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शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

       ग़ज़ल

जो कमीने है,कमीने ही रहेंगे 
दूसरों का चैन ,छीने ही रहेंगे 
कुढ़ते ,औरों की ख़ुशी जो देख उनको,
जलन से आते पसीने ही रहेंगे 
कोई पत्थर समझ कर के फेंक भी दे,
पर नगीने तो नगीने ही रहेंगे 
 आस्था है मन में तो ,काशी है काशी ,
और मदीने तो मदीने ही रहेंगे 
उनमे जब तक ,कुछ कशिश,कुछ बात है ,
हुस्नवाले लगते सीने ही रहेंगे 
 अब तो भँवरे ,तितलियों में ठन गयी है,
कौन रस फूलों का पीने ही रहेंगे 
जितना भी ले सकते हो ले लो मज़ा ,
आम मीठे,थोड़े महीने ही रहेंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

लड़ाई और प्यार

चम्मच से चम्मच टकराते,जब खाने की टेबल पर ,
तो निश्चित ये बात समझ लो,खाना है स्वादिष्ट बना
नज़रों से नज़रें टकराती,तब ही प्यार पनपता है ,
लडे नयन ,तब ही तो कोई ,राँझा कोई हीर बना
एक दूजे को गाली देते ,नेता जब चुनाव लड़ते ,
मतलब पड़ने पर मिल जाते ,लेते है सरकार बना
मियां बीबी भी लड़ते है,लेकिन बाद लड़ाई के,
होता है जब उनका मिलना,देता प्यार मज़ा दुगुना

घोटू

ऐसा भी होता है

चाहते हैं लोग बिस्कुट कुरकुरे,
भले चाय में भिगो कर खाएंगे
कितनी ही सुन्दर हो पेकिंग गिफ्ट की,
मिलते ही रेपर उतारे जाएंगे
पहनती गहने है सजती ,संवरती ,
है हरेक दुल्हन सुहाग रात को,
जबकि होता है उसे मालूम ये,
मिलन में, ये सब उतारे जाएंगे

घोटू

बूढ़ों में भी दिल होता है

होता सिर्फ जिस्म बूढा है,
जो कुछ नाकाबिल होता है
पर जज्बात भड़कते रहते,
बूढ़ों में भी दिल होता है
सबसे प्यार महब्बत करना
और हुस्न की सोहबत करना
ताक,झाँक,छुप कर निहारना
चोरी चोरी ,नज़र मारना
जब भी देखें , फूल सुहाना
भँवरे सा उसपर मंडराना
सुंदरता की खुशबू लेना
प्यार लुटाना और दिल देना
ये सब बातें, उमर न देखे
निरखें हुस्न ,आँख को सेंकें
दिल पर अपने काबू रखना ,
उनको भी मुश्किल होता है
बूढ़ों में भी दिल होता है
उनके दिल का मस्त कबूतर
उड़ता रहता नीचे , ऊपर
लेता इधर उधर की खुशबू
करता रहता सदा गुटरगूं
घरकी चिड़िया रहती घर में
खुद उड़ते रहते अम्बर मे
चाहे रहती, ढीली सेहत
पर रहती अनुभव की दौलत
काम बुढ़ापे में जो आती
उनकी दाल सदा गल जाती
दंद फंद कर के कैसे भी ,
बस पाना मंज़िल होता है
बूढ़ों में भी दिल होता है
जब तक रहती दिल की धड़कन
तब तक रहता दीवानापन
भले बरस वो ना पाते है
लेकिन बादल तो छाते है
हुई नज़र धुंधली हो चाहे
माशूक ठीक नज़र ना आये
होता प्यार मगर अँधा है
चलता सब गोरखधंधा है
भले नहीं करते वो जाहिर
अपने फ़न में होते माहिर
कैसे किसको जाए पटाया,
ये अनुभव हासिल होता है
बूढ़ों में भी दिल होता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुलहनामा -बुढ़ापे में

