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शुक्रवार, 7 जून 2013

बुजुर्गों का आशीर्वाद

                  
                       बुजुर्गों का आशीर्वाद 

प्रगति पथ पर जब भी बढ़ता आदमी ,
                        चढ़ने लगता तरक्की की सीढियां 
एक उसके कर्म से या भाग्य से ,
                         जाती है तर ,कई उसकी  पीड़ियाँ 
बनाता पगडंडियो को है सड़क ,
                         साफ़ होती राह जिसके काम से 
उसकी मेहनत का ही ये होता असर ,
                          सबकी गाडी  चलती  है आराम से 
बीज बोता ,उगाता है सींचता ,
                            वृक्ष होता तब कहीं फलदार  है 
खा रहे हम आज फल ,मीठे सरस ,
                             ये बुजुर्गों का दिया  उपहार  है 
आओ श्रद्धा से नमाये सर उन्हें ,
                               आज जो कुछ भी है,उनकी देन है 
उनके आशीर्वाद से ही हमारी ,
                                जिन्दगी में अमन है और चैन  है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'     

गुरुवार, 6 जून 2013

प्यार की बरसात करदे

      
        प्यार की बरसात करदे 

छा रहे बादल घनेरे 
पास आकर मीत मेरे 
घन भले ,बरसे न बरसे ,प्यार की बरसात कर दे 
चाँद बादल में छुपा है 
मुख तुम्हारा चंद्रमा है 
चांदनी में नहा कर हम,सुहानी ये रात  कर दें 
उष्म मौसम है ,उमस है 
बड़ी मन में कशमकश है 
पास आओ,साथ मिल कर,पंख फैला कर उड़े हम 
मै हूँ पानी ,तुम हो चन्दन 
बाँध कर बाहों का बंधन 
एक दूजे में समायें, एक दूजे संग  जुड़े  हम 
हर तरफ बस प्यार बरसे 
प्रीत की मधु धार बरसे 
हवाएं शीतल बहे और हो हरेक मौसम सुहाना 
पुष्प विकसे,मुस्कराये 
बहारे हर तरफ  छाये 
और भवरे गुनगुनाये ,प्यार का मादक खजाना 
मिलन रस में माधुरी है 
जिन्दगी खुशियाँ भरी है 
जिन्दगी महके सभी की ,कोई ऐसी बात कर दें 
छा रहे बादल घनेरे 
पास आकर मीत मेरे 
घन भले बरसे न बरसे ,प्यार की बरसात कर दें 

 मदन मोहन बाहेती 'घोटू'     

आज तुम जब नहाई होगी

       आज तुम  जब नहाई होगी 
       
                          आज तुम जब नहाई  होगी 
देख खुद को आईने में ,मुदित हो मुस्काई होगी 
                           आज तुम जब नहाई होगी 
विधी ने  तुम पर् लुटाया ,रूप का अनुपम खजाना 
किया घायल सैकड़ों को ,बनाया पागल दीवाना 
गुलाबों की मधुर आभा ,गाल पर तेरे बिखेरी 
बादलों की कालिमा सी ,सजाई जुल्फें घनेरी 
और अधरों में भरी है,सुधा संचित  प्रेम रस की,
आईने में स्वयं का चुम्बन किया ,शरमाई होगी 
                             आज तुम जब नहाई होगी 
कदली के स्तंभ ऊपर ,देख निज चंचल जवानी 
डाल चितवन,स्वयं पर तुम हो गयी होगी दीवानी 
देख  अमृत कलश उन्नत,बदन की  शोभा  बढाते 
झुका करके नज़र देखा उन्हें होगा ,पर लजाते 
भिन्न कोणों से निहारा होगा निज तन के गठन को ,
संगेमरमर सा सुहाना ,बदन लख, इतराई  होगी 
                             आज तुम जब नहाई होगी 
पडी ठंडी जल फुहारें ,मगर ये तन जला होगा 
स्वयं अपने हाथ से जब बदन अपना मला होगा 
स्निग्ध कोमल कमल तन से बहा होगा जल फिसल कर 
चाहता था संग रहना  ,मगर टिक पाया न पल भर 
रहा सूखा तौलिया ,तन रस न पी पाया अभागा ,
किन्तु खुश स्पर्श से था ,तुमने ली  अंगडाई होगी 
                                आज तुम जब नहाई होगी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 5 जून 2013

आओ पर्यावरण बचाएं

पर्यावरण दिवस पर विशेष 
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        आओ पर्यावरण बचाएं 
जबसे भार्या वरण  किया है,
                  और  बंधा वैवाहिक बंधन 
मस्ती भरे स्वच्छ जीवन में ,
                   चिंताओं का  बढ़ा प्रदूषण 
धुल धूसरित हुई हवाएं,
                   मुश्किल लेना सांस हो गया 
खर्चे है हो गए चोगुने ,
                    जीवन में अब त्रास  हो गया 
नित्य नित्य नूतन फरमाईश ,
                    मेरी जेब प्रदूषित करती 
कितनी करे सफाई कोई,
                      मुश्किल हर दिन दूनी बढ़ती
लोभ मोह और कपट क्रोध का,
                       इतना  कचरा इसमें डाला 
निर्मल  स्वच्छ धार गंगा की,
                       आज रह  गयी बन कर नाला    
मुक्त करें इसको कचरे से ,
                         निर्मल,सुन्दर, स्वच्छ बनाएं 
         आओ,पर्यावरण  बचाएं 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 4 जून 2013

रसीले रिश्ते

            रसीले  रिश्ते 
            
                       
               पत्नी 
पत्नियाँ ,फ्रिज में रखी ,घर की मिठाई 
जब भी जी  चाहे ,गरम कर,जाए खायी  
प्यार करती तो लगे मख्खन मलाई 
 सर्दियों से बचाती ,बन कर रजाई 
                 साली 
सालियाँ तो जलेबी ,गरमागरम है 
स्वाद पाने,बनना पड़ता ,बेशरम है 
टेडी मेडी ,रस भरी है, अटपटी  है 
मगर सुन्दर,शोख ,चंचल,चटपटी है 
                 साला 
पत्नी जी का भाई जो होता है साला 
बड़ा तीखा ,तेज है इसमें  मसाला 
अनुभवी जो लोग है ,सब ये कहे है 
इसे खुश रख्खो तो बीबी खुश रहे है 
            सास-ससुर 
सास का अहसास होता बड़ा प्यारा 
जिसे है दामाद ,बेटी से दुलारा 
और ससुर के साथ सुर में सुर मिलाओ 
पत्नी भी खुश,लुफ्त जीवन का उठाओ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'                  

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