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शनिवार, 9 जून 2018

हम भी अगर बच्चे होते 

कहावत है 
बच्चे और बूढ़े ,होते है एक रंग 
जिद पर आजाते है ,
तो करते है बहुत तंग 
दोनों के मुंह में दांत नहीं होते 
स्वावलम्बी बनने के हालत नहीं होते 
किसी का सहारा लेकर चलते है 
बात बात पर मचलते है 
और जाने क्या सोच कर ,
कभी मुस्कराते है,कभी हँसते है 
वैसे ये भी आपने देखा होगा ,
कि सूर्योदय और सूर्यास्त  की छवि ,
एक जैसी दिखती है 
पर सूर्योदय के बाद जिंदगी खिलती है 
और सूर्यास्त के बाद जिंदगी ढलती है 
दोनों सा एक जैसा बतलाना हमारी गलती है 
'फ्रेश अराइवल ' के माल को ,
'एन्ड ऑफ़ सीजन 'के सेल वाले माल से ,
कम्पेयर करना कितना गलत है 
आपका क्या मत है ?
छोटे बच्चों को ,सुंदर महिलाएं 
रुक रुक कर प्यार करती  है 
कभी गालों को सहला कर दुलार करती है 
कभी सीने से चिपका लेती है 
कभी गोदी में बैठा लेती है 
कभी अपने नाजुक होठों से ,
चुंबन की झड़ी लगा देती है 
क्या आपने कभी ऐसा,
 किसी बूढ़े के साथ होते हुए देखा है 
नहीं ना ,भाई साहब ,
ये तो किस्मत का लेखा है 
बूढ़े तो ऐसे मौके के लिए ,
तरस तरस जाते है 
अधूरी हसरत लिए ,
दिल को तड़फाते है 
कोई भी  कोमलंगिनी 
उनके झुर्राये गालों को नहीं सहलाती 
चुंबन से या सीने से चिपका ,
मन नहीं बहलाती 
न कभी कोई बाहों में लेती है 
उल्टा 'बाबा' कह कर के दिल जला देती है 
बेचारे बूढ़े ,आँखों में प्यास लिए ,
मन ही मन है रोते
यही सोच कर की , 
हम भी अगर बच्चे होते 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

रविवार, 6 मई 2018

I sell a house

Hello, I sell a house in Santander Spain for an amount of € 1400000 (you must pass it to your currency to see the exact amount). If you are interested in buying it, please send me a message and I will explain more details. I send you the plans of the house in PDF format.
Thanks for your time


बुधवार, 2 मई 2018

साकार सपन 

कभी कुछ करने का मन में ,सपन हमने संजोया था 
प्यार से एक पौधे को  , जतन  से  हमने बोया था 
संवारा हमने तुमने मिल ,बड़ी मेहनत से सींचा है 
खुदा की मेहरबानी से ,गया बन अब ,बगीचा है 
बहारें आई अब इसमें ,फूल कितने महकते है 
दरख्तों पर ,रसीले से ,हजारों फल लटकते है 
यही कोशिश है हरदम ,कि आये कोई भी मौसम 
फले,फूले और हरियाली ,सदा इसकी रहे कायम 

