काश तुम समझ पाते,
कि जब चुना था तुम्हें,
तो कितना विश्वास था तुमपे,
अच्छा जँचे थे तुम;
बेहतर लगे थे सबसे,
सबसे सच्चे भाते,
बहुत आस था तुमसे,
काश तुम समझ पाते |
थे तो कई,
मैदान में लेकिन,
तेरे ही नाम को,
पसंद किया हमने;
इन बातों पे थोड़ा,
तुम गौर तो फरमाते,
भावनाओं को हमारी,
काश तुम समझ पाते |
यूं सिला दोगे,
यूं रुलाओगे हुमे,
भूल जाओगे सबकुछ,
ये सोचा न था;
चुनाव को हमारे,
तुम सही तो ठहराते,
बहुत खुशी होती हमे,
काश तुम समझ पाते |
चुन करके गए,
फिर दर्शन भी न हुए,
ज्यों जन-प्रतिनिधि नहीं,
ईद का चाँद हो गए;
कभी-कभार तो आते,
बस हाल ले के जाते,
गर्व होता हमको,
काश तुम समझ पाते |
आज हम परेशान हैं,
तरह तरह की समस्याओं से,
हमारे बीच के होके भी,
तुम हमारे न रहे;
हर वोट की कीमत,
ऐ काश तुम चुकाते,
बन जाते महान,
काश तुम समझ पाते |
जन-जन है लाचार,
दो रोटी को तरसते,
और लगे हो तुम,
झोली अपनी भरने में;
निःस्वार्थ होकर थोड़ा,
परमार्थ भी दिखाते,
सच्चा नेता कहलाते,
काश तुम समझ पाते |