इलेक्शन आ गया
लगी बिछने खेल की है बिसातें,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
अपने अपने मोहरे सब सजाते ,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
सत्ताधारी गिनाते उपलब्धियां ,
और विरोधी दलों को है कोसते
अपनी नाकामयाबियों का ठीकरा ,
सब विपक्षी दलों पर है फोड़ते
घोषणा पत्रों में देखो सब के सब,
मुंगेरी सपने तुम्हे दिखलायेंगे
काम छांछट साल में कुछ ना किया ,
पांच सालों में वो कर दिखलायेंगे
एक दूजे को है देते गालियां ,
खींचते एक दूसरे की टांग है
वोट की मछली पकड़ने के लिए ,
धरते बगुले भगत जी का स्वांग है
कहीं पर है खेल जातिवाद का ,
धर्म पर दंगे कहीं करवा रहे
राजनिती का खुला हम्माम है ,
सभी नंगे नज़र हमको आ रहे
बांटते है खुल्ले हाथों हर तरफ ,
मिठाई आश्वासनों की लीजिये
जोड़ कर के हाथ सब विनती करें,
वोट अबकी बार हमको दीजिये
बाद में रंग अपना असली दिखाते,
रंग बदलने का है मौसम आ गया
लगी बिछने खेल की है बिसाते ,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
लगी बिछने खेल की है बिसातें,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
अपने अपने मोहरे सब सजाते ,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
सत्ताधारी गिनाते उपलब्धियां ,
और विरोधी दलों को है कोसते
अपनी नाकामयाबियों का ठीकरा ,
सब विपक्षी दलों पर है फोड़ते
घोषणा पत्रों में देखो सब के सब,
मुंगेरी सपने तुम्हे दिखलायेंगे
काम छांछट साल में कुछ ना किया ,
पांच सालों में वो कर दिखलायेंगे
एक दूजे को है देते गालियां ,
खींचते एक दूसरे की टांग है
वोट की मछली पकड़ने के लिए ,
धरते बगुले भगत जी का स्वांग है
कहीं पर है खेल जातिवाद का ,
धर्म पर दंगे कहीं करवा रहे
राजनिती का खुला हम्माम है ,
सभी नंगे नज़र हमको आ रहे
बांटते है खुल्ले हाथों हर तरफ ,
मिठाई आश्वासनों की लीजिये
जोड़ कर के हाथ सब विनती करें,
वोट अबकी बार हमको दीजिये
बाद में रंग अपना असली दिखाते,
रंग बदलने का है मौसम आ गया
लगी बिछने खेल की है बिसाते ,
ऐसा लगता है इलेक्शन आ गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'