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सोमवार, 18 मार्च 2024

मैं फिट हूं 


उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 

फिर भी कुछ ना कुछ तकलीफें ,

हो जाती  इक्का दुक्का है 


उम्र जन्य सारी बीमारी ,

सबको होती, मुझको भी है 

अब चलने पर घुटने भारी 

सबके होते, मेरे भी हैं 

थोड़ा ऊंचा भी सुनता हूं 

आंखों में है धुंधलापन भी 

याददाश्त भी साथ में देती

हाथ पांव में बचा न दम भी 

लेकिन मैंने कमजोरी को ,

लोगों के आगे ढक्का है 

उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


मंद हो गई पाचन शक्ति 

और भूख भी लगती कम है 

ज्यादा चललो ,सांस फूलती 

कमजोरी का यह आलम है 

काम धाम ना कुछ करने को 

डूबा रहता हूं आलस में 

ज्यादा कोई परिश्रम करना 

रहा नहीं अब मेरे बस में 

चुस्ती फुर्ती सभी खो गई 

तन रहता थक्का थक्का है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


हुई भूलने की बिमारी,

याद न रहते नाम किसी के 

याद मगर आते रहते हैं 

यौवन के दिन हंसी खुशी के 

बच्चे मेरी बात न सुनते 

घर में मेरी ना चलती है 

मैं मिठाई का प्रेमी लेकिन

खान-पान पर पाबंदी है 

फिर भी मैंने पकवानों को 

चुपके चुपके से चख्खा है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 6 मार्च 2024

होली का त्योहार 


आओ आओ मनाए सब यार 

प्यार से होली का त्यौहार

रंगों के संग खुशियां बरसे,

उड़े अबीर गुलाब 

मनाएं होली का त्यौहार 


यह प्यारा त्यौहार रंगीला 

हर कोई है नीला पीला 

धूम मच रही है बस्ती में 

झूम रहे हैं सब मस्ती में 

आपस में कोई भेद नहीं है 

जीवन का आनंद यही है 

ले पिचकारी, सभी कर रहे

 रंगों की बौछार 

मनायें होली का त्यौहार



रात होली का दहन किया था

बैर भाव सब जला दिया था 

नारायण का नाम लिया था 

प्रभु भक्त प्रहलाद जिया था 

इस खुशी में रंग बरसा कर 

खुश होकर के, हंसकर गाकर 

भाईचारा मेलजोल से 

है आनंद अपार 

मनाएं होली का त्यौहार 


ऐसा प्यार फाग है आया

घर-घर में अनुराग है लाया 

आज सभी पर रंग चढ़ा है

मतवाला अनंग चढ़ा है 

एक दूजे पर रंग लगाते 

सबसे मिलते हंसते गाते 

मस्ती में सारी बस्ती है

 रंगों से गुलजार 

मनाएं होली का त्यौहार


मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

कभी खुद से भी प्यार करके देखो 

आप पत्नी से प्यार करते हो, करो 
आप बच्चों से प्यार करते हो, करो 
आप परिवार से प्यार करते हो,करो 
आप मित्रों से प्यार करते हो, करो 
पर इन सब पर प्यार लुटाने के चक्कर में कभी भी नहीं झांकते हो अपने अंदर में कभी स्वयं पर भी उपकार करके देखो कभी खुद से भी तो प्यार करके देखो

