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शनिवार, 27 मार्च 2021

हक़ीक़त

बात लो अब मान यह तुम
मत करो अभिमान यह तुम
सफलता का श्रेय सारा
फल है मेहनत का तुम्हारा
भले ये सच ,भ्रम  नहीं है
मगर दुनिया कम नहीं है
तुम्हे आगे बढ़ा कर के
और चने पर चढ़ा कर के
काम लेंगे तुमसे कस कर
लूटेंगे खुद ,सारा यश पर
तेल में तुम जाओ छोंके
लुटा सब गुण खुशबुओं के
ख़ुशी होंगे ,चाव से तुम
महकते पुलाव से तुम
खाने वाला ,देख तुमको
झट से देगा ,फेंक तुमको
 लगोगे तुम ,बेवजह से
तेज पत्ते की तरह से
स्वाद खुशबू लुटा दोगे
और तिरस्कृत बस रहोगे
कोई को परवाह नहीं है
रीत जीवन की यही है

घोटू     

कोरोना ने करा दिया

इस कोरोना की दहशत ने ,सबको इतना डरा दिया
जो कोई करवा ना पाया , इसने वो सब करा दिया

बात कड़क से कड़क सास की ,बहू नहीं जो सुनती थी
दिन भर बक बक करती रहती ,और न घूंघट रखती थी
अब ये हालत ,कोरोना डर ,दिन भर पट्टी है मुंह पर
वाक युद्ध अब बंद हो गया ,बंद हो गयी चपर चपर
कैंची सी चलती जुबान पर, इसने ताला लगा दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

माँ बेटी को समझाती थी , भाव वेग में नहीं बहो
अपने यार दोस्तों के तुम पास न जाओ ,दूर रहो
कोशिश लाख करी थी माँ ने ,पर बेटी ने सुना नहीं
अब कोरोना से बचने वो ,सबसे दूरी बना रही
अच्छे अच्छे जिद्दी को भी ,कोरोना ने हरा दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

शादी हो कि सगाई ,मुंडन बड़ी बड़ी दावत होती
लाखों का खर्चा ,खाना बरबाद ,फ़जीयत थी होती
लेकिन ऐसी बंदिश बाँधी ,कोरोना के चक्कर में
कितने बड़े बड़े आयोजन ,निपट गये ,सिमटे घर में
व्यर्थ दिखावा ,शो बाजी बंद,अनुशासन है कड़ा किया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

कॉन्फ्रेन्स ,मीटिंग ऑफिस की ,सभी वर्चुअल ,हुई बचत
घर से काम ,न ऑफिस जाना ,टली रोज की ये किल्लत
नामी और गिरामी सारे ,स्वामी बाबा,पूजास्थल
सारे अंतर ध्यान हो गए ,बंद हुए कोरोना डर
इनके सारे चमत्कार को ,कोरोना ने हरा दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

मेडम ने चूल्हे चौके का ,सीखा काम ,पकाना भी
बंद हो गये पिक्चर शॉपिंग ,और होटल का खाना भी
साहब झाड़ू ,पोंछा बर्तन और सफाई सीख गए
बच्चे घर में डिसिप्लीन में ,बैठ पढाई सीख गए
परिवार की महिमा समझा ,आत्मनिर्भर है बना दिया
जो कोई करवा ना पाया ,कोरोना ने करा दिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

बचत मोहब्बत की

खुदा की दी ,मोहब्बत सब की सब ,ना है उड़ाने को
बचाकर रखलो  ,थोड़ी सी , वक़्त पर  काम आने को

सुना है दो जनम के दरमियां ,होता बहुत कुछ है ,
नहीं सच जानता कोई ,मगर ये लोग कहते है
हमारे कर्म के अनुसार हमको जगह मिलती है ,
स्वर्ग में या नरक में कुछ दिनों हम लोग रहते है
अगर तक़दीर ने अच्छा लिखा और स्वर्ग जो पाया ,
सुना है कि वहां पर अप्सरायें ,दिल लगाएगी
बचाकर तुम रखोगे जो ,मोहब्बत पास थोड़ी सी ,
बहुत ज्यादा तुम्हारे स्वर्ग में वो काम आएगी
नरक की पीड़ में भी मोहब्बत से काम निकलेगा ,
बड़ी अनमोल दौलत ये ,तुम्हे राहत दिलाने को
खुदा की दी मोहब्बत ,सब की सब ना है उड़ाने को
बचाकर रख लो थोड़ी सी ,वक़्त पर  काम आने को

समझलो माशूका कोई पूरानी जिस पे दिल आया ,
मगर कुछ कारणों वश ,वो नहीं मिल पाई धरती पर
किसी दिन जो अचानक ही ,वो टकराये और मिल जाए ,
तुम्हे हसरत पुरानी  ,पूरी करने का मिले अवसर
उस समय ये बचाकर के ,रखी थोड़ी मोहब्बत ही ,
तमन्नाओं का तुम्हारी ,करेगी पार बेड़ा फिर  
मज़ा आ जायेगा दूना ,ख़ुशी होगी ,उसे पाकर ,
प्यार से उसके संग कुछ दिन वहीँ करना बसेरा फिर
ये सुनते है ,मनोहारी ,वहां का प्यारा नन्दन वन,
जगह माकूल है ,माशूक संग ,मौजें मनाने को
खुदा की दी मोहब्बत सब की सब ,ना है उड़ाने को
बचा कर रखलो थोड़ी सी , वक़्त पर  काम आने को

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बचत मोहब्बत की

खुदा की दी ,मोहब्बत सब की सब ,ना है उड़ाने को
बचालो ,थोड़ी सी ,अगले जनम में काम आने को

सुना है दो जनम के दरमियां ,होता बहुत कुछ है ,
नहीं सच जानता कोई ,मगर ये लोग कहते है
हमारे कर्म के अनुसार हमको जगह मिलती है ,
स्वर्ग में या नरक में कुछ दिनों हम लोग रहते है
अगर तक़दीर ने अच्छा लिखा और स्वर्ग जो पाया ,
सुना है कि वहां पर अप्सरायें ,दिल लगाएगी
बचाकर तुम रखोगे जो ,मोहब्बत पास थोड़ी सी ,
बहुत ज्यादा तुम्हारे स्वर्ग में वो काम आएगी
नरक की पीड़ में भी मोहब्बत से काम निकलेगा ,
बड़ी अनमोल दौलत ये ,तुम्हे राहत दिलाने को
खुदा की दी मोहब्बत ,सब की सब ना है उड़ाने को
बचालो थोड़ी सी अगले जनम में काम आने को

समझलो माशूका कोई पूरानी जिस पे दिल आया ,
मगर कुछ कारणों वश ,वो नहीं मिल पाई धरती पर
किसी दिन जो अचानक ही ,वो टकराये और मिल जाए ,
तुम्हे हसरत पुरानी  ,पूरी करने का मिले अवसर
उस समय ये बचाकर के ,रखी थोड़ी मोहब्बत ही ,
तमन्नाओं का तुम्हारी ,करेगी पार बेड़ा फिर  
मज़ा आ जायेगा दूना ,ख़ुशी होगी ,उसे पाकर ,
प्यार से उसके संग कुछ दिन वहीँ करना बसेरा फिर
ये सुनते है ,मनोहारी ,वहां का प्यारा नन्दन वन,
जगह माकूल है ,माशूक संग ,मौजें मनाने को
खुदा की दी मोहब्बत सब की सब ,ना है उड़ाने को
बचालो थोड़ी सी ,अगले जनम में काम आने को

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

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