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मंगलवार, 1 नवंबर 2011

जिस क्यारी से की यारी,वो क्यारी फिर क्यारी न रही
जिस डाली पे नज़र डाली,वो डाली फिर डाली  न रही
जिस गुलशन में हम पहुँच गये,कुछ गुल न खिले नामुमकिन है,
जिस महफ़िल के मेहमान हुए,वो महफ़िल फिर खाली न रही

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अगज़ल ----- दिलबाग विर्क



     माना  कि  जुदाई  से  गए  थे  बिखर  से  हम 
     नामुमकिन तो था मगर, संभल गए फिर से हम. 
                           साहित्य सुरभि  


                         * * * * *

चंदा

चंदा
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किसी अच्छे कार्य के लिए,
या किसी आयोजन के लिए
किसी पूजा के लिए,
या किसी की सहायतार्थ,
जब कोई धनराशी,
विभिन्न लोगों से मांग मांग कर,
एकत्रित की जाती है,
उसे चन्दा कहते है
पर क्या आपने कभी ये सोचा है,
इसे चंदा ही क्यों कहते है?
सूरज ,सागर,सरिता या बादल क्यों नहीं कहते?
चन्दा,
सूरज से रौशनी उधर मांग,
दुनिया भर को शीतल उजाला देता है
और  इसी परोपकार में,लगा ही रहता है
इसी तरह ,लोगों से मांग मांग,जो राशी ,
परोपकार की आयोजन में लगाई जाती है ,
चन्दा कहलाती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'












रविवार, 30 अक्तूबर 2011

हड्डियाँ और दांत

(मेडिकल कविता )
हड्डियाँ और दांत 
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डाक्टर बताते है
बच्चा जब पैदा होता है,
उसके शारीर में 350  हड्डियाँ होती है,
पर जैसे जैसे उमर बढती है
हड्डियाँ जुडती है
आदमी में बदलाव आता है
हड्डिय मजबूत होती है,
और उनमे जुडाव आता है
हड्डियाँ और आदमी ,
दोनों हो जाते है सख्त
और बचपन की 350 हड्डियाँ,
बड़े होने पर,206 ही रह जाती है फ़क्त
और इसी तरह बचपन में,
आदमी के जबड़े में,
छुपे होते है बावन दांत
इनमे से बीस,जो हड़बड़ी में होते है,
जल्दी निकल जाते है
पर पांच सात बरस में टूट कर  गिर जाते है
ये दूध के दांत कहलाते है
पर बाकि के बत्तीस दांत,
जो धीरज रखते है
धीरे धीरे निकलते है
और पूरी उमर चलते है
हमारे शरीर के ये अंग,
हमें बहुत कुछ सिखाते है
हड्डियाँ जुडाव की ताकत बताती है,
और दांत धीरज की महत्ता बताते है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

इस दीपावली पर

इस दीपावली पर
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कोई  के घर आये लक्ष्मी पद्मासन में,
कोई के घर अपने प्रिय वाहन उल्लू पर
मेरे घर पर लेकिन आई लक्ष्मी मैया,
एक नहीं,दो नहीं,तीन इक्कों पर चढ़ कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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