एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

कोने कोने में  

कहा जाता है ,
पृथ्वी के कोने कोने में ,
ईश्वर का वास है 
पर पृथ्वी तो गोल है ,
और गोल वस्तु का कोई कोना नहीं होता ,
तो इन दो बातों में ,
कितना विरोधाभास है 
कुछ भी हो ,कोने होते बड़े ख़ास है 
दूरियां पैदा करने वाली ,
दीवारों का जब मिलन होता है 
वहां कोने का जनम होता है 
ये दो विपरीत दिशाओं में जाने वालों की ,
मिलनस्थली के रूप में जाने जाते है 
और भूचाल की स्थिति में ,
सबसे ज्यादा सुरक्षित माने जाते है 
ये अपनेआप को ,
हल्के से अँधेरे में समेटे हुए होते है 
और जाने कितनी ही यादों को ,
अपने में समेटे हुए होते है 
मुझे याद आता है घर का वो कोना ,
जहाँ बचपन में ,
अपनी जिद मनवाने के लिए ,
मैं कितनी ही बार रूठा था 
और वो कोना मैं कैसे भुला सकता हूँ ,
जहाँ पर पहली बार ,
प्रथम मिलन और प्यार के चुंबन का ,
सुख लूटा था 
कितनी ही बार जिस कोने में छुप ,
मैं दोस्तों की पकड़ में न आया ,
जब बचपन में हम खेलते थे ,
छुपमछुपाई 
और स्कूल का वो कोना ,
कैसे भूल सकता हूँ ,जहाँ कितनी ही बार ,
 मास्टरजी ने ,उल्टा मुंह कर कर ,
खड़े रहने की सजा थी सुनाई 
सबसे छुपा कर 
मैंने सिगरेट का पहला कश ,
भी एक सुनसान कोने में ही लिया था 
और चोरी चोरी ,
बियर का पहला घूँट भी ,
एक कोने में ही पिया था 
मेरे दिल के एक कोने में ,
अभी भी दबी पड़ी है ,
मेरे प्रथम प्रेम की ,वो मीठी यादें 
वो जीने मरने की कसमें ,
वो जीवन भर साथ निभाने के वादे 
जिन्हे एक कोने में रख कर 
अच्छे दहेज़ के लालच में ,
मैंने बसा लिया था किसी और के संग घर 
और अपने सारे आदर्शों और सिद्धांतों को ,
एक कोने में दबा कर,
दुनियादारी की भागमभाग में दौड़ रहा हूँ 
और साम,दाम,दंड,भेद से ,
अपने कई काबिल साथियों को,
एक कोने में छोड़ रहा हूँ 
दोस्तों ,कभी आप भी अपने दिल के अंदर ,
झांक कर देखो तो एक कोने आयेगी  नज़र
आपकी कितनी ही बेवफाई ,
और कितनी ही गलतियां 
जिनको छुपा कर  आपने ,
अब तलक है जीवन जिया 
वो सारे करम 
जिनको छुपाने का आपके मन में है भरम 
पर वो आपके दिल के किसी कोने में ,
दबे है पड़े 
और तन्हाई में कभी ,
अपना अस्तित्व दिखाने को,
हो जाते है खड़े 
कभी तड़फाते  है 
कभी सताते है 
और हम उन्हें फिर से ,
किसी कोने में दबाकर ,
भूल जाते है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
 

रविवार, 1 अप्रैल 2018

Hello Dear

PLEASE REPLY ME THROUGH MY PRIVATE EMAIL ADDRESS (miss.dianakipkalya@mail.com)
 
I am writing this mail to you with tears and sorrow from my heart. With due respect trust and humanity, I appeal to you to exercise a little patience and read through my letter, I wish to contact you personally for a long term business relationship and investment assistance in your Country so I feel quite safe dealing with you in this important business having gone through your remarkable profile, honestly I am writing this email to you with pains, tears and sorrow from my heart, I will really like to have a good relationship with you and I have a special reason why I decided to contact you, I decided to contact you due to the urgency of my situation, My name is Miss Diana Kipkalya Kones, 23yrs old female and I held from Kenya in East Africa. My father was the former Kenyan road Minister. He and Assistant Minister of Home Affairs Lorna Laboso had been on board the Cessna 210, which was headed to Kericho and crashed in a remote area called Kajong, in western Kenya. The plane crashed on the Tuesday 10th, June, 2008.You can read more about the crash through the below site:http://edition.cnn.com/2008/WORLD/africa/06/10/kenya.crash/index.html

 After the burial of my father, my stepmother and uncle conspired and sold my father's property to an Italian Expert rate which the shared the money among themselves and live nothing for me. I am constrained to contact you because of the abuse I am receiving from my wicked stepmother and uncle. They planned to take away all my late father's treasury and properties from me since the unexpected death of my beloved Father. Meanwhile I wanted to escape to the USA but they hide away my international passport and other valuable traveling documents. Luckily they did not discover where I kept my fathers File which contains important documents. So I decided to run to the refugee camp where I am presently seeking asylum under the United Nations High Commission for the Refugee here in Ouagadougou, Republic of Burkina Faso.

 One faithful morning, I opened my father's briefcase and found out the documents which he has deposited huge amount of money in one bank in Burkina Faso with my name as the next of kin. I traveled to Burkina Faso to withdraw the money for a better life so that I can take care of myself and start a new life, on my arrival, the Bank Director whom I met in person told me that my father's instruction/will to the bank is that the money would only be release to me when I am married or present a trustee who will help me and invest the money overseas. I am in search of an honest and reliable person who will help me and stand as my trustee so that I will present him to the Bank for transfer of the money to his bank account overseas. I have chosen to contact you after my prayers and I believe that you will not betray my trust. But rather take me as your own sister or daughter.

