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मंगलवार, 19 नवंबर 2013

घर घर की कहानी

     घर घर की कहानी

रहो मिल ,बन दूध ,पानी
जिंदगी होती    सुहानी
दूध ही  कहलाओगे तुम
काम में आ जाओगे तुम
तेल,पानी सा न बनना 
कभी भी होगा मिलन ना
तैरते   ही  रहोगे  पर
अलग  अलग ,लिए स्तर
काम कुछ भी आओगे ना
मिलन का सुख पाओगे ना
प्यार हो जो अगर सच्चा
साथ रहना तभी अच्छा
एक में जल भाव जो है
एक तेल स्वभाव  जो है
साथ  ये  बेकार का  है
बस दिखावा  प्यार का है
भिन्न हो विचारधारा
मेल क्या होगा तुम्हारा
अलग रहना ही सही है
क्योंकि सुखकर बस यही है
अलग निज पहचान तो है
आप आते काम तो है
भले ना सहभागिता है
स्वयं की उपयोगिता है
बात यूं तो   है  पुरानी
किन्तु घर घर की कहानी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आ गया चुनाव है

       आ गया चुनाव है

मुफलिसी और बदनसीबी ,झेलना मुश्किल बहुत 
अगर झगडालू हो बीबी,   झेलना  मुश्किल बहुत
भूख,बदहाली ,गरीबी,    झेलना  मुश्किल बहुत
आधासीसी हो या टी बी ,झेलना  मुश्किल बहुत
                          झूंठे वादे और भाषण ,झेल अब ना पाएंगे
                           मीठी बातें,आश्वासन,झेल अब ना पाएंगे
                        चीर खींचे जो दुःशासन ,झेल अब ना पाएंगे
                        भ्रष्ट हो ,ऐसा कुशासन , झेल अब ना पाएंगे
रोज के   आरोप,  प्रत्यारोप में क्या रख्खा है
कोल माईन या कि बोफोर तोप में क्या रख्खा है
रोज की झूंठी दिलासा  ,होप  में क्या   रख्खा है
इस तरह नाराजगी और कोप में क्या रख्खा है
                          बहुत हैं हम चोंट खाये,  आ गया चुनाव है
                           बदल डालें व्यवस्थाएं ,आ गया चुनाव है
                          नहीं भ्रष्टों को जिताएं  ,आ गया  चुनाव है
                          नयों को भी आजमाएं ,आ गया चुनाव है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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Dear Friend,

I got your contact from a business directory and I decided to contact you for a business proposal
with my company.

My company (Lasol Pharmaceutical Company.) is into manufacturing of pharmaceutical materials. There are
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materials and issue him an Official Purchase Order to source the materials for my company in India.

The business is risk free and the profit margin is very high, we will share the profit between us in any successful transaction.

If you have the capacity and interest to handle the business, kindly contact me for more details.contact@lasolpharma.com


Thanks & Regards,
Dr.Peter Wirtz

सोमवार, 18 नवंबर 2013

रजाई-मन भायी -सर्दी आयी

       रजाई-मन भायी -सर्दी आयी

अभी तक हम ओढ़ते थे चादरें
आयी सर्दी,चादरें ,उससे  डरें
कुछ दिनों कम्बल का ही सम्बल रहा
पर नहीं अब कम्बलों में बल रहा
पड़ी जबसे ,सर्दियों की ग़ाज है
आजकल बस रजाई का राज है
नरम ,सुन्दर,मुलायम और मखमली
ओढ़ने में बहुत लगती है भली
उष्मा का संचार ये तन में करे
सदा जिसमे दुबकने को मन करे
कितनी है नरमाई इसके तन भरी
सर्दियों में रात की ये सहचरी
मज़ा आता इसे तन पर ओढ़ कर
जी नहीं करता है जाओ छोड़ कर
पहलू में निज बाँध ये लेती हमें
शयन का भरपूर सुख देती हमें
सर्दियों की होती  खुश नसीबी है 
एक रजाई और संग में बीबी है
जब भी आते इनके हम आगोश में
सच बता दें,नहीं रहते होंश में
इस तरह से ,रजाई मन भाई है
आजकल गरमाई ही गरमाई है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

चुनाव-तीन क्षणिकाएं

          चुनाव-तीन क्षणिकाएं
                        १
          चुनाव
       चूना  या नाव
जिसे' नाव' याने 'बोट' मिलते है
उसका बेड़ा हो पार  जाता है
और उसे 'चूना' लगता है ,
जो बाजी हार जाता है
                     २
चुनाव ,एक शादी है
जिसमे दुल्हन एक ,और कई प्रत्याशी है
और दुल्हन किसको बनाएगी वर
इसका निर्णय करते है 'वोटर'
जो सारे होते बाराती है
                    ३
जब भी कोई दल ,सत्ता में आता है
उस प्रदेश या देश के वृक्ष पर ,
अमर बेल की तरह छा जाता है
अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए ,
वृक्ष को सुखाता है
और खुद हराभरा होकर ,फैलता जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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