इस बढी उम्र में वृद्ध लोग इस तरह गुजारा करते हैं
मित्रों के संग बैठ मंडली में, वो गपशप मारा करते हैं
कुछ जैसे तैसे भी कटता ,वैसे ही वक्त काटते हैं
कुछ सुबह चाय के प्याले संग, पूरा अखबार चाटते हैं
कुछ सुबह-शाम घूमा करते, रखते सेहत का ख्याल बहुत
कुछ त्रस्त बहू और बेटों से ,घर में रहते बेहाल बहुत
कुछ पोते पोती को लेकर, उनको झूला झुलवाते हैं
कुछ रोज शाम झोला भरकर, सब्जी और फल ले आते हैं
कुछ मंदिर जाते सुबह शाम, और भजन कीर्तन करते हैं
कुछ टीवी से चिपके रहकर ही जीवन व्यापन करते हैं
कुछ हाथों मोबाइल रहता, जो नहीं छूटता है पल भर
कुछ आलस मारे दिन भर ही ,लेटे रहते हैं बिस्तर पर
कुछ करते याद जवानी के बीते दिन, खोते ख्वाबों में
कुछ होते भावुक और दुखी , खो जाते हैं जज्बातों में
कुछ उम्र जनित पीड़ाओं से, हरदम रहते हैं परेशान
कुछ लोगों को देते प्रवचन और बांटा करते सदा ज्ञान
कुछ तीरथ मंदिर धर्मस्थल जा, दर्शन लाभ लिया करते
कुछ पर्वों में ,मेलों में जा, गंगा स्नान किया करते
कुछ कथा भागवत सुनते हैं और अपना पुण्य बढ़ाते हैं
कुछ करते हैं प्रसाद ग्रहण और भंडारॉ में खाते हैं
कुछ की खो जाती याददाश्त जाते लोगों के भूल नाम
कुछ सेहत को रखने कायम, टॉनिक लेते हैं सुबह शाम
कुछ बैठे रखते है हिसाब ,अपनी जोड़ी सब दौलत का
कुछ प्राणायाम योग करते और ख्याल रखें निज सेहत का
होती है उमर विरक्ति की,पर कुछ मोह माया में फंसते
तनहाई में तड़पा करते और लाफिंग क्लब में जाकर हंसते
पर जितनी अधिक उमर बढ़ती,जीने की ललक बढ़ी जाती
चाहे कम दिखता ,सुनता है ,तन मन में कमजोरी आती
कितने ही अनुभव पाए है,जीवन में कर मारामारी
पर वृद्धावस्था का अनुभव, पड़ता हर अनुभव पर भारी
मदन मोहन बाहेती घोटू