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सोमवार, 1 सितंबर 2025

प्रभु भवसागर से पार करो 


 हे प्यारे दीनानाथ प्रभो 

काटो मेरे सब पाप प्रभो 

श्री राम राम श्री कृष्ण कृष्ण

करता मैं हरदम जाप प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


मैं मोह माया में फंसा हुआ 

मैं दुख पीड़ा से डसा हुआ 

आया में शरण तिहारी हूं 

और तुम्हें नमाता माथ प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


क्षण क्षण जर्जर होता है तन 

दुनियादारी में उलझा मन 

मैं भटक रहा हूं इधर-उधर 

है अच्छे ना हालात प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


सब पुण्य पाप जीवन भर के 

लाया हूं झोली में भर के 

माफ़ी देना ,दंडित करना ,

सब कुछ है तुम्हारे हाथ प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


मैं भी संतान हूं तुम्हारी 

और तेरे प्यार का अधिकारी 

मेरे सर रख दो हाथ प्रभो 

और दे दो आशीर्वाद प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


तुम भक्तों के दुख करते हो 

और मदद सभी की करते हो 

मैं हाथ जोड़कर मांग रहा 

दो मुझे मोक्ष सौगात प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पर करो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

विश्व पत्र लेखन दिवस पर विशेष

 लाल डब्बे की पीर

ख़ून के आंसू लाल डब्बा रो रहा है 
जुल्म उसके साथ क्या-क्या हो रहा है 

था जमाना रौब जब उसका बड़ा था
चौराहों पर शान से रहता खड़ा था

उसकी लाली करती आकर्षित तभी तो 
खोल कर मुख करता आमंत्रित सभी को

अपने सारे सुखऔर दुख पत्र में लिख 
मेरे मुंह में डाल मुझको करते अर्पित  

बुरे या अच्छे तुम्हारे हाल सारे 
पहुंचाता था सभी अपनों को तुम्हारे 

प्रेमी अपने प्यार के सारे संदेशे 
डालते थे लिफाफे में बंद करके 

मेघदूतों की तरह उड़ान भर के 
पहुंचा देता पास में लख्ते जिगर के 

खबर दुःख की जैसे कोई के मरण की 
या खुशी नवजात कोई आगमन की 

कोई अर्जी भेजता था नौकरी की 
मेरी झोली संदेशों से ही भरी थी 

सुहागन सा लाल वस्त्रों से सजा था 
चिट्ठियों से हमेशा रहता लदा था 

वक्त ने लेकिन किया ऐसा नदारद 
कहीं भी आता नजर ना किसी को अब

अपनी सारी अहमियत वह खो रहा है 
ख़ून के आंसू लाल डब्बा रो रहा है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

प्रभु सिमरन 

जीवन में जब विपदा आये ,तुम प्रभु का नाम सुमर लेना 
सच्ची श्रद्धा से निज मन को ,तुम भक्ति भाव से भर लेना 
करुणा निधान ,भगवान प्रभु सब कष्ट निवारण कर देगा 
सुख सारे ,खुशियां ही खुशियां
 तेरी झोली में भर देगा 
वह हरण कर रहा सबके दुख ,
तब ही तो हरी है कहलाता 
अन्न जल सारे जग को देता 
जग में सबसे ऊंचा दाता 
प्राण दायिनी वायु बनकर 
वह प्राण सभी में है भरता 
सूरज बनकर ऊर्जा देता 
और जग को है रोशन करता
वह ही बन कर के इंद्रदेव 
करवाता जल की बरसाते 
उसके कारण हरियाली है 
हैं पुष्प महकते मुस्कुराते 
वह परमपिता परमात्मा है 
उसकी झोली है सदा भरी 
श्रद्धा से पुकारा जिसने भी 
उसने उनकी है पीर हरी 
गज ,ग्राह के मुख से छुड़वाया 
प्रहलाद अगन से बचवाया 
संकट आया जब भक्तों पर 
नंगे पांव ,दौड़ा आया 
सच्चे मन भाव लगन से झुक
जो उसकी शरण में है जाता
उसके सब संकट कट जाते 
बिन मांगे सब कुछ पा जाता 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 24 अगस्त 2025

देव वंदन 

हे परमपिता भगवान राम 
हे द्वारकेश ,घनश्याम श्याम 
हे महादेव ,जय शिव शंकर 
हे नारायण, तू परमेश्वर 
मैं तेरा परम पुजारी हूं 
मैं आया शरण तिहारी हूं 
कर दो मेरा उद्धार प्रभु 
मुझ पर बरसा दो प्यार प्रभु 

हे आदि शक्ति दुर्गा माता 
जय सरस्वती, विद्या दाता 
हे महालक्ष्मी ,धन दात्री 
 मैं पूजूं सबको नवरात्रि 
तुम मुझ पर कृपा की दृष्टि करो  
धन और बुद्धि की वृष्टि करो 
कर दो मेरा उद्धार मात 
मुझ पर बरसा दो प्यार मात 

जय गणपति जय गौरी नंदन
पहली पूजा तुमको अर्पण 
तुम रिद्धि सिद्धि के हो दाता 
मैं तुम्हें नमाऊँ निज माथा 
मेरे कारण निर्विघ्न करो 
तुम मेरे सर पर हाथ धरो 
करता पूजा तेरी सदैव 
मुझ पर बरसा दो प्यार देव

 हे पवन पुत्र हनुमान प्रभो 
तुम हो शक्ति के धाम प्रभो 
तुमसा न कोई बलवान प्रभो 
है इष्ट तुम्हारे राम प्रभो 
तुम महावीर हो बजरंगी
तुम बुद्धिमान, सुमति संगी
मेरी किस्मत चमका दो तुम
बाधाएं सकल हटा दो तुम

जय राधा कृष्ण जुगल जोड़ी 
करो सीताराम कृपा थोड़ी 
 लक्ष्मी नारायण कृपा करो 
गौरी शंकर दुख सकल हरो 
जय अग्नि वरुण और इंद्रदेव 
 तुम ऊर्जा देते सूर्य देव 
तुमसे ही चलती यह सृष्टि 
 मुझ पर प्रभु रखना कृपा दृष्टि 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 18 अगस्त 2025

संतुष्ट जीवन 

जो भी जिसके लिए कर सका,
 मैं वह जी खोल किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है ,
मैंने जीवन सफल जिया है 

मिली मुझे जो जिम्मेदारी 
मैंने वह कर्तव्य निभाया 
इसकी नहीं कभी चिंता की
 मैंने क्या खोया क्या पाया 
पथ में बाधाएं भी आई,
 रहा जूझता हर मुश्किल से 
लेकिन काम किया जितना भी 
लगन लगाकर सच्चे दिल से 
इसका है परिणाम सभी ने
 मुझको जी भर प्यार दिया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हालांकि जीवन के पथ पर 
मै एकाकी, चला अकेला 
जो भी मिला मुझे रस्ते में
 मैंने उस पर प्यार उंडेला 
मैंने सबको दिया ही दिया
 बदले में कुछ भी न मांगा 
रहा हमेशा अनुशासन में 
मर्यादा को कभी ना लांघा 
सिद्धांतो पर सदा चला और 
सत पथ का अनुसरण किया है
 मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हरदम चला धर्म के पथ पर
 और सत्कर्म रहा मैं करता 
बना सत्य को अपना साथी 
हरदम रहा पाप से डरता
रहा पुण्य की हांडी भरता 
सदा बुराई से मुख मोड़ा 
सेवा भाव सदा रख मन में 
कभी किसी का दिल ना तोड़ा 
जितना भी हो सका हमेशा,
 मैंने सबका भला किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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