पत्नी को नई साड़ी चाहिए ,दिलवा दोगे बच्चों को नए खिलौने चाहिए , ला दोगे परिवार की जरूरत पर सदा जोर दिया है क्या अपनी बनियान के छेदों पर गौर किया है 
कभी खुद के लिए भी नए सूट सिलवाओ अपने लिए ब्रांडेड स्पोर्ट्स शूज ले आओ आज तक तुमने दिन-रात खट कर जो कमाया है 
क्या कभी थोड़ा सा उसका सुख उठाया है ठेले पर ₹10 के पांच गोलगप्पे खाकर खुश हो जाते हो 
किसी पांच सितारा होटल में लंच क्यों नहीं खाते हो 
तुमने एक दो छोटे तीर्थ करके जिंदगी गुजार दी है 
जरा खोह से निकल कर देखो ये दुनिया कितनी बड़ी है 
भगवान ने यह दुनिया बनाई है इतनी सुंदर और तुम सिमट कर रहते हो चार दिवारी के अंदर
कभी पंख लगा कर हवाई जहाज में भी उड़ो
हिल स्टेशन पर जाकर बर्फीले पहाड़ों से भी तो जुड़ो 
देश-विदेश की सैर करो, वहां की संस्कृति को जानो
ईश्वर ने जो इतनी बड़ी दुनिया बनाई है,,
उसे पहचानो 
जो इतना कमाया है खुद पर भी खर्च करो, मजा लो 
बुढ़ापे में जीवन का सारा आनंद उठा लो वरना जब ऊपर जाओगे तो ऊपर वाला पूछेगा 
जो मैंने इतनी बड़ी दुनिया बनाई है तुमने क्या देखा 
तुम्हारे पास जवाब ना होगा तो वह खफा होकर 
फिर से एक बार भेज देगा तुम्हें धरती पर और तुम फिर मृत्युलोक के 84 के चक्कर में फंस जाओगे 
तुम्हें मोक्ष नहीं मिल पाएगा और ना भवसागर तर पाओगे
इसलिए जितना भी हो सके, घूमो, फिर कर के देखो
खुद पर भी खर्च करो,खुद से प्यार करके देखो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

