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रविवार, 10 फ़रवरी 2013

मेरा घर

शाहजहानाबाद के दिल में बसा
सुकून-ओ-अमन-चैन से परे 
शोरगुल के दरमियाँ
एक दिलकश इलाके में
एक उजडती बेनूर पुरानी हवेली
दीवारों पर बारिश के बनाये नक़्शे 
इधर उधर पान की पीकों की सजावट
और मेरे माज़ी की यादें इधर उधर
काई बनकर हरी हो रही हैं रोज़
एक जानी पहचानी सी ख़ामोशी
वो अंधेरों में भी गुज़रते सायों का एहसास
गमलों के पौधों के पत्तों के बीच
चहल कदमी करते चूहे
जगह जगह फर्श पर जंगली कबूतरों की बीट की सजावट
इन सबके बीच 
छोटा सा टुकड़ा आसमान का
और उस आसमान में
पिघलते काजल सी सियाह रात का कोना पकडे 
बादलों के बीच से गुज़रता चाँद
पहले भी ऐसे ही आता था मेरे घर
बारिश के बाद की मंद गर्मी में
छज्जे पर खड़े 
मैं 
यूँ ही ख्वाब बुना करता था
दीवारों से लिपटे पीपल के
दरीचों के साए में
तुम्हे भी याद किया करता था
सर्दियों की सीप सी सर्द रातों में
नर्म दूब के बिछोने पर
अक्सर मेरा जिस्म तपा करता था
तेरे जाने से भी कुछ नहीं बदला था
तेरे आने से भी कुछ नहीं बदला है
आज फिर रात भी वही है
और चाँद भी वही आया है
और आज भी वही तपिश 
सीने में जल रही है
मैं वीरान घर के बरामदे में
खामोश खड़ा
महसूस करता हूँ
वोह तेरे आगोश की तपिश
सहर होने तक
और बस यूँ ही
बन जाते हैं यह आसमानी सितारे 
सियाह रात की कालिख में जड़े सितारे
लफ्ज़ बन उठते हैं अपने आप
लिख जाते हैं हर रात एक कविता
मेरे दिल का हाल 
यही है मेरे दिल की दास्तान 
यही है मेरे दिल की दास्तान

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

वेलेन्टाइन सप्ताह आरम्भ

वेलेन्टाइन  सप्ताह आरम्भ

                   1
इश्क हो या प्यार हो या मोहब्बत कुछ भी कहो,
प्रेम के हर नाम में ,आधा अधूरा  हर्फ़   है
लैला मजनू की कहो या   सोहनी महिवाल की,
दास्ताने पुरानी ,इतिहास में अब  दर्ज है
हीर रांझा ,और कितने आशिकों की जोड़ियाँ,
बेपनाह जिनमे मोहब्बत थी ,मगर मिल ना सके ,
इसका कारण था कि इनमे हर किसी के नाम में,
हर्फ़ थे पूरे सभी, कोई न  आधा  हर्फ़  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

राजा राम का दरबार

सबसे ज्यादा

            सबसे ज्यादा

सर्दी में सर्दी पड़ती है सब से ज्यादा 
गर्मी में गर्मी पड़ती है सबसे  ज्यादा
हर मौसम का मज़ा ,उसी मौसम में आता
बारिश में बारिश पड़ती है सब से ज्यादा 
बारिश बाद बहुत होती है जब बीमारी,
सब से ज्यादा ,खुश होते है ,तभी डॉक्टर
दीवाली पर मिठाई की दूकानों में,
सबसे ज्यादा भीड़ लगाते ,कई कस्टमर
सबसे ज्यादा शहद बना करता बसंत में ,
सब से ज्यादा च्यवनप्राश बिकता सर्दी में
सबसे ज्यादा छतरी बिकती है बारिश में ,
धोबी परेशान ज्यादा दिखता    सरदी में
सब से ज्यादा आइसक्रीम लुभाती मन को,
जब होता है गरम गरम मौसम गर्मी का
गरमा गरम पकोड़ी भाती है बारिश में,
सर्दी में गाजर का हलवा ,देशी घी का
सबसे ज्यादा आशिक खुश होते सर्दी में,
क्योंकि दिन छोटे होते और लम्बी रातें
सबसे ज्यादा,पति घबराता है बीबी से,
दुनिया में सबसे लम्बी ,औरत की बातें
एक बरस में ,पंदरह दिन,बस श्राद्ध पक्ष के ,
पंडित जी है सबसे ज्यादा मौज मनाते
तीन,चार यजमानो के घर भोजन करते ,
और दक्षिणा भी अच्छी खासी  पा जाते
सबसे अच्छा ,मुझे फरवरी महिना लगता ,
पूरी तनख्वाह ,काम मगर बस अठ्ठाइस दिन
जब चुनाव का मौसम आने वाला होता ,
सबसे ज्यादा ,तब नेताजी,देते दर्शन
सबसे ज्यादा प्यार जताती है पत्नी जी ,
पहली तारीख को,जिस दिन मिलती पगार है
सबसे ज्यादा खुश होते स्कूल के बच्चे,
छुट्टी मिलती,टीचर को  आता बुखार है
कभी आपने सोचा भी है ,इस जीवन में,
जाने क्या क्या ,कब कब होता ,सबसे ज्यादा
कई बार देते तुमको दुःख  सबसे ज्यादा ,
जिनको आप प्यार करते है सबसे ज्यादा

मदन मोहन बाहेती'घोटू '
 

मेरा दिल कमजोर हो गया

             मेरा दिल कमजोर हो गया
तब भी था कमजोर हुआ जब देखा पहली बार तुम्हे
होकर पागल दीवाना सा ,ये कर बैठा  प्यार  तुम्हे
ऐसी डोर बंध गयी फिर तो,तुम्हारे संग नातों में
पड़ जाता कमजोर बिचारा ,तुम्हारी हर  बातों में
इतना तुमने प्यार जताया ,मन आनंद विभोर हो गया
                                    मेरा दिल कमजोर हो गया
फिर बच्चों की जिद या हठ का,इस पर इतना जोर पड़ा
कभी प्यार से या गुस्से से ,ये हरदम  कमजोर  पड़ा
दफ्तर में साहब की घुड़की ,इस दिल को धड़काती  थी
सीमित साधन और बढती मंहगाई  इसे सताती थी
अब तो देखो  ये विद्रोही बनकर के  मुंहजोर   हो   गया
                                      मेरा दिल कमजोर हो गया
धीरे धीरे ,साथ उमर के ,आई ऐसी    कमजोरी
सांस फूलने लग जाती है,करने पर मेहनत  थोड़ी 
डोक्टर ने चेकिंग की और बतलाया कारण मुश्किल का
रक्त प्रवाह हो गया है कम ,तुम्हारे नाजुक   दिल का
बढती उमर ,परेशानी का,अब कुछ ऐसा दौर हो गया
                                      मेरा दिल कमजोर  हो गया

मदन मोहन बहेती'घोटू'
    

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