हमें मालूम है कि हम ,बड़े बदहाल,बेबस है,
नहीं कुछ दम बचा हम में ,नहीं कुछ जोश बाकी है ,
मगर हमको मोहब्बत तो ,वही बेइन्तहां तुमसे ,
मिलन का ढूंढते रहते ,बहाना इस बुढ़ापे में
बाँध कर पोटली में हम,है लाये प्यार के चांवल,
अगर दो मुट्ठी चख लोगे,इनायत होगी तुम्हारी,
बड़े अरमान लेकर के,तुम्हारे दर पे आया है ,
तुम्हारा चाहनेवाला ,सुदामा इस बुढ़ापे में
ज़माना आशिक़ी का वो ,है अब भी याद सब हमको,
तुम्हारे बिन नहीं हमको ,ज़रा भी चैन पड़ता था ,
तुम्हारे हम दीवाने थे,हमारी तुम दीवानी थी,
जवां इक बार हो फिर से ,वो अफ़साना बुढ़ापे में
भले हम हो गए बूढ़े,उमर तुम्हारी क्या कम है ,
नहीं कुछ हमसे हो पाता ,नहीं कुछ कर सकोगी तुम ,
पकड़ कर हाथ ही दो पल,प्यार से साथ बैठेंगे ,
चलो करले ,मोहब्बत का ,सुलहनामा ,बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
          दानी श्रेष्ठ चन्द्रमा 

सूर्य से ले रौशनी तू उधारी में 
            ,मुफ्त सबको चांदनी  बांटे  सुहानी 
अपनी सोलह कलायें सब पर बिखेरे ,
          तुझसे बढ़ कर भला होगा कौन दानी 
समुन्दर मंथन किया ,अमृत पिया था ,
              शरद पूनम पर उसे भी तू लुटाता 
कभी घटता ,कभी बढ़ता ,चमचमाता ,
             सुन्दरीमुख ,चन्द्रमुख है कहा जाता 
एक तू ही देव महिलाएं जिसे सब ,
              भाई कह, बच्चों का मामा बोलती है 
एक तू ही देख कर जिसको सुहागन ,
                 बरत करवा चौथ वाला खोलती है 
एक तू ही है जिसे नजदीक पाकर ,
              मारने लगता उछालें ,उदधि का जल 
एक तू ही चांदनी जिसकी हमेशा ,
                सुहानी सुखदायिनी है ,मृदुल शीतल  
प्रेमियों के हृदय की धड़कन बढ़ाता 
                    ,तारिकाओं से घिरा रहता सदा है 
शिवजी के मस्तक पे शोभित चन्द्रमा तू ,
                    सबसे ज्यादा तू ही पूजित देवता है  

 मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
                                     



लक्ष्मी जी का परिवार प्रेम

(समुद्र मंथन से १४ रत्न प्रकट हुए थे-शंख,एरावत,उच्च्श्रेवा ,धवन्तरी,
कामधेनु,कल्प वृक्ष,इंद्र धनुष,हलाहल,अमृत,मणि,रम्भा,वारुणी,चन्द्र और लक्ष्मी
-तो लक्ष्मी जी के तेरह भाई बहन हुए,और समुद्र पिताजी-और क्योंकि
विष्णु जी समुद्र में वास करते है,अतः घर जमाई हुए ना )

