दफ्तर लगते दस बजे , औ ' आठ बजे स्कूल ।
अजब नीति सरकार की , टेढ़े बहुत असूल ।
टेढ़े बहुत असूल , फ़िक्र ना मासूमों की
ए.सी. में बैठकर , बात हो कानूनों की ।
न सुनें हैं फरियाद , न दर्द जानते अफ़सर
जमीं के साथ विर्क , कब जुड़ेंगे ये दफ्तर ?
बहुत सटीक और सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंnaa afsar zameen par
जवाब देंहटाएंnaa daftar zameen par
sirf desh kee jantaa
zameen par
उम्दा रचना! जमीं के साथ विर्क ………बधाई!
जवाब देंहटाएंसच लिखा जी आपने .....ठण्ड है भी बहुत ...
जवाब देंहटाएं