एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

लॉक डाउन उठने के बाद

प्रकृती के संग हमने जो खिलवाड़ करी है
बदले में सहना  पड़  रही मार दुहरी  है
भोग रहे हम अपनी करनी ,कर्मो का फल
तरह तरह के रोग ,बिमारी  आते  पल पल
चक्रावत  तूफ़ान कभी भूकम्प , सुनामी
तरह तरह की विपदायें है आनी  जानी
प्रदूषणों  में हमने जीना सीख लिया है
दूषित और गंदा जल  पीना सीख लिया है
चिकनगुनिया की विभीषिका हमने झेली
एच वन एन वन फ्लू बिमारी अब भी फैली
कैंसर ,हृदयरोग ,ब्लूडप्रेशर पड़े पुराने
अब आ गयी कोरोना व्याधि हमें सताने
इससे बचने ,इतने दिन तक करी कवायत
इसे भगाने को डाली कुछ अच्छी आदत
धोना हाथ ,सफाई रखना ,मुंह पर पट्टी
घर का खाना ,होटल के खाने से कुट्टी  
भीड़भाड़ से रखी बना कर हमने  दूरी
चाहे इसे विवशता बोलो या मजबूरी  
अब भी सामजिक दूरी की आवश्यकता
कोरोना से दूर रखेगी हमें सजगता
अगर सोचते जब लॉक डाउन उठ जाएगा
सब कुछ नॉर्मल पहले जैसा हो जाएगा
तो मित्रों यह सबसे बड़ी गलत फहमी है
बहुत दिनों तक यह विपदा हमको सहनी है  
इसीलिये यदि  पहले जैसा जीना  जीवन
कोरोना से लड़े  ,सावधानी रख हर क्षण
कुछ दिन भुगतो ,फिर एक दिन ऐसा आएगा
इसका भी हमको निदान मिल ही जाएगा
ज्यादा भय और चिंता मत निज मन में पालो
कोरोना के संग जीने की आदत डालो
इस बंदी के बीच बंद था सब उत्पादन
दुकाने और गमन आगमन के सब साधन
रिश्ता चालक ,रोज दिहाड़ी करने वाले
परेशान हो गए  ,पड़े खाने के लाले
घबरा कर सबने गाँवों को किया पलायन
अस्त व्यस्त हो गया कई लोगों का जीवन
आने वाला वक़्त कठिन है ,मुश्किलों भरा
आज देश की अर्थव्यवस्था  गयी चरमरा
वक़्त लगेगा ,वापस पटरी पर लाने में
महीनो गुजर जाएंगे हमे सम्भल पाने में
अर्थव्यवस्था को सुधारना ,आगे बढ़ना
महामारी से कोरोना की भी है लड़ना
मित्रों  कस लो  कमर ,और तैयार रहो तुम
भारत माता से बस  करते प्यार रहो तुम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
  कोरोना - दो  सवैये
  १
दुनिया में त्राहि त्राहि  मचाई है ,चीन ने 'चीट 'कियो कुछ ऐसो
फेल रह्यो  दिन  दिन  दूनो  यह ,चीन ने कीट दियो कुछ ऐसो  
दे रहयो त्रास, न आने दे पास ,यह वाइरस ढीठ दियो कुछ ऐसो
दुनिया की अर्थव्यवस्था बिगाड़ी ,चीन ने पीट दियो कुछ ऐसो


ठीक से सांस भी न आवत जावत ,मुंह पे  बंध्यो एक मास्क जड्यो है
न आवत  महरी ,है आफत दुहरी ,काम सभी खुद करनो  पड्यो है
निकल  सको नहीं बाहर घर से , लेकर के डंडा ,दरोगा   खड्यो  है
दिन भर घर में ही सोनो पड्यो है ,ऐसो कोरोना को रोनो पड्यो  है

मदन मोहन बहती 'घोटू '

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

कोरोना ने क्या सिखा दिया

कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया
चालीस दिन तक,डर के मारे,घर के अंदर ही टिका दिया

