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बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

पति पत्नी और वह

एक दिन
बैठे बिठाये हमें शौक चर्राया
संजीव कुमार की तरह
रोमांस करने का विचार आया
हमने आव देखा न ताव
सेक्रेटरी से पूछने लगे प्रेम का भाव
उसने भी सहानुभूति दर्शाई 

और कहा
आओ मेरे गले लग जाओ |

दोस्तों ने कहा
क्या किस्मत पाई है
बिलकुल संजीव कुमार का भाई है
थोड़े दिनों बाद
वही हुआ जो होता है
अपने देश का आशिक अंत में रोता है
क्योंकि
हमारा रोमांस भी पिछले रोमांस की कड़ी थी
इसलिए
पत्नी हाथ में चप्पल लिए खड़ी थी |

इधर पत्नी ने प्रेमिका को ललकारा
उधर हमने प्रेमिका को पुचकारा
और उसका हौशला बढाया
पत्नी को चित्त करने का
आजमाया हुआ नुस्खा बताया
पहले तो हमारी प्रेमिका सकपकाई
सामने खड़ी रणचंडी को देख कर घबराई
फिर अविलम्ब
शुरू हो गयी हाथापाई
थोड़ी ही देर में
प्रेमिका ने लुट्या दुबबाई
यहाँ भी पत्नी ने ही विजय पाई

किन्तु यह क्या
पत्नी के हाथ में
प्रेमिका के नकली बालों का विग
और जमीन पर नकली दांतों का सैट
मेरे पैरों के नीचे से जमीन फिसली
हाय प्रेमिका तो पत्नी से भी बूढी निकली |

रचनाकार:-चरण लाल

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