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शुक्रवार, 5 जून 2020

मैं  बेवकूफ हूँ  

ढाल न पाता खुद को सबके अनुरूप हूँ
सब कहते ,अव्वल दर्जे का बेवकूफ  हूँ

मेरे अंदर छुपा हुआ कोई चोर नहीं है
मन में कुछ है और मुख में कुछ और नहीं है
लोगों की हाँ में हाँ नहीं मिला पाता हूँ
इसीलिए मैं थोड़ा मुंहफट कहलाता हूँ
चाटुकारिता ,चमचागिरी  नहीं आती है
लोग दूर रहते है ,मेरे कम साथी  है
गलत काम को देख ,बैठता नाहीं चुप हूँ
सब कहते अव्वल दर्जे का बेवकूफ हूँ

ये सच है ,दुनियादारी मुझको ना आती
मख्खनबाजी करने से तबियत घबराती
सच कहता तो कड़वी लगती ,मेरी बातें
इसीलिए ,झूठें ,लम्फट मुझसे घबराते
मेरी यह स्पष्टवादिता ,दुश्मन  मेरी
ना आती है करना चुगली हेरा फेरी
मुंह देखी ना ,खरी बात का मैं  स्वरूप हूँ
सब कहते ,अव्वल दर्जे का बेवकूफ हूँ

मदनमोहन बाहेती ;घोटू '
बार बार भूकंप

घर और परिवार में हमेशा खटपट सा ,
कुछ न कुछ लगा ही रहता है
किसी की कोई बात ,किसी को चुभती है ,
कोई चुपचाप सहता है
कोई फटाफट  दे देता है जबाब ,
अपनी प्रतिक्रिया दिखला ,
साफ़ कर देता है हिसाब
और मन का मलाल  हो जाता है सफा  
और मामला हो जाता है रफा दफा  
थोड़ा सा गुस्सा ,थोड़ी सी माफ़ी
सुचारु जिंदगी जीने के लिए है काफी
पर कुछ लोग इन छोटी छोटी बातों को ,
मन में दबा कर रख लेते है
प्रत्यक्ष में कोई प्रतिक्रिया नहीं देते है
बस सहन किये जाते है
पर अंदर से छटपटाते है
और एक दिन उनके मन में ,
इन बातों का गुबार इतना भर जाता है
कि जब फूटता है तो,
 परिवार का विभाजन कर जाता है
वैसे ही जब प्राकृतिक व्यवस्थाएं
उथल पुथल होती है
तो पृथ्वी के मन में हलचल होती है
तो पृथ्वी थोड़ी बहुत हिल कर
अपने को एडजस्ट लेती है कर
उस समय भूकंप के हल्के झटके आते है
तो सब घबराते है
मित्रों ,हमारी ये पृथ्वी माता ,
हमेशा से सहनशील रही है
जो हर बार एडजस्ट करके ठीक हो रही है
वरना कुपित होकर ,अगर
अपनी भावनाओं को रखेगी दबा कर
और मन का गुबार एक दिन जब फूट पड़ेगा
तो एक बड़ा भूकंप बन कर कहर टूट पड़ेगा
इसलिए अच्छा है भूकंप के ,
हल्के हल्के झटके आये और चले जायें
और हम एक बड़े भूकंप की,
 विभीषिका से बच जायें

मदन मोहन बाहेती ;घोटू '