दीपावली के बाद दूसरे  दिन

भाईदूज को  लक्ष्मी जी,अपने पति विष्णु जी के पैर दबा रही थी

और उनको अपने भाई बहनों की बड़ी याद आ रही थी

बोली इतने दिनों से ,घरजमाई की तरह,

रह रहे हो अपने ससुराल में

कभी खबर भी ली कि तुम्हारे तेरह,

साला साली है किस हाल में

प्रभु जी मुस्काए और बोले मेरी प्यारी कमले

मुझे सब कि खबर है,वे खुश है अच्छे भले

तेरह में से एक 'अमृत 'को तो मैंने दिया था बाँट

बाकी बचे चार बहने और भाई आठ

तो बहन 'रम्भा'स्वर्ग में मस्त है

और दूसरी बहन 'वारुणी'लोगों को कर रही मस्त है

'मणि 'बहन लोकर की शोभा बड़ा रही है

और 'कामधेनु'जनता की तरह ,दुही जा रही है

तुम्हारा भाई 'शंख'एक राजनेतिक पार्टी का प्रवक्ता है

और टी.वी.चेनल वालों को देख बजने लगता है

दूसरे भाई 'एरावत'को ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी

यू.पी,चले जाना,वहां पार्कों में,हाथियों की भीड़ होगी

हाँ ,'उच्च्श्रेवा 'भैया को थोडा मुश्किल है ढूंढ पाना

पर जहाँ अभी चुनाव हुए हो,ऐसे राज्य में चले जाना

जहाँ किसी भी पार्टी नहीं मिला हो स्पष्ट बहुमत

और सत्ता के लिए होती हो विधायकों की जरुरत

और तब जमकर 'होर्स ट्रेडिंग' होता हुए पायेंगे

उच्च श्रेणी के उच्च्श्रेवा वहीँ मिल जायेंगे

'धन्वन्तरी जी 'आजकल फार्मा कम्पनी चला रहे है

और मरदाना कमजोरी की दवा बना रहे है

बोलीवूड के किसी फंक्शन में आप जायेंगी

तो भैया'इंद्र धनुष 'की छटा नज़र आ जाएगी

और 'कल्प वृक्ष'भाई साहब का जो ढूंढना हो ठिकाना

तो किसी मंत्री जी के बंगले में चली जाना

और यदि लोकसभा का सत्र रहा हो चल

तो वहां,सत्ता और विपक्ष,

एक दूसरे पर उगलते मिलेंगे 'हलाहल'

अपने इस भाई से मिल लेना वहीँ पर

और भाई 'चंद्रमा 'है शिवजी के मस्तक पर

और शिवजी कैलाश पर,बहुत है दूरी

पर वहां जाने के लिए,चाइना का वीसा है जरूरी

और चाइना वालों का भरोसा नहीं,

वीसा देंगे या ना देंगे

फिर भी चाहोगी,तो कोशिश करेंगे

तुम्हारे सब भाई बहन ठीक ठाक है,कहा ना

फिर भी तुम चाहो तो मिलने चले जाना

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'



लक्ष्मी जी का परिवार प्रेम

(समुद्र मंथन से १४ रत्न प्रकट हुए थे-शंख,एरावत,उच्च्श्रेवा ,धवन्तरी,
कामधेनु,कल्प वृक्ष,इंद्र धनुष,हलाहल,अमृत,मणि,रम्भा,वारुणी,चन्द्र और लक्ष्मी
-तो लक्ष्मी जी के तेरह भाई बहन हुए,और समुद्र पिताजी-और क्योंकि
विष्णु जी समुद्र में वास करते है,अतः घर जमाई हुए ना )

