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रविवार, 21 सितंबर 2025

सच्ची पूजा 

मैंने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 
हीरा समझ तुझे पूजा था
 पर तू तो संगेमर निकला 

 मैने श्रद्धा और लगन से ,
निशदिन सेवा और पूजा की 
चावल अक्षत पुष्प चढ़ाएं 
कर्मकांड कुछ बचा न बाकी 
मैंने सुना था दानवीर तू ,
बिन मांगे सब कुछ दे देगा 
लेकिन तूने नहीं कृपा की 
केवल मुझे दिखाया ठेंगा 
कैसे करूं प्रसन्न तुझे मैं 
मैं बस यही सोच कर निकला
मैने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 

मैंने सोचा हो सकता है
 त्रुटियां कुछ मैंने की होगी 
मेरा भाग्य संवर ना पाया 
इसीलिए अब तक हूँ रोगी 
ईश्वर प्यार उसे करता है 
प्यार करे जो उसके जन को 
दीन दुखी की सेवा करना 
अच्छा लगता है भगवन को 
बात समझ में जब आई तो 
मैं फिर राह बदल कर निकला 
 मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मैंने तेरी सेवा से बढ़ 
ध्यान दिया दीनों दुखियों पर 
प्यासे को पानी पिलवाया 
और भूखों को भोजन जी भर 
तृप्त हुई जब दुखी आत्मा 
उन्हें दी आशीषें जी भर 
खुशियां मेरे आंगन बरसी 
मेरे संकट सभी गए टल 
मेरी व्याधि दूर हो गई ,
फल इसका अति सुंदर निकला 
मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 20 सितंबर 2025

यह जाना बुढ़ापे में 

कौन पराया कौन है अपना 
कौन प्यार करता है कितना 
बड़ी स्वार्थी ,दुनिया सारी 
है दिखावटी ,रिश्तेदारी 
सब है मतलब के यार 
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

बीत गए दिन जब जवान था 
हर कोई मुझ पर मेहरबान था 
कुछ ना कुछ मुझे पाते थे 
हरदम मेरे गुण गाते थे 
प्रभु कृपा से धन दौलत थी 
खुल्ले हाथ मदद की सबकी 
स्रोत संपत्ति का सूख रहा अब 
हर कोई मुझसे रूठ रहा अब 
बदल रहा व्यवहार सभी का 
दुनियादारी ,अब मैं सीखा 
जब खाई उन्हीं से मार,
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

हुआ कभी गर्वित मैं थोड़ा 
कोई का दिल मैंने तोड़ा 
मुझ में आया कभी अहम था 
अब जाना वो सिर्फ बहम था 
भले बुरे सब हालातो में 
तुम शालीन रहो बातों में 
बिगड़े नहीं किसी से रिश्ते 
रहो सभी से मिलते जुलते 
कभी किसी पर क्रोध न जागे 
टूटे नहीं प्रेम के धागे 
सुख के पल हो या दुख मातम 
प्रभु का नाम सुमरना हरदम 
एक वही करेगा बेड़ा पार 
ये जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय जय लक्ष्मी माता 

जय जय श्री लक्ष्मी माता 
तू सुख और संपति दाता 
तेरी कृपा दृष्टि जो पाता 
हरदम तुझको शीश नमाता 
थोड़ा मुझ पे भी लुटा दे प्यार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरा भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

तेरी छवि है धन बरसाती 
जल स्नान कराते हाथी 
कमल पुष्प पर तेरा आसन 
हाथ जोड़कर खड़े भक्तजन 
तेरी पूजा करें संसार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरे भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

माता तू है धन प्रदायिनी 
नारायण की अंकशायनी 
शेषनाग पर ,बीच समंदर 
रहती पति सेवा मे तत्पर 
तुझ में सेवा भाव अपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू कर दे मेरा भी उद्धार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

आया शरण तिहारी माते 
मुझ पर कृपा दृष्टि बरसा दे 
मेरे भाग्य को तू चमका दे 
मेरा वैभव खूब बढ़ा दे 
मेरा बेड़ा लगा दे पार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तेरी महिमा अपरंपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

मैया तू है देवी धन की 
तुझ बिन गति नहीं जीवन की 
 तू है , सुंदर परिधान है
तू है, अच्छा खानपान है
तुझे पूजूं में बारंबार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
कर दे मुझ पर भी उपकार 
ओ मैया लक्ष्मी जी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 13 सितंबर 2025

कीर्तन ,माता रानी का


नवरात्रि के नव रूपों में,

 भव्य तेरा श्रृंगार 

अपने भक्तजनों पर माता,

सदा लुटाती प्यार 

तेरी महिमा सब ने जानी 

मेरी माता रानी 

मुझ पर कर दे मेहरबानी

 मेरी माता रानी


  जपूं में नाम तेरा दिन रात 

  चाहिए तेरा आशीर्वाद 

  मुझे दे चरण चढ़ा परसाद 

   हमेशा  सर पर रखना हाथ

 मेरे मन में बसी हुई है

 तेरी छवि सुहानी

 मुझ पर कर दे मेहरबानी

 मेरी माता रानी 


तुझको चुनर मै चढ़ाऊ

 तुझको टीका मैं लगाऊं 

तुझे माला मैं पहनाऊं 

तुझपर परसाद चढ़ाऊ 

तेरी आरती उतारू 

अपना सब कुछ तुझ पर वारूँ 

तेरी महिमा जानी मानी

 मेरी माता रानी 

कर दे मुझ पर मेहरबानी 

मेरी माता रानी 


तेरी भक्ति की शक्ति का 

कैसे करूं बखान 

जी करता है माता गाउं 

सदा तेरा  गुणगान 

तेरी शक्ति है निराली 

तू है दुर्गा तू है काली 

देवी तू है खप्पर वाली 

तू ही वैष्णो देवी प्यारी  

भक्त निकलते हैं घर घर से 

तेरे दर्शन को हैं तरसते 

तेरी कृपा दृष्टि है पानी 

मेरी माता रानी 

कर दे सब पे मेहरबानी 

मेरी माता रानी


माता तू सुख शांति दात्री 

तुझको पूजूं मै नवरात्रि 

अपने घर में, कलश धरूं मैं 

पूरे नौ दिन, वरत करूं मैं

श्रद्धा और आस्था भर के 

नौ कन्या का पूजन कर के 

गाउं आरती सुहानी 

मेरी माता रानी 

कर दे सब पर मेहरबानी 

मेरी माता रानी 


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 10 सितंबर 2025

श्राद्ध मनाओ 

जिन पूर्वज पुरखों के कारण पाया यह जीवन है 
जिनके कारण रक्त प्रभावित रग रग में हर क्षण है 
जिनके संचित सत्कर्मों का हम है लाभ उठाते 
उनके पावन श्री चरणों में श्रद्धा सुमन चढ़ाते 
तुम श्रद्धा से श्राद्ध पक्ष में उन्हें नमाओ शीश 
तृप्ति मिलेगी उन्हें स्वर्ग में ,देंगे वह आशीष 
उनकी मरण तिथि अवसर पर ब्राह्मण भोज कराओ 
श्रद्धा से दे दान दक्षिणा, ढेरों पुण्य कमाओ 
नाम तुम्हारे के पीछे है अब भी जिनका नाम 
अपने सभी दिवंगत पुरखों को तुम करो प्रणाम

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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