मदन मोहन बाहेती;घोटू;
मेरी राधायें 

मेरे जीवन की कितनी ही राधायें 
रह रह कर के याद मुझे वो अक्सर आये 
मेरी पहली राधा मेरी पड़ोसिन थी 
जो नाजुक सी प्यारी,सुन्दर,कमसिन थी 
उसकी सभी अदाये होती दिलकश थी 
हाँ,वो ही मेरा सबसे पहला 'क्रश 'थी 
जिसे देख कर मुझको कुछ कुछ होता था 
मैं उसकी उल्फत के सपन संजोता था 
वो भी तिरछी नज़र डाल ,मुस्काती थी
 मेरे दिल पर छुरियां कई चलाती थी 
कभी पहल  मैं करता,नज़र झुकाती वो 
कभी पहल वो करती ,पर शर्माती वो 
चहल पहल होती थी लेकिन दूरी से 
मिलन हमारा हो न सका ,मजबूरी से 
उसकी चाहत में थे मेरे सपन रंगीले 
पर कुछ दिन में हाथ हो गए उसके पीले 
उस दिन पहली बार दिल मेरा टूटा था 
चखा प्यार का स्वाद ,किसी ने लूटा था
ये मन  मुश्किल  से समझा था ,समझाये 
मेरे जीवन की कितनी ही राधाये 
जो रह रह कर याद मुझे अक्सर आये 
दूजी राधा , सिस्टर जी  की सहेली थी 
उसे समझना मुश्किल ,कठिन पहेली थी
 यूं तो मुझको देख प्यार से मुस्काती 
पास जाओ तो बड़ा भाव थी वो खाती 
चंचल बड़ी ,चपल थी और सुहानी थी 
मैंने था तय किया कि वो पट जानी थी 
वेलेंटाइन डे पर उसे गुलाब दिया 
मंहगी मंहगी गिफ्टों से था लाद दिया 
इम्पोर्टेड चॉकलेट उसे थी  खिलवाई 
पर  वो लड़की ,मेरे काबू  ना आयी 
इसके पहले कि मैं आगे बढ़ पाता 
उसकी ऊँगली पकड़ ,कलाई पकड़ पाता 
मेरी प्यारी , सुंदर सी वो वेलेंटाइन 
हुई किसी लाला के घर की थी  लालाइन
और बह गए आंसूं में थे मेरे अरमां 
सुनते चार पांच बच्चों की है अब वो माँ  
सोचूं उसके बारे में ,तो मन तड़फाये 
मेरे जीवन की कितनी ही राधायें 
रह रह कर वो याद मुझे अक्सर आये 
कितनी राधायें ,यूं आयी जीवन में 
मीठी खट्टी यादें घोल गयी मन में 
था कोई का करना मस्ती मौज इरादा 
करने टाइम पास बनी थी कोई राधा 
कई बार हम खुद को समझे सैंया थे 
उन राधाओं के कितने ही कन्हैया थे 
लेकिन जो भी मिली वो सभी  राधाये 
जिनने पार करी  जीवन की बाधाएं 
कोई बन चुकी अब कोई की रुक्मण है 
कोई रम गयी,पूरी आज गृहस्थन है 
कोई  दुखी है अब तक अपने कंवारेपन में  
कोई रह रही  'लिविंग इन के  रिलेशन' में 
हमने अब राधा का चक्कर छोड़ दिया है 
फेरे ले ,रुक्मण संग ,मन को जोड़ लिया है 
अब समझे ,राधायें तो है आती,जाती 
पर रुक्मण ही जीवन भर का साथ निभाती 
बहुत सुख मिला ,उसको अपने हृदय बसाये 
फिर भी जीवन में आयी कितनी राधाये 
रह रह कर जो ,याद मुझे है अक्सर आये 

मदन मोहन बाहेती'घोटू '
हम ओ सी के वासी 

ये ही हमारा वृन्दावन है ,ये ही मथुरा ,काशी 
शांति,प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी 

वानप्रस्थ की उमर ,जवानी का जज्बा है सब में 
मन में सेवा भाव भरा है  और  आस्था रब  में 
राधाकृष्ण यहीं मंदिर में ,दुर्गा माँ और हनुमन 
भक्तिभाव में और कीर्तन में ,रमता है सबका मन 
शर्बत,छाछ छबीले लगते ,और होते  भंडारे 
जन्म दिवस की ख़ुशी मनाते है मिलजुल कर सारे 
खुल कर हँसते लाफिंगक्लब में,मन में नहीं उदासी 
शांति प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी
 
सुबह सुबह व्यायाम केंद्र में ,नित होती है कसरत 
काम सभी के सब आते है,जब भी पड़ती जरूरत 
क्रीड़ास्थल पर बच्चे  खेलें , और  गूंजे  किलकारी  
फव्वारों के पास मारती ,गप्पें ,महिला  सारी 
कोई सैर सवेरे करता ,कोई 'जिम' में जाता 
हमें यहाँ   दिखता हर चेहरा ,हँसता और मुस्काता 
खुशियां बरसे सदा,अमावस हो या पूरनमासी 
 शन्ति प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी 

मदन मोहन बाहेती ' घोटू '

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