दीपावली के बाद दूसरे  दिन

भाईदूज को  लक्ष्मी जी,अपने पति विष्णु जी के पैर दबा रही थी

और उनको अपने भाई बहनों की बड़ी याद आ रही थी

बोली इतने दिनों से ,घरजमाई की तरह,

रह रहे हो अपने ससुराल में

कभी खबर भी ली कि तुम्हारे तेरह,

साला साली है किस हाल में

प्रभु जी मुस्काए और बोले मेरी प्यारी कमले

मुझे सब कि खबर है,वे खुश है अच्छे भले

तेरह में से एक 'अमृत 'को तो मैंने दिया था बाँट

बाकी बचे चार बहने और भाई आठ

तो बहन 'रम्भा'स्वर्ग में मस्त है

और दूसरी बहन 'वारुणी'लोगों को कर रही मस्त है

'मणि 'बहन लोकर की शोभा बड़ा रही है

और 'कामधेनु'जनता की तरह ,दुही जा रही है

तुम्हारा भाई 'शंख'एक राजनेतिक पार्टी का प्रवक्ता है

और टी.वी.चेनल वालों को देख बजने लगता है

दूसरे भाई 'एरावत'को ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी

यू.पी,चले जाना,वहां पार्कों में,हाथियों की भीड़ होगी

हाँ ,'उच्च्श्रेवा 'भैया को थोडा मुश्किल है ढूंढ पाना

पर जहाँ अभी चुनाव हुए हो,ऐसे राज्य में चले जाना

जहाँ किसी भी पार्टी नहीं मिला हो स्पष्ट बहुमत

और सत्ता के लिए होती हो विधायकों की जरुरत

और तब जमकर 'होर्स ट्रेडिंग' होता हुए पायेंगे

उच्च श्रेणी के उच्च्श्रेवा वहीँ मिल जायेंगे

'धन्वन्तरी जी 'आजकल फार्मा कम्पनी चला रहे है

और मरदाना कमजोरी की दवा बना रहे है

बोलीवूड के किसी फंक्शन में आप जायेंगी

तो भैया'इंद्र धनुष 'की छटा नज़र आ जाएगी

और 'कल्प वृक्ष'भाई साहब का जो ढूंढना हो ठिकाना

तो किसी मंत्री जी के बंगले में चली जाना

और यदि लोकसभा का सत्र रहा हो चल

तो वहां,सत्ता और विपक्ष,

एक दूसरे पर उगलते मिलेंगे 'हलाहल'

अपने इस भाई से मिल लेना वहीँ पर

और भाई 'चंद्रमा 'है शिवजी के मस्तक पर

और शिवजी कैलाश पर,बहुत है दूरी

पर वहां जाने के लिए,चाइना का वीसा है जरूरी

और चाइना वालों का भरोसा नहीं,

वीसा देंगे या ना देंगे

फिर भी चाहोगी,तो कोशिश करेंगे

तुम्हारे सब भाई बहन ठीक ठाक है,कहा ना

फिर भी तुम चाहो तो मिलने चले जाना

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

रिश्ते-मधुर और चटपटे

रिश्तों का दूध,थोड़े से खटास से,
जब जाता है फट
तो बस छेना बन कर जाता है सिमट
जो प्यार की चाशनी में उबाले जाने पर
बन जाता है रसगुल्ला,
स्वादिष्ट,रसीला और मनहर
सूजी की छोटी छोटी पूड़ियाँ,
प्यार की स्निघ्ता में धीरे धीरे तली जाए,
तो बन जाती है फुलकियाँ
जिनको अगर खाया जाए,
आपसी रिश्तों का,चटपटा पानी भर
तो वो गोलगप्पे,स्वाद की घूंटो से,
देते है खुशियाँ भर
धनिया और पुदीने के,
पत्तों सा सादा जीवन,
प्यार के मसालों के साथ पिस कर ,
बन जाता है चटपटी चटनी
जीवन की राहें ,जलेबी की तरह,
कितनी ही टेडी हो,
प्यार के रस में डूब कर,
बन जाती है स्वादिष्ट और रस भीनी
सिर्फ प्यार की शर्करा में ही एसा मिठास है,
जो बिना डायबिटीज के दर से,
जीवन में मधुरता भरता है
रिश्तों में अपनापन,
चाट का वो मसाला है,
जो जीवन को चटपटा और स्वादिष्ट करता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रिश्ते-मधुर और चटपटे