Although, you may wonder why I am so soon revealing myself to you without knowing you, well I will say that my mind convinced me that you may be the true person to help me. More so my father of blessed memory deposited the sum of (US$11.500, 000) Dollars in Bank with my name as the next of kin. However, I shall forward you with the necessary documents on confirmation of your acceptance to assist me for the transfer and statement of the fund in your country. As you will help me in an investment, and I will like to complete my studies, as I was in my 1year in the university when my beloved father died. It is my intention to compensate you with 30% of the total money for your services and the balance shall be my capital in your establishment. As soon as I receive your positive response showing your interest I will put things into action immediately. In the light of the above, I shall appreciate an urgent message indicating your ability and willingness to
handle this transaction sincerely.
 
AWAITING YOUR URGENT AND POSITIVE RESPONSE, Please do keep this only to your self for now until the bank will transfer the fund. I plead to you not to disclose it till I come over because I am afraid of my wicked stepmother who has threatened to kill me and have the money alone, I thank God Today that am out from my country (KENYA) but now In (Burkina Faso) where my father deposited these money with my name as the next of Kin. I have the documents for the claims.

Yours Sincerely
Miss Diana Kipkalya Kones
 

PLEASE REPLY ME THROUGH MY PRIVATE EMAIL ADDRESS (miss.dianakipkalya@mail.com)

 

 


गुरुवार, 22 मार्च 2018

गलतफहमी 

ये समझ कर तुम्हारा हसीं जिस्म है ,
मैं  अँधेरे में सहलाता जिसको रहा 
तुमने ना तो हटाया मेरा हाथ ही,
ना रिएक्शन दिया और न ना ही कहा 
मैं  बड़ा खुश था मन में यही सोच कर,
ऐसा लगता था ,दाल आज गल जायेगी  
हसरतें कितनी ही ,जो थी मन में दबी ,
सोचता था की अब वो निकल जायेगी 
गुदगुदा और नरम था वो कोमल बदन ,
मैं समझ तेरा ,मन अपना बहला रहा 
दिल के अरमाँ सभी,आंसुओ में बहे ,
निकला तकिया ,जिसे था मैं सहला रहा 

घोटू 
आशिक़ी की शिद्दत 

नाम उनने अपने हाथों ,जब लिखा दीवार पर ,
लोग सब उस जगह का चूना कुतर कर खा गए 
नाम उनने ,अपना कुतरा ,जब तने पर वृक्ष के ,
कुछ ही दिन में ,बिना मौसम ,उसमे भी फल आगये 
आशिकों की आशिकी की ,हद तो उस दिन हो गयी,
उनने 'आई लव यू 'कहा ,तो आया ऐसा  जलजला 
नाम अपना बदलने की होड़ सब में लग गयी ,
नाम अपना बदल ,'यू ' रखने लगा हर मनचला 

घोटू 

मैं गृहस्थन हो गयी हूँ 

अदाएं कम हो गयी है 
शोखियाँ भी खो गयी है 
सदा सजने संवरने की ,
अब रही फुरसत नहीं है 
        रोजमर्रा काम इतने ,
       व्यस्त हरदम हो गयी हूँ 
        मैं गृहस्थन  हो गयी  हूँ 
गए वो कॉलेज के दिन ,
गयी चंचलता चपलता 
मौज मस्ती का वो मौसम ,
आज भी है मन मचलता 
ठेले के वो गोलगप्पे ,
केंटीन के वो समोसे 
बंक करके क्लास,पिक्चर 
देख ,खाना इडली,दोसे 
था बड़ा मनमौजी जीवन, 
उमर थी कितनी सुहानी 
लेना पंगे हर किसी से ,
और करना छेड़खानी 
नित नए फैशन बदलना 
फटी जीने ,टॉप झीने 
आशिकों की लाइन लगती,
तब बड़ी बिंदास थी मैं  
      वो बसंती दिन गए लद ,
       सर्द  मौसम  हो गयी हूँ 
        मैं गृहस्थन हो गयी हूँ 
मस्तियाँ सब खो गयी है ,
हुआ बिगड़ा हाल तब से 
बन के दुल्हन ,आयी हूँ मैं ,
शादी कर ससुराल जब से 
पति मुझमे ढूंढते है ,
अप्सरा का रूप प्यारा 
सास मुझसे चाहती है ,
करू घर का काम सारा  
ससुर की है ये  अपेक्षा ,
बहू उनकी करे सेवा 
ननद ,देवर सभी की ,
फरमाइशें है ,जानलेवा 
सभी को संतुष्ट रखना ,
और सबके संग निभाना 
भूल कर संस्कार बचपन 
के नए रंग,रंग जाना 
       ना रही  मैं एक  बच्ची ,
      अब बढ़प्पन हो गयी हूँ 
      मैं  गृहस्थन हो गयी हूँ 
एक तरफ प्यारे पियाजी ,
प्यार है  अपना  लुटाते 
एक तरफ कानो में चुभती ,
सास की है कई बातें 
नवविवाहित कोई दुल्हन ,
उमंगें जिसके हृदय में 
सहम कर सब काम करती,
गलती ना हो जाय,भय में 
कुशलता से घर चलाना ,
बढ़ी जिम्मेदारियां है 
अचानक बिंदासपन पर,
लग गयी पाबंदियां है 
संतुलन सब में बिठाती ,
राजनीति  सीखली है 
सभी खुश रहते है मुझसे ,
चाल कुछ ऐसी चली है 
       बात पोलाइटली  करती,
        पॉलिटिशियन हो गयी हूँ 
       मैं गृहस्थन हो गयी  हूँ 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-