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शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

देशप्रेम

उठना है मुझे ,चलना है मुझे
तपना है मुझे ,जलना है मुझे
जननी और जन्मभूमि पर    ,
खुद को अर्पण करना है मुझे

मैं जो पर्वत माथे पर ,हिम के किरीट का चमक रहा
पर मेरे देश का हर  वासी ,है बूँद बूँद को तरसः रहा
अब समय आ गया ,गर्व त्याग ,
पानी बन कर गलना है मुझे
उठना है मुझे ,चलना है मुझे
 
राजनीती के दल दल से , बाहर आ,सबसे मिलजुल कर
दुश्मन का दमन हमें करना ,लोहा लेना ,उससे खुल कर
भारत की आनबान खातिर ,
दुश्मन दल को दलना है मुझे
उठना है मुझे ,चलना है मुझे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
 
आओ हम तुम लड़े

बहुत प्यार कर लिया उमर भर
थोड़ा छुप कर ,थोड़ा खुल कर
वृद्ध हुए अब ,दिनचर्या में ,कुछ परिवर्तन करें
आओ हम तुम लड़े
सिर्फ प्यार ही प्यार ,एकरसता ले आता है जीवन में
कहते है कि नए स्वाद का ,अनुभव होता परवर्तन में
मन में दबी शिकायत सारी ,उगल हृदय हल्का होता है
और झगड़ने बाद ,प्यार का ,मज़ा यार दूना होता है
इसीलिये हम ढूंढ बहाना
कभी कभी बस,ना रोजाना
गलती कोई करे ,दोष पर ,एक दूजे पर मढ़ें
आओ हम तुम लड़ें
घर में हम तुम बूढ़े ,बुढ़िया ,मुश्किल होता समय काटना
वक़्त कटेगा ,चालू कर दें ,एक दूजे को अगर डाटना
झगड़ा कर ,मुंह फेरे सोयें ,अच्छी निद्रा हमें   आयेगी
सुबह उठें ,फिर नयी दोस्ती ,बात रात की भूल जायेगी
मात्र दिखावे की हो अनबन
जीयें हम ,सच्चे हमदम बन
यूं हँसते और खेलते ,जीवन पथ पर बढ़ें
आओ हम तुम लड़े

मदन मोहन बाहेती ;घोटू ' 
दादी की यादें

मुझे याद है बचपन में ,
जब शैतानियां करने पर ,
झेलनी पड़ती थी पिताजी की मार
तब एक दादी ही होती थी जो ,
मुझे आकर के बचाती थी ,
और लुटाती थी मुझ पर ढेर सा प्यार
मैं सिसकियाँ भरता हुआ ,रोता था
और दादी की गोद में सर रख कर सोता था  
वह मुझ पर ढेर सारा प्यार लुटाती थी
अपनी बूढी उँगलियों से ,मेरा सर सहलाती थी
और पता नहीं ,मुझे कब नींद आ जाती थी
आज भी  कई बार
जब मैं होता हूँ बेकरार ,
परेशानियां मुझे तंग करती है
तो मेरी दादी की अदृश्य उँगलियाँ ,
मुझे थपथपाते हुए ,
मेरा सर सहलाया करती है
मैं उनके बूढ़े हाथों का प्रेम भरा स्पर्श ,
और उनकी उँगलियों को अपना सर
सहलाता हुआ पाता हूँ
और उनकी मधुर यादों में खो जाता हूँ

मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;

वही ढाक के तीन पात

मैंने अपने रहन सहन में  काफी कुछ बदलाव कर दिया ,
लेकिन फिर भी मेरा जीवन ,वही ढाक के तीन पात है
कल की बात याद ना रहती ,नाम भूल जाता लोगों के ,
बातें बचपन वाली , सारी ,लेकिन अब भी मुझे याद है

