है रंग भरा पूरा जीवन
होली के त्योंहार पर ,रंगों की बहार होती है
पर अगर गौर से देखा जाए तो,
हमारी सारी जिंदगी ही रंगों से गुलजार होती है
बचपन में करते हुये पीले पोतड़े
जब हम होते है बड़े
तो माँ हमें लगा दिया करती है काला टीका ,
जिससे हम पर किसी की बुरी नज़र न पड़े
फिर स्कूल में पढ़ने के दरमियाँ
करते है पेन और पेन्सिल से ,काली नीली कापियां
और फिर जब कॉलेज जाते है
तो वहां का वातवरण काफी रंगीन पाते है
साथ पढ़नेवाली हर लड़की लगती है परी
देख कर तबियत हो जाती है हरी
काली काली लहराती जुल्फें और गुलाबी गाल
और उस पर आग बरसाते होठ लाल लाल
देखने में हर लड़की रंगीली होती है
और ज़रा सा छेड़ दो तो लाल पीली होती है
उनके हुस्न का रंग कुछ ऐसा चढ़ता है
कि उनके संग रंगरलिया मनाने को दिल करता है
और एक दिन ऐसी हुस्नपरी भी मिल जाती है
जो हमारे नाम की मेंहदी लगाती है
उसके हल्दी चढ़े पीले हाथ हमारे हाथ में आते है
हम उसकी मांग को सिन्दूरी रंग से सजाते है
कुछ दिनों तक तो हमारी तबियत रहती है हरी
पर जब पत्नी जी की गोद हो जाती है हरी
छूट जाती है सब मौज
जब पड़ता है गृहस्थी का बोझ
समय के संग ,अनंग के सब रंग उड़ जाते है
लाल पीले खुशबू वाले फूलों के रंग ,
रसोई की लालमिर्च ,पीली हल्दी,
और हरे धनिये में बदल जाते है
और हम माया के चक्कर में उलझ जाते है
कभी कभी कालाबाज़ारी कर,
काली कमाई भी करनी पड़ती है
और जैसे जैसे उमर बढ़ती है
प्यार का रंग पीला पड़ने लगता है ,
जवानी हरी झंडी दिखने लगती है
काले काले घनेरे केश
होने लगते है सफ़ेद
अंग अंग सूखे हुए गुलाब की,
पंखड़ियों की तरह झुर्राने लगता है
काली मतवाली आँखों में धुंधलका छाने लगता है
और तेज चमकता सूर्य ,
सुनहरी होता हुआ अस्ताचल गामी हो जाता है
देखा आपने ,रंगों से हमारे जीवन का कैसा नाता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '