एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

  कोरोना - दो  सवैये
  १
दुनिया में त्राहि त्राहि  मचाई है ,चीन ने 'चीट 'कियो कुछ ऐसो
फेल रह्यो  दिन  दिन  दूनो  यह ,चीन ने कीट दियो कुछ ऐसो  
दे रहयो त्रास, न आने दे पास ,यह वाइरस ढीठ दियो कुछ ऐसो
दुनिया की अर्थव्यवस्था बिगाड़ी ,चीन ने पीट दियो कुछ ऐसो


ठीक से सांस भी न आवत जावत ,मुंह पे  बंध्यो एक मास्क जड्यो है
न आवत  महरी ,है आफत दुहरी ,काम सभी खुद करनो  पड्यो है
निकल  सको नहीं बाहर घर से , लेकर के डंडा ,दरोगा   खड्यो  है
दिन भर घर में ही सोनो पड्यो है ,ऐसो कोरोना को रोनो पड्यो  है

मदन मोहन बहती 'घोटू '

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

कोरोना ने क्या सिखा दिया

कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया
चालीस दिन तक,डर के मारे,घर के अंदर ही टिका दिया

पहले हफ्ते में कम से कम ,एक दिन तो होटल जाते थे
वह खाना मिर्च मसालों का ,चटकारे ले ले  खाते  थे
भरते होटल का मोटा बिल ,चाहे अजीर्ण ही हो जाता  
लॉक डाउन में सब बंद हुए ,अब छूटा होटल से नाता
पर जब खाये रोज गरम ,फुल्के पत्नी के हाथ  बने
और दाल हींग तड़के वाली ,सब्जी चटनी भी साथ बने
फिर प्यार भरा वो मनुहार ,सच खाने में रस आया है
है  पेट ठीक ,खाने में भी ,अब हमने  हाथ बटाया है
कैसे बनते खिचड़ी ,पुलाव ,और कैसे दलिया,सिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ये सच है संग संग रहने से ,आपस में प्यार पनपता है
कुछ तू तू मैं मैं भी होती ,पर रिश्ता गहरा बनता  है ,
झाड़ू  पोंछा ,डस्टिंग ,बर्तन ,हर घर की है आवश्यकता
किसने सोचा बिन महरी कामवालियों के घर चल सकता
लेकिन जब मुश्किल आती है ,एक जुट हो जाते घरवाले
आपस में काम बाँट कर के ,चुटकी में निपटाते  सारे
यह दौर कठिन था शुरु शुरु तकलीफ पड़ी सबको सहना
लेकिन अब हमने सीख लिया ,किस तरह आत्मनिर्भर रहना
मेहरी की किचकिच  बंद हुई ,आइना उसको दिखा दिया
कोरोना तुम्हारी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ना बेमतलब का खर्चा करना ,ना व्यर्थ घूमना  मालों में
सबसे कम खर्च हुआ इन दिन ,पिछले कितने ही सालों में
हम सीख गए झाड़ू पोंछा ,बरतन सफाई ,कपडे धोना
थोड़े ही दिन में चमक गया ,है अब घर का कोना कोना
अब शुद्ध हवा में सांस ,आसमां नीला ,दिखते है  तारे
है मिलना जुलना बंद ,फोन पर हालचाल मिलते सारे
दारू गुटखा  तम्बाखु की,आदत से भी मुक्ति पायी
कोरोना से भी बचे रहे ,जीवन में नियमितता  आयी
कर्तव्यपरायण पतियों में ,है नाम हमारा लिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

मेहमान नवाजी बंद हुई ,उन पर खर्चों की बचत हुई
गाड़ी ,स्कूटर बंद पड़े , ना पेट्रोल की खपत हुई
ना गरम समोसे मिलते है और गरम जलेबी भी अलभ्य
अब हाथ धो रहे बार बार ,रहते स्वस्थ और अधिक सभ्य
चुप रहते मुख पर मास्क  बाँध ,छुट्टी अब सारे लफड़ो की
दफ्तर ना  जाते ,जरूरत ना ,अब प्रेस किये सब कपड़ो की
दिन यूं ही गुजारा करते है ,हम कुर्ते और पाजामे में
या बरमूडा ,टी शर्ट, निकर,खर्चा न प्रेस करवाने में
मितव्ययी हो गए हम इतने ,खर्चा आधा कर दिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

कोरोना ने क्या सिखा दिया

कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया
चालीस दिन तक,डर के मारे,घर के अंदर ही टिका दिया

