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गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

कढ़ी-चाँवल

          कढ़ी-चाँवल 

ऐसी चढ़ी है उन पे जवानी की रौनके ,
                            उनका शबाब हम पे सितम ढाया करे है
कहते हैं चिकने चेहरे पे ,नज़रें है फिसलती ,
                             अपनी नज़र तो उन पे जा ,टिक जाया करे है
वो देख हमारा बुढ़ापा ,मुंह सिकोड़ते  ,
                              हम   देख उनकी जवानी ,ललचाया करे है
खिलते हुए चांवल सा उजला रूप देख कर ,
                              बासी कढ़ी भी फिर से  उबल  जाया करे है

घोटू

कांग्रेस का आत्मचिंतन

        कांग्रेस का आत्मचिंतन

आरती उतारते थे जो कभी ,
                        उनने इज्जत देखलो उतार ली
उनके हक़ को हमने मारा था बहुत ,
                        मिला मौका ,उनने डंडी  मार ली
मेट्रो और फ्लाई ओवर बनाये ,
                          दिल्ली की सूरत बड़ी निखार ली
अर्श से हम फर्श पर है आ गिरे ,
                           हमने सारी ज़हमतें बेकार ली
नब्ज ना पहचानी हमने वक़्त की ,
                            सीख ना कुछ समय के अनुसार ली
झगड़ते हम यूं ही आपस में रहे,
                             और देखो,उनने बाज़ी   मार ली
हम तो फंस के रह गए मंझधार में,
                              और उनने लगा नैया   पार ली
समझा था ,अदना बहुत अरविन्द को ,
                              झाड़ू ने सीटें  सभी बुहार ली

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

दूल्हे से


                  दूल्हे से  

सजा सेहरा ,चेहरे पर,अकड़ कर घोड़ी चढ़ा ,
                    शेरवानी पहन कर के शेर बन इतरा रहा
आज के ही दिन दिखाले ,अपनी सारी हेकड़ी ,
                    जिंदगी भर,बनके गीदड़ ,करेगा हूहां हूहां

  घोटू

जनता मारती है वोटों से

        जनता मारती है  वोटों से

पोलिस मारती है सोठों से
रईस     मारते  है नोटों से
बड़ी अदा से मुस्करा कर के ,
हसीन ,मारते है होठों  से
बड़ी जालिम ये मार होती है ,
मज़ा आता है इनकी चोंटों से
 राजनीति ये एक जुआ है,
शकुनी मारते है गोटों से
रोज ही चेहरा बदलते है ,
चाहिए बचना इन मुखोटों से
चुनाव हार बोले नेताजी ,
जनता मारती है वोटों से

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

लद रहा हिन्दुस्तान....


गाय भैंस बकरी और लिये साइकिल
लद रहा हिन्दुस्तान यहां वहां आये दिन

रेल अपने बाप की पटरी उखाड़ लेव
काहे की है मुश्किल घर मा बिछाय देव

सब जगह भीड़ है का करे जनता
जल्दी बनाय लेव काम जैसे बनता

हम मनमानी करें गाली खायँ नेता
गाली नहीं खायेगा तो वोट काहे लेता

देश वेश बाद में काम मेरा पहले
तभी वोट दूंगा वर्ना निकल ले

लेन देन सीख लेव आगे बढ़ि जाओ
नाही घरे बैठि के खाली पछताओ

ज्यादा पढ़े लिखेगा तो नौकरी पायेगा
तीन - पांच आयेगा तो देश चलायेगा

कुछ नहीं आता तो बाबा बन जा रे
राम के नाम पर ऐश कर प्यारे

लगा घोर कलियुग कह रहे चर्चित
जितना हो धन बल उतने ही परिचित

- विशाल चर्चित

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