रिश्तों का दूध,थोड़े से खटास से,
जब जाता है फट
तो बस छेना बन कर जाता है सिमट
जो प्यार की चाशनी में उबाले जाने पर
बन जाता है रसगुल्ला,
स्वादिष्ट,रसीला और मनहर
सूजी की छोटी छोटी पूड़ियाँ,
प्यार की स्निघ्ता में धीरे धीरे तली जाए,
तो बन जाती है फुलकियाँ
जिनको अगर खाया जाए,
आपसी रिश्तों का,चटपटा पानी भर
तो वो गोलगप्पे,स्वाद की घूंटो से,
देते है खुशियाँ भर
धनिया और पुदीने के,
पत्तों सा सादा जीवन,
प्यार के मसालों के साथ पिस कर ,
बन जाता है चटपटी चटनी
जीवन की राहें ,जलेबी की तरह,
कितनी ही टेडी हो,
प्यार के रस में डूब कर,
बन जाती है स्वादिष्ट और रस भीनी
सिर्फ प्यार की शर्करा में ही एसा मिठास है,
जो बिना डायबिटीज के दर से,
जीवन में मधुरता भरता है
रिश्तों में अपनापन,
चाट का वो मसाला है,
जो जीवन को चटपटा और स्वादिष्ट करता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पत्थरों के दिल पिघल ही जायेगे
—————————————
छोड़ नफरत,बीज बोओ प्यार के,
चमन में कुछ फूल खिल ही जायेगे
पत्थरों के कालेजों में मोम के,
चंद कतरे तुम्हे मिल ही जायेंगे
समर्पण की सुई,धागा प्रेम का,
फटे रिश्ते,कुछ तो सिल ही जायेंगे
अगर कोशिश में तुम्हारी जोर है,,
कलेजे हों सख्त,हिल ही जायेगे
यज्ञ   का फल मिलेगा जजमान को,
आहुति में फेंके तिल ही जायेंगे
बेवफा तुम और हम है बावफा,
इस तरह तो टूट दिल ही जायेंगे
अगर पत्थर फेंकियेगा कीच में,
चंद  छींटे तुम्हे मिल ही जायेंगे
करके देखो नेता की आलोचना,
कई चमचे,तुम पे पिल ही जायेगे
कोई भी हो देश कोई भी शहर,
एक दो सरदार मिल ही जायेंगे
अगर कोशिश में तुम्हारी है कशिश,
पत्थरों के दिल पिघल ही जायेंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 लक्ष्मी माता और आज की राजनीति
——————————————–
जब भी मै देखता हूँ,
कमालासीन,चार हाथों वाली ,
लक्ष्मी माता का स्वरुप
मुझे नज़र आता है,
भारत की आज की राजनीति का,
साक्षात् रूप
उनके है चार हाथ
जैसे कोंग्रेस का हाथ,
लक्ष्मी जी के साथ
एक हाथ से 'मनरेगा'जैसी ,
कई स्कीमो की तरह ,
रुपियों की बरसात कर रही है
और कितने ही भ्रष्ट नेताओं और,
अफसरों की थाली भर रही है
दूसरे हाथ में स्वर्ण कलश शोभित है
ऐसा लगता है जैसे,
स्विस  बेंक  में धन संचित है
पर एक बात आज के परिपेक्ष्य के प्रतिकूल है
की लक्ष्मी जी के बाकी दो हाथों में,
भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल है
और वो खुद कमल के फूल पर आसन लगाती है
और आस पास सूंड उठाये खड़े,
मायावती की बी. एस.  पी. के दो हाथी है
मुलायमसिंह की समाजवादी पार्टी की,
सायकिल के चक्र की तरह,
उनका आभा मंडल चमकता है
गठबंधन की राजनीती में कुछ भी हो सकता है
तृणमूल की पत्तियां ,फूलों के साथ,
देवी जी के चरणों में चढ़ी हुई है
एसा लगता है,
भारत की गठबंधन की राजनीति,
साक्षात खड़ी हुई है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

