तुमने ऐसी आग लगा दी
मै पग पग रख ,धीरे चलती
तुम चलते हो जल्दी ,जल्दी
मै बस चार कदम चल पायी,और तुमने तो दौड़ लगा दी
मंद आंच सी, मै हूँ जलती
और तुम तो हो लपट दहकती
तुमने अपनी चिंगारी से ,तन मन में है आग लगा दी
ऊष्मा है तो मेघ उठेंगे
घुमुड़ घुमुड़ कर वो गरजेंगे
रह रह कर बिजली कड़केगी ,
तप्त धरा पर फिर बरसेंगे
बहुत चाह थी मेरे मन की
भीगूं रिमझिम में सावन की
लेकिन तुम तो ऐसे बरसे,प्रेम झड़ी ,घनघोर लगा दी
मै बस चार कदम चल पायी,और तुमने तो दौड़ लगा दी
मै हूँ पानी,तुम हो चन्दन
हम मिल जुल ,करते आराधन
तुम घिस घिस इस तरह घुल गये
महक गया तन मन का आँगन
चाहत थी तन में खुशबू भर
चढूँ देवता के मस्तक पर
तुम को अर्पित करके सब कुछ,जीवन की बगिया महका दी
मै बस चार कदम चल पायी ,और तुमने तो दौड़ लगा दी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अपना सही पता दे......
-
तू आसमां में हैलेकिन अपनासही पता दे।कौन जात है तेरीधर्म क्याभाषा और अपनाकरम
बता दे।हर कोई अपनी तरह पूजता।कोई सुंदर कोई कुरूप बूझता।मावस की रात मेंकहां
चांद...
5 घंटे पहले