जिंदगी -दो नजरिये
१
नजरिया -सुबह का
तीन कोने,एक बचपन,जवानी और बुढ़ापा,
तिकोनी है ,समोसे सी ,ये हमारी जिंदगी
चटपटा आलू मसाला ,भरा अंदर ,है गरम ,
अगर ताज़ी ,स्वाद लगती ,बड़ी प्यारी जिंदगी
संगिनी मिल जाय यदि जो,गरम मीठी जलेबी ,
टेढ़ी मेढ़ी पर रसीली ,हो करारी जिंदगी
स्वर्ग काआनंद सारा,तो समझ लो मिल गया,
चैन से कट जाती है ,मेरी तुम्हारी जिंदगी
२
नज़रिया -शाम का
जवानी में दिल हमारा ,कुल्फी जैसा हार्ड था ,
बुढ़ापे में हो गया वो ,सोफ्टी सा सॉफ्ट है
थे गरम मिजाज काफी ,उसूलों के सख्त थे ,
पर लचीला नजरिया अब कर लिया एडोप्ट है
हमेशा अपनी न हाँको ,दूसरों की भी सुनो ,
वक़्त के संग बदलना ही जिंदगी का आर्ट है
कल के घोटू,अब के घोटू में फरक ये आगया ,
पहले लल्लू गाँव का लगता था ,अब स्मार्ट है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '