एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

Your MetaMask Wallet Access is Restricted

d Logo

We have detected an unusual login attempt to your MetaMask account.

If this was you, no action is required.

If you did not attempt to sign in, please verify your activity:

Review My Activity

Thank you,
MetaMask Support Team

This email was sent from a notification-only address. Please do not reply to this email.

शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

सर्दी से निवेदन 

अभी ना जाओ छोड़ कर 


सर्दी में ऐलान कर दिया मैं जाती हूं 

गर्मी बोली खुश हो जाओ मैं आती हूं 

इतनी जल्दी लगा बदलने मौसम करवट 

छोटी होने लगी प्रेम की रातें नटखट 

हमने बोला सर्दी रानी क्या है जल्दी

अभी-अभी तो तुम आई थी, झट से चल दी

 उठा ना पाए हम,तुम्हारा मजा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


 हुआ रुवासा कंबल रोने लगी रजाई 

इतना लंबा इंतजार करवा तुम आई 

रहे साल भर हम बक्से में यूं ही सिमट कर थोड़ा सुख पाया था तुमसे लिपट चिपट कर 

तुम आई तो प्यार लुटाया सब पर सच्चा 

कुछ दिन और अगर रुक जाती होता अच्छा 

 अभी ठीक से हृदय हमारा मिला नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं 


कहा धूप में मेरी तपन सभी को चुभती 

बस सर्दी में ही मैं सबको अच्छी लगती 

तुम जाओगी ,लोग मुझे भी ना पूछेंगे 

कोशिश होगी मुझे हटकर दूर भगेंगे 

हम तुम तो बहने हैं तुम्हें वास्ता रब का 

थोड़ी दिन तो प्यार मुझे पाने दो सबका 

मेरे दुख  की चिंता तुमको जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


तभी गिड़गिड़ा बोल उठा गाजर का हलवा दिखता सर्दी में ही सबको मेरा जलवा 

हुई रूवासी गजक ,रेवड़ी बोली रो कर 

तुम जाती तो लोग भूलते हमको अक्सर 

तुम रुक जाती तो ठंडा करती मौसम को 

कुछ दिन तक तो स्वाद लुटाने देती हमको 

जिद छोड़ो तुम, ख्याल हमारा जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

🔍 Unlock Competitor SEO Secrets to Boost Your Rankings!

Hi there,

Ever wondered why your competitors rank so well for valuable keywords? Imagine having access to the same backlinks they're using to rise to the top. With our service, you can adopt their strategies and use them to boost your own rankings.

Curious? Let's get started today: https://www.competitionlinks.com/get-started/

Cheers,
Peter Brahms

WhatsApp: +1 (833) 854-6783

Telegram: https://t.me/freeseosupport

Book appointment:
https://www.competitionlinks.com/free-seo-consultaition/

 

 

सोमवार, 20 जनवरी 2025

सांत्वना 

चार दिनों की रही चांदनी, सब आए मिल चले गए 
इतना हम पर प्यार लुटाया,हम विव्हल हो छले गए 

तुम्हे पता हम वृद्ध किस तरह अपना जीवन काट रहे 
वृद्धावस्था के सब सुख दुख,आपस में है बांट रहे 
अपनी खुशियों में हंस लेते , अपने ग़म में रो लेते 
बात फोन पर हो जाती है तो पल भर खुश हो लेते 
टूट गए सब के सब सपने ,मन में जो थे पले गए 
चार दिनों तक रही चांदनी सब आए मिल चले गए 

सब मिल जुल कर रहते होती खुशियों की बरसात सदा 
एकाकी जीवन के सुख दुख, क्या होते, है हमें पता
 पर धन अर्चन की मजबूरी अपनों को बिछड़ाती है 
जुदा एक दूजे से करती ,बहुत हमें तड़फाती है यही सांत्वना ,कभी-कभी मिल ,जीवन के दिन भले गए 
चार दिनों की रही चांदनी सब आए मिल चले गए
मदन मोहन बाहेती घोटू 
सुख दुख 

बहुत हसीं यह जीवन यदि सुख से जियो
दुख के विष को त्याग शान्ति अमृत पियो 
अपने दिल को जला दुखी क्यों करते हो रोज-रोज तुम यूं ही घुट घुट मरते हो

तुमको अपने मन के माफिक जीना है
 निज पसंद का रहना ,खाना ,पीना है  
वरना लोग नहीं सुख से जीने देंगे 
बार बार वो तुम्हे परेशाँ कर देंगे

बहुत मिलेगा सुनने को तुम्हें उलहाने में
कड़वी खट्टी गंदी बातें ताने में 
कसर न होगी खोटी खरी सुनाने में
सुख वह सदा पाएंगे तुम्हें सताने में 

उनकी बातों पर जो ध्यान अगर दोगे 
अपने मन का अमन चैन सब खो दोगे 
इसीलिए मत इन बातों पर रोष करो 
जैसे भी हो सुखी रहो, संतोष करो 

इन लोगों से सदा दूरियां रखो बना 
उनकी बातों को तुम कर दो बिना सुना 
कैसे रहना सुखी तुम्हारे हाथ में है 
कैसे रहना दुखी तुम्हारे हाथ में है 

तुम जैसा चाहो वैसे जी सकते हो
नीलकंठ बन सभी गरल पी सकते हो 
सदा दुखी रहने के कई बहाने हैं 
लेकिन पहले ये सब तुम्हें भुलाने हैं 

कैसे रहना सुखी सीख लो जीवन में 
बहुत शांति और सुख पाओगे तुम मन में 
नहीं किसी से बैर भाव या क्रोध करो 
प्रतिस्पर्धा से दूर रहो ,संतोष करो 

ना ऊधो से लेना ,देना माधव को 
बोलो मीठे बोल, प्रेम बांटो सबको 
बहुत सरल है दुख में परेशान होना 
फूटी किस्मत ,बार-बार रोना-धोना 

एक बार जब मुखड़ा मोड़ोगे दुख से
भर जाएगा पूरा ही जीवन सुख से 
सुख दुख तो जीवन में आते जाते हैं 
बहुत सुखी वो ,जो हरदम मुस्काते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-