आज मेरा जन्मदिन है


आज मेरा जन्मदिन है ,

आज मैं पैदा हुआ था

कोख से मां की निकल कर,

धरा को मैंने छुआ था 


निकले थे मेरे गले से 

सबसे पहले रुदन के स्वर 

मैं था रोया,खुश हुई मां,

जिंदगी में प्रथम अवसर 

मुझे चपटा, अपने सीने से 

बहुत प्रमुदित हुई वो

सहला ममता भरे हाथों 

से थी आनंदित हुई वो

आंख पहली बार खोली 

माता का चेहरा दिखा था 

मधु से मेरी जुबान पर 

*ओम*पापा ने लिखा था 

गोद में मुझको लिया था 

और चूमा मेरा माथा 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था 


मां  ने कांधे से लगाया ,

कभी गोदी में सुलाया

भूख लगती, जो मैं रोता 

पान स्तन का कराया

झुलाती थी पालने में 

लोरियां मुझको सुनाती 

करता जब गीला बिछौना 

सूखे में मुझको सुलाती 

मां ने मुझको पालने में 

प्यार था सारा लुटाया 

पकड़ कर के मेरी उंगली 

मुझको था चलना सिखाया 

सफलता सोपान चढ़ने,

रहा आशीर्वाद मां का 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था 


संग समय के ,एक पादप 

की तरह विकसित हुआ मैं

स्नेह से माता-पिता के 

हमेशा सिंचित हुआ मैं

बड़ा आगे ,प्रगति पथ पर 

लगी ठोकर ,चोट खाया 

प्यार से मां ने संभाला 

हौसला मेरा बढ़ाया 

किया मेरा पथ प्रदर्शन 

सफलता की कामना की 

आज जो कुछ भी बना हूं,

मेहरबानी है यह मां की 

किये हैं उपकार इतने 

मैं कभी ना भूल पाता 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

पूंछ अब बाकी है 


हाथी तो निकला यार , पूंछ अब बाकी है 

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी है


ऊपर नीचे ,नीचे ऊपर 

पग पग हमने खाई ठोकर 

किसी गैर ने प्यार लुटाया ,

ठगा किसी ने, अपना होकर 

हम गिर,संभले हर बार, पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार,

पूंछ अब बाकी है


चली सवारी ,सदा शान से 

दम न किसी में था जो रोके 

हमको कोई फर्क पड़ा ना ,

चाहे कितने कुत्ते भोंके 

हम बढ़ते रहे चिंगाड़,

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार,

पूंछ अब बाकी है 


बने इंद्र के कभी ऐरावत 

पूजित हुए गजानन प्यारे

कभी सूंड में पानी भर कर,

लक्ष्मी जी के पांव पखारे 

किया कितनों का उद्धार

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी  है


बाकी बचा पूंछ सा जीवन 

अब मस्ती से काटेंगे हम 

मोह माया को छोड़ जियें हम 

करते रहे प्रभु का सिमरन 

करेंगे भवसागर को पार,

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी है


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

दर्शन करने राम का,चलो अयोध्या धाम 

प्रीत लगा लो राम से,बन जाएंगे काम 


राम है सबके स्वामी 

राम है अंतर्यामी 

राम है सबको प्यारे 

राम है तारण हारे 

राम है भाग्य विधाता 

राम है मुक्ति दाता 

राम है राजीव लोचन 

राम है संकट मोचन 

राम सुमरन फलदायक 

राम है सबके नायक 

राम की छवि है सुंदर 

राम पूजित है घर-घर 

राम आदर्श पुरुष है 

हाथ में लिए धनुष है 

राम है राक्षस हंता

बचाए साधु संता 

राम है दशरथ नंदन 

राम का करिए वंदन 


आज्ञा मानी पिता की, चले गए बनवास 

राजपाठ को छोड़कर,अपनाया सन्यास 


राम का नाम धन्य है

न इन सा कोई अन्य है

हुआ जो नहीं राम का 

रहा ना किसी काम का 

राम कौशल्या नंदन 

राम है कष्ट निकंदन 

राम सुख शांति दाता 

राम लक्ष्मण के भ्राता 

राम जी सियापति है 

राम बिन नही गति है 

राम का नाम पुकारो

साथ हनुमान पुकारो 

पवनसुत पीड़ हरेंगे

दूर सब कष्ट करेंगे 

राम के गुण तुम गाओ 

कृपा हनुमत की पाओ 

सुखों में होगी वृद्धि 

मिलेगी रिद्धि सिद्धि 


परम भक्त हैं राम के, अंजनी पुत्र हनुमान

बसते जिनके हृदय में,मां सीता और राम


राम है धर्म परायण 

राम ने मारा रावण 

ताड़का मारी उनने

अहिल्या तारी उनने 

बेर शबरी के खाए 

राज्य सुग्रीव दिलाए 

सफल जो जीवन करना 

राम को सदा सुमरना

राम का नाम पुकारो 

सुबह और शाम पुकारो 

राम का कीर्तन कर लो 

पुण्य से झोली भर लो 

राम में अद्भुत शक्ति 

करो तुम उनकी भक्ति 

राम की करो तपस्या 

रहे ना कोई समस्या 

हमारे रामलला है 

सभी का करे भला है 


सच्चे मन से लगाओ,राम नाम से नेह

चौरासी तर जाओगे ,बिना किसी संदेह


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 22 जनवरी 2024

मुंबई और रजाई 


पिछले हफ्ते मैं गया था मुंबई 

वहां का मौसम था  सुरमई 

दिल्ली की सर्दी थी कंपकंपाती

वहां की धूप थी मन को भाती 

दिल्ली में अलाव जलते थे 

वहां पर दिन रात पंख चलते थे 

दिल्ली में लड़कियां गर्म कपड़ों में बदन छुपाती थी 

वहां पर लड़कियां हॉट पेंट में नजर आती थी 

हफ्ते भर मुंबई के मौसम का मजा उठाया फिर 26 डिग्री की मुंबई से 6 डिग्री की दिल्ली में लौट आया 

