एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

कुकुर अभिनंदन 

मैंने एक कुत्ते से पूछा 
हे पशु श्रेष्ठ 
पालतू जानवरों की श्रेणी में तुम हो बेस्ट तुम्हारे चाहने वाले तुम्हें इतना प्यार करते हैं 
कि अपनी पत्नी को खुला छोड़ देते हैं पर तुम्हारे गले में पट्टा बांधकर रखते हैं यह पट्टा नहीं, उनके प्यार का बंधन है तुम्हारा अभिनंदन है 

हे अनजान आगंतुकों को देखकर भौंकने वाले पशुवर 
आप रहते हैं जिस घर पर 
वहां जाने में सबको लगता है डर मेजबान को 
मेहमानो को घर के द्वार तक 
लेने और विदा करने स्वयं जाना पड़ता है ना चाहते हुए भी इस औपचारिकता को निभाना पड़ता है 

 हे दुम हिलाते कुकुर भाई 
तुमने भी क्या किस्मत है पाई 
बड़े-बड़े सुंदर बंगले में रहते हो तुम 
रोज सवेरे तुम्हें घूमाते साहब मैडम 
तुम प्राणी हो स्वेच्छाचारी
उनके बेडरूम तक सीधी पहुंच तुम्हारी गोरी गोरी सुंदर मांसल
 मेमों साहबों की गोदी का 
निर्मल सुख तुम नित पाते हो 
उनके साथ बड़ी कारों में सदा घूमने तुम जाते हो 
तुम हरदम चौकन्ने रहते 
तुम्हारी तीखी सी नजरें 
करती घर की देखभाल है 
और तुम्हारी स्वामी भक्ति बेमिसाल है 

हे प्यारे कुकुर महोदय 
तुम्हें देखकर सबको ही लगता है भय जब खुल्ले में रहते हो सामान्य पशु बन बड़ी शान से गली मोहल्ले में चलता तुम्हारा शासन 
तुम्हारा काटा पानी भी नहीं मांगता 
उसे लगाने पड़ते हैं चौदह इंजेक्शन 

हे कुत्ते जी
साथ गली में जब मिलजुल कर 
शोर मचाते हो तुम तीखा 
ऐसा लगता तुम तो गुरु हो नेताओं के 
संसद और विधानसभा में 
शोर मचाना और चिल्लाना तुमसे सीखा 
इसीलिए जब न्यायालय ने 
तुम्हारे हल्ले और हमले के कारण 
तुम्हें जेल में भिजवाने का आदेश सुनाया तुम्हारे प्यारे चेले इन नेताओं ने 
तुम्हें बचाया 
करो शुक्रिया इनका 
इनने निज कर्तव्य निभाया 

हे श्वान सुज्ञानी 
बात पुरानी है लेकिन है जानी-मानी साथ युधिष्ठिर गए स्वर्ग थे तुम विमान मे, तुम दुनिया के पहले पशु प्राणी 
रूस देश ने पहला जीव
अंतरिक्ष में जो भेजा था 
तुम्हारी फीमेल नस्ल थी 
और उसका था नाम लाइका 
देशभक्ति में और सेना में 
कद्र तुम्हारी की जाती है
 तुम्हारी सूंघने की शक्ति 
 बदमाशों को पकड़वाती है 
सच श्वान जी तुम महान हो 
इस धरती की बड़ी शान हो 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 21 सितंबर 2025

हम जन्मदिन मनाएं 

जीवन के बचे कुछ दिन 
चल रहा प्रहर अंतिम 
सर पर सफेदी छाई 
देता है कम दिखाई 
सुनते हैं थोड़ा ऊंचा 
जर्जर है तन समूचा 
हालात दिल की खस्ता
 हाथों में ले गुलदस्ता 
क्यों ना मिठाई खाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

थोड़ा बचा है ईंधन 
गाड़ी चलेगी कुछ दिन 
फिर भी रहें चलाते 
और रह कर मुस्कुराते 
हम केक भी काटेंगे 
और सबको ही बाटेंगे 
जब तक है जिंदा थोड़े 
जिंदादिली ना छोड़े 
सबको गले लगाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

जीवन की आपाधापी 
कर लिया काम काफी 
मस्ती का आया मौसम 
आराम कर रहे हम 
आए हैं ऐसे दिन अब
 अपनी कमाई दौलत 
अपने पर करें खर्चा 
चारों तरफ हो चर्चा 
खुशियों के नाच गाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

