कैसे मानू
कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी
शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी
प्रभु प्रकटे जब बन कर राम
शंकर आए बन हनुमान
रहे पहाड़ों में शिव शंकर
तरु शाखा पर रहते वानर
वानर नग्न ,मगर वाघांबर
शिवजी का परिधान जी
कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी
शिवजी के है अवतार हनुमान जी
भूत पिशाच शिवा के संगी
इन्हें भगाए पर बजरंगी
भूत पिशाच निकट नहीं आवे
महावीर जब नाम सुनावे
मुंडमाला को धारण करते
हैं शंकर भगवान जी
कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी
शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी
रावण शिव का भक्त परम था
शिव के कारण उसमें दम था
किंतु राम का वह दुश्मन था
सीता जी का किया हरण था
और राम के सच्चे सेवक,
सदा रहे हनुमान जी
कैसे बात तुम्हारी लूं मैं मान जी
शिवजी के हैं अवतार हनुमान जी
शिवजी ने दो ब्याह रचाये
ब्रह्मचारी हनुमान कहाये
शिवजी चलते हैं नंदी पर
डाल डाल पर उछले वानर
एक तपस्वी,एक उपद्रवी
कुछ भी नहीं समान जी
कैसे बात तुम्हारी मैं लूं मान जी
शिव जी के हैं अवतार हनुमान जी
मदन मोहन बाहेती घोटू