पहले हफ्ते में कम से कम ,एक दिन तो होटल जाते थे
वह खाना मिर्च मसालों का ,चटकारे ले ले  खाते  थे
भरते होटल का मोटा बिल ,चाहे अजीर्ण ही हो जाता  
लॉक डाउन में सब बंद हुए ,अब छूटा होटल से नाता
पर जब खाये रोज गरम ,फुल्के पत्नी के हाथ  बने
और दाल हींग तड़के वाली ,सब्जी चटनी भी साथ बने
फिर प्यार भरा वो मनुहार ,सच खाने में रस आया है
है  पेट ठीक ,खाने में भी ,अब हमने  हाथ बटाया है
कैसे बनते खिचड़ी ,पुलाव ,और कैसे दलिया,सिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ये सच है संग संग रहने से ,आपस में प्यार पनपता है
कुछ तू तू मैं मैं भी होती ,पर रिश्ता गहरा बनता  है ,
झाड़ू  पोंछा ,डस्टिंग ,बर्तन ,हर घर की है आवश्यकता
किसने सोचा बिन महरी कामवालियों के घर चल सकता
लेकिन जब मुश्किल आती है ,एक जुट हो जाते घरवाले
आपस में काम बाँट कर के ,चुटकी में निपटाते  सारे
यह दौर कठिन था शुरु शुरु तकलीफ पड़ी सबको सहना
लेकिन अब हमने सीख लिया ,किस तरह आत्मनिर्भर रहना
मेहरी की किचकिच  बंद हुई ,आइना उसको दिखा दिया
कोरोना तुम्हारी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ना बेमतलब का खर्चा करना ,ना व्यर्थ घूमना  मालों में
सबसे कम खर्च हुआ इन दिन ,पिछले कितने ही सालों में
हम सीख गए झाड़ू पोंछा ,बरतन सफाई ,कपडे धोना
थोड़े ही दिन में चमक गया ,है अब घर का कोना कोना
अब शुद्ध हवा में सांस ,आसमां नीला ,दिखते है  तारे
है मिलना जुलना बंद ,फोन पर हालचाल मिलते सारे
दारू गुटखा  तम्बाखु की,आदत से भी मुक्ति पायी
कोरोना से भी बचे रहे ,जीवन में नियमितता  आयी
कर्तव्यपरायण पतियों में ,है नाम हमारा लिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

मेहमान नवाजी बंद हुई ,उन पर खर्चों की बचत हुई
गाड़ी ,स्कूटर बंद पड़े , ना पेट्रोल की खपत हुई
ना गरम समोसे मिलते है और गरम जलेबी भी अलभ्य
अब हाथ धो रहे बार बार ,रहते स्वस्थ और अधिक सभ्य
चुप रहते मुख पर मास्क  बाँध ,छुट्टी अब सारे लफड़ो की
दफ्तर ना  जाते ,जरूरत ना ,अब प्रेस किये सब कपड़ो की
दिन यूं ही गुजारा करते है ,हम कुर्ते और पाजामे में
या बरमूडा ,टी शर्ट, निकर,खर्चा न प्रेस करवाने में
मितव्ययी हो गए हम इतने ,खर्चा आधा कर दिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

कोरोना ने क्या सिखा दिया

कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया
चालीस दिन तक,डर के मारे,घर के अंदर ही टिका दिया

पहले हफ्ते में कम से कम ,एक दिन तो होटल जाते थे
वह खाना मिर्च मसालों का ,चटकारे ले ले  खाते  थे
भरते होटल का मोटा बिल ,चाहे अजीर्ण ही हो जाता  
लॉक डाउन में सब बंद हुए ,अब छूटा होटल से नाता
पर जब खाये रोज गरम ,फुल्के पत्नी के हाथ  बने
और दाल हींग तड़के वाली ,सब्जी चटनी भी साथ बने
फिर प्यार भरा वो मनुहार ,सच खाने में रस आया है
है  पेट ठीक ,खाने में भी ,अब हमने  हाथ बटाया है
कैसे बनते खिचड़ी ,पुलाव ,और कैसे दलिया,सिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ये सच है संग संग रहने से ,आपस में प्यार पनपता है
कुछ तू तू मैं मैं भी होती ,पर रिश्ता गहरा बनता  है ,
झाड़ू  पोंछा ,डस्टिंग ,बर्तन ,हर घर की है आवश्यकता
किसने सोचा बिन महरी कामवालियों के घर चल सकता
लेकिन जब मुश्किल आती है ,एक जुट हो जाते घरवाले
आपस में काम बाँट कर के ,चुटकी में निपटाते  सारे
यह दौर कठिन था शुरु शुरु तकलीफ पड़ी सबको सहना
लेकिन अब हमने सीख लिया ,किस तरह आत्मनिर्भर रहना
मेहरी की किचकिच  बंद हुई ,आइना उसको दिखा दिया
कोरोना तुम्हारी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ना बेमतलब का खर्चा करना ,ना व्यर्थ घूमना  मालों में
सबसे कम खर्च हुआ इन दिन ,पिछले कितने ही सालों में
हम सीख गए झाड़ू पोंछा ,बरतन सफाई ,कपडे धोना
थोड़े ही दिन में चमक गया ,है अब घर का कोना कोना
अब शुद्ध हवा में सांस ,आसमां नीला ,दिखते है  तारे
है मिलना जुलना बंद ,फोन पर हालचाल मिलते सारे
दारू गुटखा  तम्बाखु की,आदत से भी मुक्ति पायी
कोरोना से भी बचे रहे ,जीवन में नियमितता  आयी
कर्तव्यपरायण पतियों में ,है नाम हमारा लिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

   
 

 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-