घरघुस्सू 

एक तो नयी नयी शादी के बाद 
छोड़ कर प्रियतमा का साथ 
घर से बाहर न निकलना ,
आपके पत्नी के प्रति प्रेम का परिचायक है 
दूसरा जब धूमिल हो वातावरण 
फैला हो भयंकर प्रदूषण 
तो घर से बाहर न निकलना ,
आपकी सेहत के लिए लाभ दायक है 
ऐसे में कोई अगर आपको घरघुस्सू  कहे 
तो ये उसका हक है 
पर वो नालायक है 

घोटू 

I'AM SUFFERING FROM CANCER OF THE HEART

I'AM SUFFERING FROM CANCER OF THE HEART


Dear Friend.


Greetings to you in the name of the Lord God Almighty.i am Mrs Rukia Nimine.,
from (Paris) France, but am based in Burkina Faso Africa for eight years now
as a business woman dealing on gold exportation and cotton Sales.
but I have been suffering from this deadly disease called cancer for long
and the doctor just said I have just few days to leave. I know it will be difficult for
you to believe my story now ,but this is the situation i found myself in,
its not my desire to be on a sick bed today but God knows best,



Now, that I am about to end the race like this, without any family
members and no child. I have $5.8 Million US DOLLARS in BANK OF AFRICA
(B.O.A) Burkina Faso its all my life savings,I instructed the Bank to give it to
St Andrews Missionary and Home Kizito Orphanage in Burkina Faso.
But my mind is not at rest because i do not trust them,
I am writing this letter now through the help of my computer beside my sick bed.


I will instruct the bank to transfer this fund to you as a foreigner,
but you will have to promise me that you will take 50% of
the fund and give 50% to charity like the orphanage home in your country for my
soul to rest in peace.please Respond to me immediately for further details
since I have just few days to lose my life to this deadly
disease, hoping you will understand my situation and give favorable
attention,i look forward to getting a reply from you.

Thanks and God bless you,



Mrs Rukia Nimine..

शनिवार, 3 नवंबर 2018

कैसे कर स्वीकार लूं ?

प्रेम दीपक जला मन मंदिर में उजियाला करूं 
केश जो हैं हुए उजले ,उन्हें रंग ,काला करूँ 
फेसबुक पर गीत रोमांटिक लिखूं,डाला करूं 
नित नए फैशन के कपडे ,पहन, कर शृंगार लूं 
मगर मैं बूढा हुआ ये ,कैसे कर स्वीकार लूं 

,मानता हूँ,ओज वाणी का जरा  हो कम गया  
मानता हूँ ,जोश का  जज्बा जरा अब थम गया 
ये भी सच है ,बहारों का अब नहीं मौसम रहा 
भावनाएं ,पर मचलती, कैसे मन को मार लूं 
मगर मैं बूढा हुआ ये ,कैसे कर स्वीकार लूं 

उम्र के वरदान को मैं ,ऐसे सकता खो नहीं 
अपने मन को मार लेकिन  जिया जाता यों नहीं 
देख सकता चाँद को तो चंद्रमुखी को क्यों नहीं 
हुस्न से और जवानी से ,क्यों न कर मैं प्यार लूं 
मगर मैं बूढा हुआ ये कैसे कर स्वीकार लूं 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
दीवारें 

चार दीवारें हमेशा,मिल बनाती आशियाँ 
मगर उग आती है अक्सर ,कुछ दीवारें दरमियाँ 
गलतफहमी ने  बना दी ,बीच में थी दूरियां ,
वो हमारे और तुम्हारे ,बीच की दीवार थी 

नफरतों की ईंट पर ,मतलब का गारा था लगा 
कच्चा करनी ने चिना था ,रही हरदम डगमगा 
प्यार की हल्की सी बारिश में जो भीगी ,ढह गयी ,
वो हमारे और तुम्हारे बीच की दीवार थी 