पहले हफ्ते में कम से कम ,एक दिन तो होटल जाते थे
वह खाना मिर्च मसालों का ,चटकारे ले ले  खाते  थे
भरते होटल का मोटा बिल ,चाहे अजीर्ण ही हो जाता  
लॉक डाउन में सब बंद हुए ,अब छूटा होटल से नाता
पर जब खाये रोज गरम ,फुल्के पत्नी के हाथ  बने
और दाल हींग तड़के वाली ,सब्जी चटनी भी साथ बने
फिर प्यार भरा वो मनुहार ,सच खाने में रस आया है
है  पेट ठीक ,खाने में भी ,अब हमने  हाथ बटाया है
कैसे बनते खिचड़ी ,पुलाव ,और कैसे दलिया,सिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ये सच है संग संग रहने से ,आपस में प्यार पनपता है
कुछ तू तू मैं मैं भी होती ,पर रिश्ता गहरा बनता  है ,
झाड़ू  पोंछा ,डस्टिंग ,बर्तन ,हर घर की है आवश्यकता
किसने सोचा बिन महरी कामवालियों के घर चल सकता
लेकिन जब मुश्किल आती है ,एक जुट हो जाते घरवाले
आपस में काम बाँट कर के ,चुटकी में निपटाते  सारे
यह दौर कठिन था शुरु शुरु तकलीफ पड़ी सबको सहना
लेकिन अब हमने सीख लिया ,किस तरह आत्मनिर्भर रहना
मेहरी की किचकिच  बंद हुई ,आइना उसको दिखा दिया
कोरोना तुम्हारी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

ना बेमतलब का खर्चा करना ,ना व्यर्थ घूमना  मालों में
सबसे कम खर्च हुआ इन दिन ,पिछले कितने ही सालों में
हम सीख गए झाड़ू पोंछा ,बरतन सफाई ,कपडे धोना
थोड़े ही दिन में चमक गया ,है अब घर का कोना कोना
अब शुद्ध हवा में सांस ,आसमां नीला ,दिखते है  तारे
है मिलना जुलना बंद ,फोन पर हालचाल मिलते सारे
दारू गुटखा  तम्बाखु की,आदत से भी मुक्ति पायी
कोरोना से भी बचे रहे ,जीवन में नियमितता  आयी
कर्तव्यपरायण पतियों में ,है नाम हमारा लिखा दिया
कोरोना तेरी दहशत ने ,हमको है क्या क्या सिखा दिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

   
 

 

खुफिया तंत्र फेल ? अफवाह तंत्र भारी?

alt='CORRUPTION'
लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के अनंदविहार बस अड्डे पर और मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर जमा हुई हजारों की भीड़... और अब पालघर में तीन साधुओं की हत्या... इन सबके पीछे एक ही चीज कॉमन है और वो है... देश में ताकतवर होता 'अफवाह तंत्र' और इसका प्रमुख हथियार है... ह्वाट्सप - फेसबुक - ट्विटर - यूट्यूब और टिकटॉक पर धड़ल्ले से बन रही फेक आईडी, पेज और ग्रुप्स...

सरकार यदि वाकई सीरियस है तो इसे रोकने के लिये कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे... केवल टीवी चैनलों द्वारा 'वायरल खबर सच या झूठ' से काम नहीं चलेगा... अभी नहीं चेते तो वो समय दूर नहीं जब देश में अराजकता फैलाना देश के दुश्मनों के लिये बांये हाथ का खेल हो जायेगा। डिस्ट्रक्टिव माइंड यानी कि आपराधिक और स्वार्थी लोगों के लिये ये एक तरह से व्यवसाय और लक्ष्य प्राप्ति का जरिया बनता जा रहा है। मेरे हिसाब से इसे दो कारगर तरीके हो सकते हैं...

१) सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये आईडी प्रूफ अनिवार्य हो। सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी सार्वजनिक होनी अनिवार्य हो, जैसे कि वे किस देश, राज्य से हैं, किस पेशे से हैं। मेल हैं या फीमेल हैं आदि। इसके लिये इन सभी साइट के मालिकों पर दबाव बनाना पड़ेगा... क्योंकि वे शराफत से इसे मानेंगे नहीं।

- इससे सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाना या अपराध करना लगभग असंभव हो जायेगा।

२) देश में खुफिया तंत्र का विस्तार किया जाये। इसके लिये अलग-अलग स्तर पर भारी मात्रा में अधिकारी और कर्मी नियुक्त किये जायें जो सीबीआई जैसी एजेंसियों के अंतर्गत कार्य करें। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिये अलग, विभिन्न सोशल मीडिया साइटस की जांच के लिये अलग लोग नियुक्त किये जायँ। और इनके वेतन का प्रबंध अपराधियों द्वारा भारी-भरकम वसूली और सरकारी राजस्व द्वारा किया जाये।
--------------------------------------------------------------------------------
- इससे अपराध और अराजकता में जबर्दस्त गिरावट आयेगी।

- इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

- देश के दुश्मनों के हौसले पस्त होंगे।

- सरकार का सिर दर्द कम होगा।
--------------------------------------------------------------------------------
- विशाल चर्चित

#Intelligence  #Corruption  #Rumor  #Social Media  #Fake_News
#खुफिया  #भ्रष्टाचार  #अफवाह  #अराजकता  #सोशल_मीडिया  #झूठी_खबर 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-