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शुक्रवार, 21 मार्च 2025

जिंदगी का सफर 


1

हमारी जिंदगानी में मुसीबत आनी जितनी है 

न तेरी है ना मेरी है, हमारी है वो अपनी है 

हमें मिलजुल के करना सामना है उनसे लड़ना है,

तभी यह जिंदगानी शान से अपनी गुजरनी है

2

 कठिन पथ जिंदगी का है हमें जिससे गुजरना है

 मिला कर कंधे से कंधा ,हमेशा साथ चलना है

ना तो मतभेद हो कोई,नहीं मनभेद हो कोई,

बदल कर एक दूजे को, एक सांचे में ढलना है

3

तभी हम काट पाएंगे,विकट जीवन, कठिन पथ को 

रहेंगे जो सभी से मिल, बना रखेंगे इज्जत को

किसी की भावना को,ठेस ना पहुंचाएंगे हम , 

लगेगी ना नजर कोई की अपनी इस मोहब्बत को


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 20 मार्च 2025

दिव्यन की शादी 


1

इधर देखूं ,उधर देखूं , है रौनक मैं जिधर देखूं

झील सुंदर में रैफल है,थाम कर मैं जिगर देखूं

सजावट शादी मंडप की,महकते फूल खुशबू से

बहारें ही बहारें हैं ,मैं जो मन चाहे उधर देखूं 


2

 बताएं क्या तुम्हें रौनक, वो शादी के नजारों की

सजे सब फूल गुलशन के, ओढ़नी ओढ़ तारों की

सभी सजधज के हंसते नाचते और चुस्कियांलेते 

बड़ा ही खुशनुमा माहौल था,महफिल बहारों की

3

बड़ा ही जोश है उत्साह है और चाव है मन में

अनुष्का और दिव्यन बंध रहे हैं प्यार बंधन में

बनाई ब्रह्मा जी ने अपने हाथों उनकी यह जोड़ी,

 दुआ है लहलहाएं,मुस्कुराए, सदा जीवन में


मदन मोहन बाहेती घोटू

दिव्यन की शादी 

1
इधर देखूं ,उधर देखूं , है रौनक मैं जिधर देखूं 
झील सुंदर में रैफल है,थाम कर मैं जिगर देखूं 
सजावट शादी मंडप की,महकते फूल खुशबू से 
बहारें ही बहारें हैं ,मैं जो मन चाहे उधर देखूं 

2
 बताएं क्या तुम्हें रौनक, वो शादी के नजारों की 
सजे सब फूल गुलशन के, ओढ़नी ओढ़ तारों की 
सभी सजधज के हंसते नाचते और चुस्कियांलेते 
 बड़ा ही खुशनुमा माहौल था,महफिल बहारों की
3
बड़ा ही जोश है उत्साह है और चाव है मन में 
अनुष्का और दिव्यन बंध रहे हैं प्यार बंधन में 
बनाई ब्रह्माजी ने अपने हाथों उनकी यह जोड़ी,
 दुआ है लहलहाएं,मुस्कुराए, सदा जीवन में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
दिव्यन की शादी 

1
इधर देखूं ,उधर देखूं , है रौनक मैं जिधर देखूं 
झील सुंदर में रैफल है,थाम कर मैं जिगर देखूं 
सजावट शादी मंडप की,महकते फूल खुशबू से 
बहारें ही बहारें हैं ,मैं जो मन चाहे उधर देखूं 

2
 बताएं क्या तुम्हें रौनक, वो शादी के नजारों की
 सजे सब फूल गुलशन के, ओढ़नी ओढ़ तारों की 
सभी सजधज के हंसते नाचते और चुस्कियांलेते 
 बड़ा ही खुशनुमा माहौल था,महफिल बहारों की
3
बड़ा ही जोश है उत्साह है और चाव है मन में 
अनुष्का और दिव्यन बंध रहे हैं प्यार बंधन में दिव्यांग की शादी 

1

इधर देखूं ,उधर देखूं , है रौनक मैं जिधर देखूं झील सुंदर में रैफल है,थाम कर मैं जिगर देखूं सजावट शादी मंडप की,महकते फूल खुशबू से बहारें ही बहारें हैं ,मैं जो मन चाहे उधर देखूं 


2

 बताएं क्या तुम्हें रौनक, वो शादी के नजारों की सजे सब फूल गुलशन के, ओढ़नी ओढ़ तारों की सभी सजधज के हंसते नाचते और चुस्कियांलेते  बड़ा ही खुशनुमा माहौल था,महफिल बहारों की

3

बड़ा ही जोश है उत्साह है और चाव है मन में अनुष्का और दिव्यन बंध रहे हैं प्यार बंधन में बनाई ब्रह्मा जी ने अपने हाथों उनकी यह जोड़ी,

 दुआ है लहलहाएं,मुस्कुराए, सदा जीवन में


मदन मोहन बाहेती घोटू

बनाई ब्रह्मा जी ने अपने हाथों उनकी यह जोड़ी,
 दुआ है लहलहाएं,मुस्कुराए, सदा जीवन में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
बुढ़ापे की झलकियां 

1
उम्र बढ़ती, बुढ़ापे का ,बड़ा दुखदाई है रस्ता 
है मेरे हाल भी खस्ता ,है उसके हाल भी खस्ता 
मगर बासंती मौसम सा, हमारा प्यार का आलम 
फूल मुरझाए, खुशबू से ,महकता फिर भी गुलदस्ता
रहा ना जोश यौवन का, नहीं पहले सी मस्ती है
 मैं 84 का लगता हूं ,वह भी 80 की लगती है 
बुढ़ापे में मोहब्बत का ,हमारा यह तरीका है 
मैं उसका ख्याल रखता हूं, वो मेरा ख्याल रखती है 
3
जगाती है सुबह पत्नी, पिलाकर चाय का प्याला
कभी चुंबन भी दे देती, तो कर देती है मतवाला 
उसे जब धुंधलीआंखों से प्यार से देखता हूं मैं, 
भले झुर्री भरा तन हो, मगर लगती है मधुबाला
4
ढल गए सब जवानी के, रहे नाम हौसले बाकी 
उड़े बच्चे,जो पर निकले,है खाली घोंसले बाकी 
उम्र बढ़ती के संग सीखा, है हमने मन को बहलाना ,
मोहब्बत हो गई फुर्र है,बचे अब चोंचले बाकी
5
उचटती नींद रहती है ,कभी सोता कभी जगता 
सुने बिन उसके खर्राटे, ठीक से सो नहीं सकता 
बन गए एक दूजे की जरूरत इस कदर से हम, 
वह मुझ बिन जी नहीं सकती, मैं उस बिन जी नहीं सकता 
6
हमारी जिंदगानी का, ये अंतिम छोर होता है
वक्त मुश्किल से कटता है, ये ऐसा दौर होता है
सहारा एक दूजे का , हैं होते बूढ़े और बुढ़िया,
बुढ़ापे की मोहब्बत का मजा कुछ और होता है

 मदन मोहन बाहेती घोटू 

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