भरे हुए अनुभव की गठरी ,अब मेरा मष्तिष्क हो गया ,
इसको खोल ,किसे मैं बांटू ,लेने वाला कोई नहीं है
प्रेशर कुकर और ओवन के, युग में मिटटी की हंडिया में ,
पकी दाल के स्वाद और गुण ,चाहने वाला कोई नहीं है
सब अपने अपने चक्कर में ,इतना ज्यादा व्यस्त हो गए ,
भले काम की हो कितने ही ,कोई सुनता नहीं बात है
मैंने अपने रहन सहन में ,काफी कुछ बदलाव कर दिया ,
लेकिन फिर भी मेरा जीवन ,वही ढाक  के तीन पात है

तेज बहुत था तेजपान सा ,पर पुलाव की हांडी में पक ,
अपनी खुशबू सभी लुटा दी ,और रह गया फीका पत्ता
खाते वक़्त कोई ना खाता ,फेंक दिया जाता बेचारा ,
हाल बुढापे में सबका ही ,ऐसा  हो जाता  अलबत्ता
घटा नज़र का तेज ,घट गया ,खानपान और पाचन शक्ति ,
उमर बढ़ रही ,जीवन घटता ,देखो कैसी करामात है
मैंने अपने रहन सहन में ,काफी कुछ बदलाव कर दिया ,
लेकिन फिर भी मेरा जीवन ,वही ढाक के तीन पात है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

मोदी सरकार किसानों का विनाश कर रही है - रणधीर सिंह सुमन

 बाराबंकीः मोदी के नेतृत्व में केेन्द्र सरकार ने किसानों से सम्बंधित जिन काले कानूनों का निर्माण किया है उससे किसानों के धान का मूल्य न्यूनतम मूल्य से कम होकर 900/- रूपये प्रति कुल्टल आ गया है वहीं प्रदेश सकरार द्वारा धान खरीद की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं की गयी है। जिससे बड़े खाधान्न व्यापारी कम दामों पर धान खरीदकर गोदामों को भर रहे हैं जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को आगे चलकर उठाना होगा।

देश व्यापी किसान आंदोलन के तहत आल इण्डिया किसान सभा की प्रदर्शनकारियों में सगठन के राज्य कार्यकारिणी सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने सम्बांेेधित करते हुए कहा कि किसान विरोधी सरकारों को किसान उखाड़कर हिन्द महासागर में फंेक देगा। गांधी के किसान आन्दोलन से ब्रिटिश साम्राज्य वाद का सूरज अस्त होे गया था।

किसान सभा जिलाध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि इस किसान

विरोधी सरकार के खिलाफ निरंतर आन्दोलन चलाया जायेगा वहीं संगठन के उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन किसानों की उपजाऊ जमीन छीनने के लिए बाराबंकी विकास प्राधिकरण बनाकर किसानों की जमीन छीनने की साजिश रच रहा है।

भारतीय कम्युनिष्ट के जिला सचिव बृज मोहन वर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये किसानों के सम्बंध में काले कानूनो से जो भयानक बेरोजगारी फैलेगी उसका कोई अन्त नहीं होगा। पार्टी के सहसचिव डा0 कौसर हुसैन ने कहा कि यह सरकार किसान मजदूरों की विरोधी सरकार है और महंगाई का बोल-बाला हो गया है और बेरोजगारी बढ़ रही है।

आल इण्डिया किसानसभा का प्रदर्शन भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी कार्यालय सेे चलकर छाया चैराहा बस अड्डा से चलकर जिलाधिकारी कार्यालय तक नारे लगाते हुए आया। प्रदर्शनकारियों में महेन्द्र यादव अध्यक्ष स्टूडेन्ट फेडरेशन आशीष शुक्ला अध्यक्ष यूथ फेडरेशन गिरीश चन्द्र, वीरेेन्द्र वर्मा, रामनरेश वर्मा, नीरज वर्मा, श्याम सिंह, अंकुल वर्मा, राजेन्द्र बहादुर सिंह, राज कुमार काशीराम, संदीप तिवारी, दीपक शर्मा, सर्वेश यादव, गाजी अमान आदि प्रमुख लोग थे।


रणधीर सिंह सुमन

मोबाइलः 9450195427

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