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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

आज भी 

आज भी कातिल अदायें आपकी हैं ,
आज भी शातिर निगाहें आपकी हैं 
आज भी लावण्यमय सारा बदन है,
आज भी मरमरी बांहे आपकी है 
महकता है आज भी चंदन बदन है ,
आज भी है रूप कुंदन सा दमकता 
अधर अब भी है गुलाबी पखुड़ियों से,
और चेहरा चांद के जैसा चमकता 
बदन गदरा गया है मन को लुभाता,
कली थी तुम फूल बनकर अब खिली हो 
 भाग्यशाली मैं समझता हूं मै स्वयं को 
 बन के जीवनसंगिनी मुझको मिली हो 
 केश अब भी काले ,घुंघराले ,घनेरे 
 और अंग अंग प्यार से जैसे सना हो 
 हो गई होगी पिचत्तर की उमर पर ,
 मुझे अब भी लगती तुम नवयौवना हो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

गोपाल जी मनोरमा विवाह के 60 साल के अवसर पर 
1
साठ साल पहले मिले मनोरमा गोपाल 
एक दूजे का साथ पा, दोनों हुए निहाल 
दोनों हुए निहाल ,प्रेम की महकी क्यारी 
फूल खिले दो,एकअतुल एक ममता प्यारी 
जीवन बीता सत्कर्मों और परोपकार में 
सब से मिलकर रहे इकट्ठे परिवार में 

2
जब इनकी शादी हुई थे ये दसवीं पास 
विद्या पाने का मगर करते रहे प्रयास 
करते रहे प्रयास ,बने सी ए लड्ढाजी 
मनोरमा ने भी एम ए कर मारी बाजी 
चमकी महिला मंडल की मंत्राणी बनकर 
और गोपाल जी लायन क्लब के बने गवर्नर
3
सरस्वती मां ने दिया विद्या का वरदान 
और लक्ष्मी मां ने दिया प्रेम सहित धनधान्य
प्रेम सहित धन धान्य,लुटाया सबमें जी भर 
सत्कार्यों से ली इन ने अपनी झोली भर 
शीतल शांत स्वभाव ,पुण्य करते मन हरषे
 कृपा ईश्वर की ,दोनों पर हरदम बरसे 
 
4
मन में सेवा भावना और अच्छे संस्कार 
दोनों ने में लुटाया ,सब में अपना प्यार 
सब में अपना प्यार ,हमेशा रहे विजेता 
और समाज के रहे हमेशा बनकर नेता 
घोटू प्रभु से यही प्रार्थना है कर जोड़ी 
रहे स्वस्थ और दीर्घायु हो इनकी जोड़ी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

प्रतीक्षा 

प्रतीक्षा तुम करो पर वो समय के साथ ना पहुंचे

जहां पर आ रही खुजली, वहां तक हाथ ना पहुंचे

इधर के कान से सुनकर ,दूसरे से करे बाहर,

फायदा क्या कुछ कहने का ,जो उन तक बात ना पहुंचे

घोटू 
डॉगी 

हमको हर एक बात पर वो टोकने लगे 

हल्की सी भी आहट हुई तो चौकने लगे 

हमने जो उनके डॉगी को कुत्ता क्या कह दिया,

 कुत्ता तो चुप रहा मगर वो भौंकने लगे

घोटू 

मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

फलाहारी नमकीन 

बरत में खाया जो जाए ,वह है नमकीन फलहारी

पड़ोसन से बहलता मन ,जब मैके जाए घरवाली

 पड़ोसन भी अगर ऐसे में ,जो मैके चली जाए,
 
 लगे गीला हुआ आटा,छा रही जब हो  कंगाली

घोटू 

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