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सोमवार, 2 नवंबर 2020

 करवा चौथ पर विशेष

मेरी जीवन गाथा

एक मैं और मेरी तारा
मिलजुल कर करें गुजारा
हँसते हँसते मस्ती में ,
कट जाता समय हमारा

हम दो है नहीं अकेले
जीवन में नहीं झमेले
मैं टी वी रहूँ देखता ,
वो मोबाईल पर खेले

वो चाय पकोड़े बनाये
हम दोनों मिलकर खायें
आपस में गप्पें मारें ,
और अपना वक़्त बितायें

नित उठना,खाना,पीना
यूं ही खुश रह कर जीना
संतोषी सदा सुखी है ,
हमको है कोई कमी ना

हम ज्यादा घूम न सकते
अब जल्दी ही हम थकते
कमजोरी से आक्रान्तिक ,
है जिस्म हमारे ,पकते

मन में है नेक इरादे
हम बंदे सीधे सादे
देती है साथ हमारा ,
कुछ भूली बिसरी यादें

यूं गुजरी उमर हमारी
हम खटे उमर भर सारी
बच्चों को 'सेटल' करके ,
पूरी की जिम्मेदारी

जीवन भर काम किया है
प्रभु ने अंजाम दिया  है
अब जाकर चैन मिला है ,
हमको आराम दिया है

है ख़ुश हम हर मौसम में
सब देख लिया जीवन में
हम में न लड़ाई होती,
बस प्यार भरा है मन में
 
बच्चे इज्जत है देते
त्योहारों पर मिल लेते
छूकर के चरण  हमारे,
हमसे आशीषें  लेते

खुश कभी ,कभी हम चिंतित
डर  नहीं हृदय  में  किंचित  
एक दूजे का है सहारा ,
एक दूजे पर अवलम्बित

मन कभी भटकता रहता
मोह में है अटकता रहता
व्यवहार कभी लोगों का ,
है हमें खटकता रहता

मन सोच सोच घबराये
आँखों पे अँधेरा  छाये
हम में से कौन न जाने ,
किस रोज बिदा हो जाये

पर ऐसे दिन ना आयें
हम यही हृदय से चाहें
जब तक भी रहें हम जिन्दा ,
वो करवा चौथ मनाये

जो जब होगा ,देखेंगे
चिंता न फटकने देंगे
कैसी भी विपदा आये ,
हम घुटने ना टेकेंगे

ये मन तो है बंजारा
भटके है मारा मारा
हम बजा रहे इकतारा
एक मैं और मेरी तारा  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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