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शनिवार, 25 मई 2013

अंजुली भर जल और शपथ



मंदिर में, आरती के बाद ,
शंख में पानी भर छिडके हुए छींटे ,
या आचमनी से दिया गया ,
चरणामृत और तुलसी दल ,
भगवान का  ये ही असली प्रसाद होता है
आप लेकर तो देखिये,
कितना स्वाद होता है 
क्योंकि इसमें आपके इष्ट का,
आशीर्वाद  होता है 
मंदिर में छिडके गए पानी के चंद  छींटे,
आपको पवित्र बना देते है 
पूजन के समय ,पानी के कलश  में ,
पान के पत्ते को डुबा ,चंद छींटों से ,
'स्नानम समर्पयामी 'कह कर हम,
भगवान् को स्नान करा देते है 
अंजुलीभर जल की महिमा महान बताते है  
अंजुली भर जल हाथ में लेकर,
बड़े बड़े संकल्प किये जाते है 
राजा बली ने संकल्प कर,
वामन अवतार को दे दिया ,
तीनो लोकों का दान 
और राजा  हरिश्चन्द्र ने कितने कष्ट उठाये,
रखने अपने संकल्प का मान 
मेरे सास ससुर ने भी अंजुली में जल भर कर 
एक महान काम किया था 
अपनी बेटी को मुझे दान दिया था 
बड़े बड़े ऋषि ,जब कुपित होते थे,
अंजुली में जल भर कर शाप दिया करते थे 
जिससे दुष्यंत जैसे राजा,
शकुन्तला को भुला दिया करते थे
अगस्त्य मुनी को तो,
समुद्र ने इतना कुपित किया था 
कि उन्होंने ,तीन अंजुली में ,समुद्र पी लिया था 
जब कोई भ्रष्टाचार उजागर होता है ,
या कोई शर्मनाक बात होती है 
तो ये चुल्लू भर पानी में ,डूबने वाली बात होती है 
हम रोज रोज,समाचार पढ़ते है ,
कि हमारे नेता ,अगस्त्य मुनी की तरह,
देश की दौलत के अथाह समुद्र को ,
अंजुली में भर भर कर पिए जा रहे है 
और हम प्यासे छटपटा  रहे है  
 अंजुली भर पानी की महत्ता देख कर ,
मेरे मन में आया है एक विचार 
कि जब भी सरकार में,
किसी बड़े अधिकारी का अपोइन्टमेंट  हो,
या मंत्री को शपथ दिलाई जाए अबकी बार 
तो उनके हाथ में अंजुली भर जल भर कर  ,
उनसे लिया जाए ये वचन ,
कि जनता की सच्चे दिल से सेवा करेंगे हम 
और बेईमानी ,भ्रष्टाचार या घोटालों से ,
मीलों दूर  रहेंगे  हम 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
    

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