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रविवार, 7 जनवरी 2024

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बुधवार, 3 जनवरी 2024

उड़ी उड़ी नींद


पुरानी स्मृतियां ,

जब सपन बन ,

मन से जुड़ सी गई 

नींद ,कुछ उड़ सी गई 


बीते बरस की,

यादों का कोहरा 

जब छटने लगा 

प्राची में ,

नए वर्ष का सूरज 

दमकने लगा 

नई-नई आशायें 

मन में 

उमड़ सी गई 

नींद, कुछ उड़ सी गई 


चटकती कलियों का  

पाकर के 

प्रेम भरा निमंत्रण 

तितलियां उड़ने लगी,

उत्साहित भ्रमरों का 

शुरू हो गया गुंजन 

मिलन की संभावनाएं 

थोड़ी बढ़ सी गई 

नींद कुछ उड़ सी गई


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

 तिरासिवें जन्मदिन पर


मुश्किलों से नहीं मानी हार मैंने 

सभी पर जी भर लुटाया प्यार मैंने

जिंदगी की जंग को लड़ना कठिन था,

पर किसी से नहीं ठानी रार मैंने 

अग्रसर होता गया कर्तव्य पथ पर,

रहा हंसता, आई ना मुख पर उदासी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रख कर,

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


अपने माता-पिता की आशीष पायी 

दोस्तों की दुआओं की, की कमाई 

प्यार जी भर कर लुटाया भाइयों ने ,

और बहनों से सदा राखी बंधाई

करी सेवा मेरे बच्चों ने हमेशा 

और पत्नी ने लुटाई प्रेम राशी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर 

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


भयंकर बिमारी ने था जब सताया 

दुआओं से सबकी जीवन नया पाया

छलके आंसू आंख से मेरे कभी तो 

सांत्वना दे , सभी ने ढाढस बंधाया  

सच्चे दिल से ख्याल मेरा रखा हरदम,

नहीं आने दी शिकन मुंह पर जरा सी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर  

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


चाहता हूं जब तलक मैं रहूं जिंदा 

भूल कर भी किसी की ना करूं निंदा 

मदद सबकी हो सके मैं करूं उतनी 

रहूं उड़ता प्यार का बनकर परिंदा 

रहूं करता खुशी की बरसात हरदम 

प्रेम मेरा कभी भी ना पड़े  बासी 

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये 

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


मदन मोहन बाहेती घोटू

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

शिकायत  तकिये की


कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा 

बस रजाई ही तुमको प्यारी

 प्यार न करते मुझे जरा सा 


वह तो सर्दी की साथिन है 

मैं साथी हूं बारहमासी

बनकर तुम्हारा सिरहाना 

मेहनत करता अच्छी खासी 


जब तुम बिस्तर पर सोते हो 

सर तुम्हारा ऊंचा रखता

तुमको लेने नींद चैन की 

पड़ती मेरी आवश्यकता 


कभी भींच लेते बाहों में

या छाती से चिपकाते हो 

या फिर दबा बीच टांगों के 

एक नया सा सुख पाते हो 


करते हो उपयोग हमेशा 

जैसे तुम्हारा दिल करता 

हरदम सेवा में रह हाजिर 

नहीं कभी मैं नखरे करता 


सोते तुम मुझ पर सर रखकर 

या अपनी बाहों में भरकर 

में हूं हर मौसम का साथी 

मेरा मिलन हमेशा सुखकर 


तुम्हें रजाई जकड़ा करती 

लेकिन मुझे जकड़ते हो तुम 

मुझे बना हथियार प्यार का

भाभी जी से लड़ते हो तुम 


जब भी कभी लेटते हो तुम

मेरे बिन ना सो पाते हो 

मैं इतना सुख देता हूं पर 

गुण रजाई के तुम गाते हो 


सौतेला व्यवहार तुम्हारा 

मुझको नहीं पसंद जरा सा 

कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

क्या से क्या हो गई


मैं मोटी थुलथुल हो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मेरी सारी ब्यूटी खो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


दुबली पतली कनक छड़ी थी,

 सुंदर प्यारी प्यारी 

कमसिन थी ,फूलों सी नाजुक,

जब तक थी मैं कुंवारी

लेकिन ऐसा तूने खिलाया

 मुझे प्यार का लड्डू 

दुबली पतली नरम तरोई ,

आज बन गई कद्दू 

मेरी रौनक सब गुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


छत्तीस चोबीस छत्तीस का था,

मेरा फिगर  प्यारा 

उसको तूने यार प्यार से

 फोर XL कर डाला 

बड़े चाव से पिज़्ज़ा बर्गर 

हलवा पूरी खिलाया 

ऐसा ऐश आराम दिया कि

गई फूलती काया 

मेरी टंकी अब फुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


मैं चंचल थी, बड़ी चपल थी

 दौड़ लगाती हिरणी

लेकिन पा आहार प्यार का 

आज बन गई हथिनी 

दो बच्चों की अम्मा बनकर 

बनी गृहस्थन ऐसी 

मेरे सारे अरमानों की 

हो गई ऐसी तैसी 

मेरी सारी चुलबुल खो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में


मदन मोहन बाहेती घोटू

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