यारों के साथ मिलके  
करें शौक पूरे दिल के 
रंगीन यह खुदाई 
ईश्वर ने है बनाई 
दुनिया की सैर कर ले 
खुशियों का ढेर भर ले 
अरमान सब अधूरे 
जल्दी से कर ले पूरे 
मस्ती से पियें खायें 
हम जन्मदिन मनायें 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सच्ची पूजा 

मैंने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 
हीरा समझ तुझे पूजा था
 पर तू तो संगेमर निकला 

 मैने श्रद्धा और लगन से ,
निशदिन सेवा और पूजा की 
चावल अक्षत पुष्प चढ़ाएं 
कर्मकांड कुछ बचा न बाकी 
मैंने सुना था दानवीर तू ,
बिन मांगे सब कुछ दे देगा 
लेकिन तूने नहीं कृपा की 
केवल मुझे दिखाया ठेंगा 
कैसे करूं प्रसन्न तुझे मैं 
मैं बस यही सोच कर निकला
मैने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 

मैंने सोचा हो सकता है
 त्रुटियां कुछ मैंने की होगी 
मेरा भाग्य संवर ना पाया 
इसीलिए अब तक हूँ रोगी 
ईश्वर प्यार उसे करता है 
प्यार करे जो उसके जन को 
दीन दुखी की सेवा करना 
अच्छा लगता है भगवन को 
बात समझ में जब आई तो 
मैं फिर राह बदल कर निकला 
 मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मैंने तेरी सेवा से बढ़ 
ध्यान दिया दीनों दुखियों पर 
प्यासे को पानी पिलवाया 
और भूखों को भोजन जी भर 
तृप्त हुई जब दुखी आत्मा 
उन्हें दी आशीषें जी भर 
खुशियां मेरे आंगन बरसी 
मेरे संकट सभी गए टल 
मेरी व्याधि दूर हो गई ,
फल इसका अति सुंदर निकला 
मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 20 सितंबर 2025

यह जाना बुढ़ापे में 

कौन पराया कौन है अपना 
कौन प्यार करता है कितना 
बड़ी स्वार्थी ,दुनिया सारी 
है दिखावटी ,रिश्तेदारी 
सब है मतलब के यार 
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

बीत गए दिन जब जवान था 
हर कोई मुझ पर मेहरबान था 
कुछ ना कुछ मुझे पाते थे 
हरदम मेरे गुण गाते थे 
प्रभु कृपा से धन दौलत थी 
खुल्ले हाथ मदद की सबकी 
स्रोत संपत्ति का सूख रहा अब 
हर कोई मुझसे रूठ रहा अब 
बदल रहा व्यवहार सभी का 
दुनियादारी ,अब मैं सीखा 
जब खाई उन्हीं से मार,
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

हुआ कभी गर्वित मैं थोड़ा 
कोई का दिल मैंने तोड़ा 
मुझ में आया कभी अहम था 
अब जाना वो सिर्फ बहम था 
भले बुरे सब हालातो में 
तुम शालीन रहो बातों में 
बिगड़े नहीं किसी से रिश्ते 
रहो सभी से मिलते जुलते 
कभी किसी पर क्रोध न जागे 
टूटे नहीं प्रेम के धागे 
सुख के पल हो या दुख मातम 
प्रभु का नाम सुमरना हरदम 
एक वही करेगा बेड़ा पार 
ये जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय जय लक्ष्मी माता 

जय जय श्री लक्ष्मी माता 
तू सुख और संपति दाता 
तेरी कृपा दृष्टि जो पाता 
हरदम तुझको शीश नमाता 
थोड़ा मुझ पे भी लुटा दे प्यार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरा भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

तेरी छवि है धन बरसाती 
जल स्नान कराते हाथी 
कमल पुष्प पर तेरा आसन 
हाथ जोड़कर खड़े भक्तजन 
तेरी पूजा करें संसार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरे भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

माता तू है धन प्रदायिनी 
नारायण की अंकशायनी 
शेषनाग पर ,बीच समंदर 
रहती पति सेवा मे तत्पर 
तुझ में सेवा भाव अपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू कर दे मेरा भी उद्धार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

आया शरण तिहारी माते 
मुझ पर कृपा दृष्टि बरसा दे 
मेरे भाग्य को तू चमका दे 
मेरा वैभव खूब बढ़ा दे 
मेरा बेड़ा लगा दे पार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तेरी महिमा अपरंपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

मैया तू है देवी धन की 
तुझ बिन गति नहीं जीवन की 
 तू है , सुंदर परिधान है
तू है, अच्छा खानपान है
तुझे पूजूं में बारंबार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
कर दे मुझ पर भी उपकार 
ओ मैया लक्ष्मी जी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-