बुधवार, 3 जून 2020

मेरी जीवन शैली बदल गयी

                              १
जब कंवारा था ,मनमौजी था ,अपनी मर्जी का मालिक था
कॉलेज की हर सुन्दर लड़की ,पर मरता ,उनका आशिक था
वो दिन बेफिक्र लड़कपन के ,अल्हड़पन था और मस्ती थी
था जोश जवानी का मन में ,जीवन में हुस्न परस्ती थी
लेकिन फिर मेरे जीवन में ,आयी एक सुन्दर सी बाला
जिसने मेरी पत्नी बन कर ,मेरा  व्यवहार  बदल डाला
उसके अनुशासन में बंध कर ,मेरी हवा ही सारी निकल गयी    
जब से मैं शादीशुदा हुआ ,मेरी जीवन शैली  बदल गयी
                           २
मैं बना गृहस्थ ,नौकरी कर ,जाता था रोज सुबह ऑफिस
संध्या को सजी धजी बीबी ,स्वागत करती थी देकर 'किस '
मस्ती से कटता था जीवन ,पर आया ऐसा खलनायक
जिससे डर पत्नी ने अपने ,होठों को लिया ,मास्क से ढक
ना  तो चुंबन ,ना हस्तमिलन ,ना बाहुपाश ,दो गज दूरी
ऐसा लॉक डाउन हुआ शहर ,गृह कार्य करो ,थी मजबूरी
करते घर का झाड़ू पोंछा ,मेरी चर्बी सारी  पिघल गयी
जब से आया है कोरोना ,मेरी जीवन शैली बदल गयी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 2 जून 2020

अब तो दया करो भगवान

हे भगवान !
कृपानिधान !
क्यों हमारे जज्बातों से खेल रहे है
हम कितनी मुसीबतें झेल रहे है
पूरी दुनिया में कोरोना के वाइरस की मार है
हर तरफ हाहाकार है
पिछले ढाई महीनो से देश में तालाबंदी है
घर से निकलने की पाबंदी है
दूकान ,बाजार कारखाने सब बंद पड़े है
प्रवासी मजदूर वापस घर जाने को अड़े है
क्योंकि यहाँ पड़ रहे है रोजी रोटी के लाले
पर रेल और बसों पर भी पड़े है ताले
तो वो होकर के परेशान और बेकल
निकल पड़े है घर की ओर पैदल
अफरा तफरी का माहौल हो रहा है
अर्थव्यवस्था का बिस्तर गोल हो रहा है
स्तिथि संभाले नहीं सम्भल पा रही है
हर तरफ त्राहि त्राहि छा रही है
और आप  अपने सब मंदिर बंद करवा ,
आराम फरमा रहे है
काहे हमें इतना सता रहे है
सितम पर सितम ढा रहे है
पिछले तीन महीनो में देहली को ,
पांच पांच बार भूकंप से कँपाया
 पूर्वी तटों पर विनाशकारी तूफ़ान आया
वहां के निवासियों पर अभी भी संकट है
पश्चिम तट पर भी तूफ़ान आने की आहट है
कहीं भीषण गर्मी है ,कहीं बाढ़ आरही है
करोड़ों की संख्या में टिड्डियाँ आकर ,
हमारी फसलें खा रही है
एक तरफ पकिस्तान की,
 आतंकी गतिविधियां कायम है
दूसरी तरफ चाइना दिखा रहा अपना दम है
और तो और वो पिद्दी सा,
 नेपाल भी फुफकारने लगा है
आदमी महसूस कर रहा ठगा है
और प्रभु आप तो खुद ही देख रहे है
ऐसे माहौल में भी कुछ विरोधी दल ,
अपनी चुनावी रोटियां सेक रहे है
और आप हम पर नित्य नयी विपत्ति देकर ,
लोहे के चने चबवा रहे है
और खुद क्षीरसागर में लेटे ,
लक्ष्मीजी से पैर दबवा रहे है
हम से हो गयी है कौनसी गलती
जो लेकर आरहे हो इतनी त्रासदी
इतनी सारी  मुसीबतें ,वो भी एक साथ
बस बहुत हो गया दीनानाथ  
हम  आपकी संतान है
अभी नादान है
पर आप तो भगवान  है
सर्वशक्तिमान है
हे दयामय हम पर दया करो
हमारी विपदायें हरो
अपने इन बच्चों पर,
 थोड़ी कृपादृष्टि दिखला दो
कोरोना के संहार का उपाय बतला दो
हमारी डगमगाती जिंदगी को,
 फिर से पटरी पर ला दो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अलोक के जन्मदिन पर

ढूंढो तीनो लोक में ,लेकर आप चिराग
नहीं मिलेगा आपको,अलोक सा दामाद
अलोक सा दामाद ,गुणी है सुन्दर प्यारा
उसका और श्वेता बिटिया का साथ निराला
कह 'घोटू 'है यही प्रार्थना अब ईश्वर से
बनी रहे जोड़ी जीवन भर खुशियां बरसे

घोटू 

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