार, 23 नवंबर 2013

मै हूँ उल्लू

      मै  हूँ उल्लू

मै लक्ष्मी जी का वाहन हूँ ,लोग मुझे कहते है उल्लू
लक्ष्मी जी की पूजा करते ,मुझसे झटकाते  है पल्लू
दिन भर पति के पाँव दबाती ,लक्ष्मी जी,पति के सोने पर
जहाँ ,जिधर जाना होता है,निकला करती,रात होने पर
इसीलिये उनको तलाश थी ,चाह  रही थी वाहन  ऐसा
जिसे रात में ही दिखता हो,जो उल्लू हो,मेरे  जैसा
जब से उनने मुझको पाया ,उनकी सेवा में,तत्पर मै
लिया न उनका कोई फायदा,अब भी रहता उजड़े घर में
समझदार यदि जो मै होता,उनको ब्लेकमेल  कर लेता
वो सबको ,इतना कुछ देती ,मै भी अपना घर भर लेता
पर यदि मैं ऐसा कुछ करता ,वो निकाल देती सर्विस से
मेरा नाम जुड़ा लक्ष्मी संग ,मैं बस खुश रहता हूँ इससे
मैं कितना  भी उल्लू हूँ पर ,मेरे मन में एक गिला है
मुझको नहीं ,लक्ष्मी संग में ,कभी उचित स्थान मिला है
सभी देवता और देवी संग ,पूजे जाते हैं वाहन भी 
विष्णुजी के साथ गरुड़ जी,शिवजी के संग जैसे नंदी 
सरस्वती जी,हंस वाहिनी,शेरोंवाली  दुर्गा माता
किन्तु लक्ष्मी ,साथ मुझे भी,कभी ,कहीं ना पूजा जाता
लेकिन समझदार बन्दे ही,जाना करते परम सत्य है
वाहन या वाहन चालक का ,दुनिया में कितना महत्त्व है
मुझको अगर रखोगे फिट तुम,काम तुम्हारे आ सकता हूँ
तुम्हारे घर भी लक्ष्मी को,गलती से पहुंचा सकता हूँ
मैं भी परिवार वाला हूँ, भले नहीं खुद लाभ उठाता
अपने भाई बंधुओं के घर ,लक्ष्मी जी को ,मैं पहुंचाता
अब इतना उल्लू भी ना हूँ,लोग भले ही समझें लल्लू
मैं लक्ष्मी जी का वाहन हूँ,लोग मुझे कहते है उल्लू

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

क्रोध


            क्रोध
देखो गुस्से में क्या क्या क्या ,कर देता इंसान
ले लेता  है जान किसी की ,ले लेता है जान
कभी कूद जाता है छत से ,यूं ही परेशानी में
कभी छलांग लगा लेता है ,गंगा के पानी में
कभी नोचता बाल स्वयं के ,मार पीट है करता
बीबी,बच्चे,घरवालों पर ,रहता व्यर्थ बिगड़ता
कभी डाल कर केरोसिन है खुद को आग लगाता
शिशुपाल की तरह गालियां देता,सर कटवाता
हानि लाभ और यश अपयश तो,होता प्रभु के बस है
फिर भी क्रोध किया करता क्यों,हो जाता बेबस है
वो क्यूँ,कैसे और क्या करता ,होंश नहीं रहता है
और बाद में पछताता है ,पीड़ाएं सहता  है
क्रोध बड़ा दुश्मन मानव को कर देता हैवान
देखो गुस्से में क्या क्या क्या ,कर देता इंसान
(ऑरेंज काउंटी में हुए हादसे के सन्दर्भ में -भगवान
अंकुर गुप्ता ,सारिका और पार्थ की आत्मा को शांती
प्रदान करे और उनके परिवार को इस कुठाराघात की
पीड़ा सहने की शक्ती प्रदान करे )
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

शहनाइयां और बेंड

     शहनाइयां और बेंड

पहले ,जब होती थी शादियां
तब बजा करती थी शहनाइयां
और शादीशुदा जिंदगी में जीवनभर
गूंजते थे ,शहनाई के मधुर स्वर
पर, आजकल ,शादियों में,
 बेंड बजा करता है
और आदमी का जीवन भर
बेंड बजा करता है
घोटू

