फोकटिये
हम तो फोकटिये है यार,हमको माल मुफ्त का भाता
धूप सूर्य की ,मुफ्त कुनकुनी ,खाते है सर्दी में
और बरगद की शीतल छैयां ,पाते है गर्मी में
बारिश में रिमझिम का शावर है हमको नहलाता
हम तो फोकटिये है यार ,हमको माल मुफ्त का भाता
जब वृक्षों पर कुदरत देती ,मीठे फल रस वाले
पत्थर फेंक तोड़ते उनको ,खाते खूब मज़ा ले
माल मुफ्त का देख हमारे मुंह में पानी आता
हम तो फोकटिये है यार ,हमको माल मुफ्त का भाता
हम उस मंदिर में जाते ,परशाद जहाँ पर मिलता
मुफ्त सेम्पल चखने वाला ,स्वाद जहाँ पर मिलता
भंडारे और लंगर छखना ,हमको बहुत सुहाता
हम तो फोकटिये है यार हमको माल मुफ्त का भाता
श्राद्धपक्ष में पंडित बन कर ,मिले दक्षिणा ,खाना
शादी में बाराती बन कर, मुफ्त में मौज उड़ाना
उस रैली में जाते ,फ्री में जहाँ खाना मिल जाता
हम तो फोकटिये है यार ,हमको माल मुफ्त का भाता
घोटू