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सोमवार, 13 नवंबर 2017

अच्छा लगे कहाना अंकल 

हुए रिटायर ,बाल न सर पर ,दुःख मन में हर पल रहता है 
इसीलिये  अच्छा लगता जब ,कोई मुझे अंकल  कहता है 
अंकल के इस  सम्बोधन  में ,बोध  बड़प्पन का होता है ,
क्योंकि इसमें सखा भाव  संग ,श्रद्धा भाव  छुपा  रहता  है 
कल की सोच सोच कर अक्सर ,ये मन बेकल सा हो जाता,
अंकल के कल में यादों का ,सरिता जल, कल कल बहता है 
कभी जवानी जोर मारती ,कभी  बुढ़ापा  टांग  खींचता ,
प्रौढ़ावस्था  में  जीवन की  ,चलता  ये दंगल  रहता  है 
भाई साहब कहे जाने से ,अच्छा है अंकल कहलाना ,
और बूढा कहलाने से तो  ,निश्चित  यह  बेहतर  रहता है 
दिन दिन है हम बढे हो रहे,उमर हुई दादा ,नाना की,
चन्द्रबदनी  बाबा ना कहती,मन में यह संबल रहता है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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