फिर आकर दिल्ली का मौसम का स्वाद चखा

 रजाई में दुबक कर आया बहुत मजा 

दिल्ली का सर्दी का आनंद ही निराला है रजाई के सुख से महरूम रहता मुंबई वाला है

 रजाई का सुख अवर्णनीय है, अनोखा है

यह वही जान पता है जिसने रजाई में घुसकर ये सुख चखा है 

मन को रोमांचित करते हैं दिल्ली की सर्दी के अफसाने 

क्या होता है रजाई का सुख ,यह मुंबई वाले क्या जाने 


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 18 जनवरी 2024

तुम जंक फूड को ना बोलो


खाओगे ज्यादा तला भुना

मीठा गरिष्ठ अवगुणकारी 

चर्बी तन पर चढ़ जाएगी 

फूलेगी काया तुम्हारी 

इसलिए बहुत आवश्यक है 

तुम जंक फूड को ना बोलो 

हर सुबह शाम थोड़ा घूमो 

बैठे न रहो , हालो डोलो 

अच्छा लगता हो जिव्हा को

 चाहे मन के माफिक रहे 

पर त्याग करो उस खाने का 

जो सेहत को ना ठीक रहे 

मौसम के मुताबिक खान-पान

करना ही सदा उचित होता 

होता है जो सुपाच्य भोजन 

जब सादा और संतुलित होता 

यह जिव्हा बड़ी चटोरी है

इस पर लगाम है आवश्यक

मीठा न खाए,लेकिन मीठा,

बोले कोशिश करो भरसक 

मनभावन हो और गुणकारी 

वह खाना खाने मुंह खोलो 

इसलिए बहुत आवश्यक है 

तुम जंक फूड को ना बोलो


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 7 जनवरी 2024

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बुधवार, 3 जनवरी 2024

उड़ी उड़ी नींद


पुरानी स्मृतियां ,

जब सपन बन ,

मन से जुड़ सी गई 

नींद ,कुछ उड़ सी गई 


बीते बरस की,

यादों का कोहरा 

जब छटने लगा 

प्राची में ,

नए वर्ष का सूरज 

दमकने लगा 

नई-नई आशायें 

मन में 

उमड़ सी गई 

नींद, कुछ उड़ सी गई 


चटकती कलियों का  

पाकर के 

प्रेम भरा निमंत्रण 

तितलियां उड़ने लगी,

उत्साहित भ्रमरों का 

शुरू हो गया गुंजन 

मिलन की संभावनाएं 

थोड़ी बढ़ सी गई 

नींद कुछ उड़ सी गई


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

 तिरासिवें जन्मदिन पर


मुश्किलों से नहीं मानी हार मैंने 

सभी पर जी भर लुटाया प्यार मैंने

जिंदगी की जंग को लड़ना कठिन था,

पर किसी से नहीं ठानी रार मैंने 

अग्रसर होता गया कर्तव्य पथ पर,

रहा हंसता, आई ना मुख पर उदासी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रख कर,

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


अपने माता-पिता की आशीष पायी 

दोस्तों की दुआओं की, की कमाई 

प्यार जी भर कर लुटाया भाइयों ने ,

और बहनों से सदा राखी बंधाई

करी सेवा मेरे बच्चों ने हमेशा 

और पत्नी ने लुटाई प्रेम राशी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर 

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


भयंकर बिमारी ने था जब सताया 

दुआओं से सबकी जीवन नया पाया

छलके आंसू आंख से मेरे कभी तो 

सांत्वना दे , सभी ने ढाढस बंधाया  

सच्चे दिल से ख्याल मेरा रखा हरदम,

नहीं आने दी शिकन मुंह पर जरा सी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर  

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


चाहता हूं जब तलक मैं रहूं जिंदा 

भूल कर भी किसी की ना करूं निंदा 

मदद सबकी हो सके मैं करूं उतनी 

रहूं उड़ता प्यार का बनकर परिंदा 

रहूं करता खुशी की बरसात हरदम 

प्रेम मेरा कभी भी ना पड़े  बासी 

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये 

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


मदन मोहन बाहेती घोटू

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

शिकायत  तकिये की


कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा 

बस रजाई ही तुमको प्यारी

 प्यार न करते मुझे जरा सा 


वह तो सर्दी की साथिन है 

मैं साथी हूं बारहमासी

बनकर तुम्हारा सिरहाना 

मेहनत करता अच्छी खासी 


जब तुम बिस्तर पर सोते हो 

सर तुम्हारा ऊंचा रखता

तुमको लेने नींद चैन की 

पड़ती मेरी आवश्यकता 


कभी भींच लेते बाहों में

या छाती से चिपकाते हो 

या फिर दबा बीच टांगों के 

एक नया सा सुख पाते हो 


करते हो उपयोग हमेशा 

जैसे तुम्हारा दिल करता 

हरदम सेवा में रह हाजिर 

नहीं कभी मैं नखरे करता 


सोते तुम मुझ पर सर रखकर 

या अपनी बाहों में भरकर 

में हूं हर मौसम का साथी 

मेरा मिलन हमेशा सुखकर 


तुम्हें रजाई जकड़ा करती 

लेकिन मुझे जकड़ते हो तुम 

मुझे बना हथियार प्यार का

भाभी जी से लड़ते हो तुम 


जब भी कभी लेटते हो तुम

मेरे बिन ना सो पाते हो 

मैं इतना सुख देता हूं पर 

गुण रजाई के तुम गाते हो 


सौतेला व्यवहार तुम्हारा 

मुझको नहीं पसंद जरा सा 

कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा


मदन मोहन बाहेती घोटू

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