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शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

एक से भले दो

पता नहीं किसने कहा था
एक से भले दो
अब बेचारे भले बन गए
दो हो गए,
पगड़ी बाँध के ढूंड रहे
इस मुहावरा कहनेवाले को
कोई अगर कह देता
एक से भले दो
तो ऊपर से निचे तक
पूरा बारूद हो जाते है
जब मेरे सामने आते
मै कह देता एक भला
तो एक दम पूँछ पर खड़े
खार खा जाते मेरी किस्मत से
अब न एक भला कह पाता हु
न दो भला कह पाता हु
भला हो मुहावरे वालो का ............अमित

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

प्यार का अंक गणित २+२ =१ या १+१ =३

 प्यार का अंक गणित
   २+२ =१ या १+१ =३

दो आँखे जब दो आँखों से मिलती तो मिल जाते है मन
दो लब जब दो लब से टकराते हैं तो बंध जाता बंधन
दो बाहें जब दो बाहों से बंधती तो होता  आलिंगन
तो फिर ये दो ,दो ना रहते ,एक हो जाते इनके तन मन
ये जीवन का अंक गणित भी ,बिलकुल नहीं समझ में आता 
दो और दो मिल ,चार न बनते,उत्तर सिरफ एक है आता 
साथ समय के ,मधुर मिलन ये ,एक तीसरा प्राणी लाता
एक नया ही समीकरण फिर,एक और एक ,तीन बन जाता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

चार का चक्कर- चार चौके

      चार का चक्कर- चार चौके
                         १
लोग  यह क्यों कहते है कि जिन्दगी है चार दिन
फिर अंधेरी रात होगी ,चांदनी   है चार  दिन
आरजू में कटे  दो दिन,और दो इन्तजार में,
उम्रे दराज मांग के ,लाये थे केवल चार दिन
                         २
चार दिन की बात ये लगती मुझे बेकार है
अमावस को छोड़ कर के ,चांदनी हर बार है
जिन्दगी में सबसे ज्यादा ,हसीं आता दौर तब,
जब हसीना दिलरुबां से ,आँख होती चार है
                       ३
नींद आती चैन से जब,चारपाई पर पड़े
कुर्सियों पर चार पावों की,उमर भर हम चढ़े
और जब रुखसत हुए तो ,चार काँधे ही मिले,
चार के चक्कर में हम तो जिन्दगी भर ही पड़े
                       ४
चार मिलते यार होती जिन्दगी गुलज़ार है
चार खाने चित्त करती आदमी को हार  है
आपके व्यक्तित्व में ,लग चार जाते चाँद है,
चार पैसे आ गए तो लोग करते प्यार है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

परिवर्तन

         परिवर्तन

शिखर ,
जो कभी ज्वालामुखी बनकर
वासना की आग को धधकाते है
समय के साथ ,
वो ही दिनरात
वातसल्य की गंगा यमुना बहाते है
जब भी आता है नवजीवन
लाता है कितने परिवर्तन

घोटू

aajo hmar yad ba by akhand gahmari

डुबुकिया बगिया में खेली कबडीया
आज ले हमरा याद बा
मठीया केण्‍ण्‍ण्‍ उ दौराई
आज ले हमरा याद बा
तीरे जा के उपरा से कूदी
बाबा के पौरावल याद बा
जाई सिवना गईया दूहल
आज ले हमारा याद बा
गउवा के कौनो मुरना होखे
नाइया खेवल याद बा
हाका बाजी पर झिझरी खेलल
आज ले हमारा याद बा
कौनेा बतइयिा पर हमरा के
बाबू के मरईया याद बा
जाके लुकाई आजी के पिछवा
आज ले हमारा याद बा
मेलवा देखे के खातिर बाबा के
दिहल 10 पैइसवा याद बा
हाफ पजामा पहीन के हाई स्‍कूलीया
में गइल आज ले याद बा
गउवा के जरीह स्‍कूलीय में
5 ले पढका याद बा
कैसे मारस बंशीधर उ
आज ले हमारा याद वा
साझ रोज गमछी में लेके
दनवा खाइल याद बा
दुअरा पर बैठ के बाबा के पीयल
हुक्‍का आज ले याद बा
बैठ के माई के उ चुलिहा तर
रोटीया सेकल याद बा
रसता निहोर प्रेम से मातल
अखिया हमारा याद बा
केतना बताइ ये अखंड बचवा
का का हमरा याद
अब कहवा मिली अब कैसे मिली
जौन जौन हमरा याद बा
गइल जमाना कबो ना लौटी
याद में बस रहजाइ उ
रहे हमर गॅाव सलामत
अखंड के सबके प्रणाम बा

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