अंगरेजी -क्षणिकाए

     अंगरेजी -क्षणिकाए
                  १
      अंग्रेजी चक्कर
अंगरेजी चक्कर में,
संस्कार 'फेड'हुए
जीवित माँ ,बनी 'ममी '
पिताजी 'डेड'हुए
              २ 
            हाय
पड़ोसी लड़के से ,
हाय,हाय करती लड़की ,
प्यार में इतना पगलाई ,
उसके संग भग गयी
घरवाले बोले ,
हाय,हमारी बेटी को ,
किसकी हाय लग गयी
                ३
          पॉटी
अंगरेजी परिपाटी
पॉट पर बैठ कर ,करो तो 'पॉटी  '
मगर आजकल देशी लोग ,
जो लोठा ले जंगल जाते है
उसे भी 'पॉटी 'बतलाते है
                ४
             बाथरूम 
छोटा बच्चा चिल्लाया
मम्मी ,बाथरूम आया
बाथरूम अचल था
बच्चा बेकल था
मम्मी आयी और हुई लालपीली थी
बच्चे की चड्डी गीली थी
                ५
         परमोशन
एक पड़ोसन से बोली ,दूसरी पड़ोसन
आज तुम्हारे पति  जी ,हैं घर पर
क्या बीमार  है,गए नहीं दफ्तर
पड़ोसन बोली, नहीं ,कोई खास बात नहीं,
तबियत तो है ठीक,हुए है,पर 'मोशन '
दूसरी बोली ,मिठाई खिलाओ ,
मुबारक हो पति जी का परमोशन
                   ६
       लेट आउंगा
मातहत ने साहब को फोन किया ,
आज ट्रेन से आरहे है बच्चे ,बीबी साथ ,
मै ज़रा लेट आउंगा
अगर आपकी परमोशन पाउँगा
साहब ने जबाब दिया गुस्से में  थे 
अगर लेटना ही है ,
तो छुट्टी क्यों नहीं ले लेते 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

विवाह -क्षणिकाएं

          विवाह -क्षणिकाएं
                      १
      चूड़ियाँ
उनके प्यार का स्क्रू ,
एक एक चूड़ी ,चढ़,
दिल पर चढ़ गया ,
एक दम टाइट हो है
उनके हाथों में ,
नौ नौ चूड़ियाँ जो है
                 २
      अंगूठी
'रिंग सेरेमनी '
ये प्रथा है अनूठी
शादी के रिश्ते को,
'ओ'रिंग 'की तरह
'सील' करके रखती है,
सगाई की अंगूठी
                    ३
    वरमाला
वर ने वधू  को,वरमाला पहना दी
क्योकि फूलों की थी ,
वधू  ने ,वैसी ही ,दूसरी लौटा दी
अबकी बार वर ने,
वधु के गले में ,
सोने का मंगलसूत्र डाल दिया 
सोने को देख वधू  ने
यह प्रक्रिया नहीं दुहराई ,
इस तरह सोने ने ,
दोनों को एक सूत्र से बाँध दिया
              ४
        सोचो ,समझो और करो
एक विवाह के अवसर पर
एक बुजुर्ग बाँट रहे थे ,एक पुस्तक ,मित्रवरों!
'सोचो,समझोऔर करो,
                 ५
         खरबूजा
प्यार किया उसने
या प्यार किया तुमने ,
एक समझदार ने ये बूझा
कटा तो खरबूजा
                 ६
         अंदाज
समझदार लड़के
पहले लड़की का मुंह नहीं ,
पैर देखते है झुक के
लोग समझते है शरमीले है,
पर उनका अंदाज है जुदा
पैरों की  उँगलियों में ,बिछुवा को देख कर ,
पहले ही जान लेते है ,
कंवारी है या शादीशुदा
                 ७
             मांग
एक समझदार,
 कंवारी लड़की ने
रचाया ये  स्वांग
भरली अपनी मांग
मन में ये विचार के
शादीशुदा पर लड़के ,
लाइन नहीं मारते

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

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