घोटू 

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

रावण का पुनर्जन्म

सीता सी शुद्ध पवन 
का जब जब करे हरण 
प्रदूषण का रावण 
कलुषित कर वातावरण 

पकड़ में जब आता 
जलाया वो जाता 
आतिशबाजियां  छोड़ ,
पर्व मनाया जाता 

पुनः  धूम्र उत्सर्जन 
धूमिल हो  वातावरण 
बार बार जीवित हो ,
प्रदूषण का वो रावण 

घोटू 

बुधवार, 31 अक्तूबर 2018

प्यार बांटते चलो 


ये नाज ओ  नखरे,रूप अदा 
अच्छे लगते है यदा कदा 
हथियार जवानी वाले ये ,
जादू इनका ना चले सदा 

पर यदि अच्छे हो संस्कार 
मन में हो सेवाभाव ,प्यार    
जीवन भर साथ निभायेंगे ,
और फैलाएंगे  सदाचार        

तुम त्यागो मन का अहंकार 
सदगुण लाओ और सदविचार 
ये पूँजी ख़तम नहीं होगी ,
तुम रहो बांटते ,बार बार 

घोटू 
विश्वास और सुख 

आँख मूँद कर करे भरोसा पति पर,उससे कुछ ना कहती 
मैंने देखा ,ऐसी पत्नी ,अक्सर सुखी और खुश रहती 

सदा पति पर रखे नियंत्रण ,बात बात में टोका टाकी 
उस पर रखती शक की नज़रें ,हर हरकत पर  ताकाझांकी 
कहाँ जा रहे ,कब आओगे ,कहाँ  गए थे ,देर क्यों हुई 
आज बड़े खुश नज़र आरहे ,कौन तुम्हारे साथ थी मुई 
बस इन्ही पूछा ताछी से ,शक का बीज बो दिया करती 
थोड़ा वक़्त प्यार का मिलता, यूं ही उसे खो दिया करती 
पति आये तो जेब टटोले ,ढूंढें काँधे पड़े बाल को 
जासूसों सी पूछा करती ,है दिन भर के हालचाल को 
होटल से खाना मंगवाती ,जिसे रसोईघर से नफरत 
व्यस्त रहे शॉपिंग,किट्टी में ,पति के लिए न पल भर फुर्सत 
ऐसी पत्नी के जीवन में ,नहीं प्रेम की सरिता  बहती 
मैंने देखा ऐसी पत्नी ,हरदम बहुत दुखी है रहती 

और एक सीधीसादी सी ,भोली सूरत ,सीधे तेवर 
पतिदेव की पूजा करती ,उसे मानती है परमेश्वर 
करती जो विश्वास पति पर ,जैसा भी है ,वो अच्छा है 
उससे कभी विमुख ना होगा ,उसका प्यार बड़ा सच्चा है 
इधर उधर पति नज़रें मारे ,तो हंस कर है टाला  करती 
सब का मन चंचल होता है ,कह कर बात संभाला करती 
ना नखरे ना टोकाटाकी ,ना ही झगड़े ,ना ही अनबन 
अपने पति पर प्यार लुटाती,करके खुद को पूर्ण समर्पण 
अच्छा पका खिलाती ,दिल का रस्ता सदा पेट से जाता 
ऐसा प्यार लुटानेवाली ,पत्नी पर पति बलिबलि  जाता 
पति के परिवार में रम कर ,संग हमेशा सुख दुःख सहती 
मैंने देखा ,ऐसी पत्नी ,अक्सर सुखी और खुश रहती 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
प्रयोजन और भोजन 


आस्था में प्रभु की मंदिर गए ,
चैन मन को मिलेगा ,विश्वास था 
श्रद्धानत ,आराधना में लीन थे ,
लगा होने शांति का आभास था 
व्यस्त हम तो रहे करने में भजन ,
लोग आ पूरा प्रयोजन कर गए 
हमें चरणामृत और तुलसीदल मिला ,
लोग पा परशाद ,भोजन कर गए 

घोटू 

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