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शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

लड़कियां 

लड़कियां,लड़कियां,लड़कियां लड़कियां 
ऐसा लगता है फैशन की हो पुतलियां 
रूप है मदभरा ,सबमे जादू भरा 
स्वर्ग की ये तो लगती कोई अप्सरा 
और दिखाने को अपने बदन की झलक ,
अपने वस्त्रों  में रखती ,खुली खिड़कियां 
लड़कियां लड़कियां लड़कियां लड़कियां 
नाज़ नखरे दिखा कर लुभाती हमें 
अपने जलवे दिखाकर ,रिझाती हमें 
आगे पीछे अगर इनके हम डोलते ,
प्यार मांगे,तो देती ,हमें  झिड़कियां 
लड़कियां लड़कियां लड़कियां लड़कियां 
सज संवर रूप अपना सुहाना बना 
ये नचाती है हमको ,दीवाना बना 
हम जरा छेड़ भी दें तो चप्पल पड़े,
माफ़ होती है इनकी सभी गलतियां 
लड़कियां लड़कियां लड़कियां लड़कियां 

घोटू 
दो सवैये 
१ 
लुगाई 

बेटी पराई ,मुस्काई ,मनभायी ऐसी 
नैनों के द्वारे आई ,दिल में समाई है 
रूप छलकाई ,शरमाई ,मन लुभाई अरु,
नखरे दिखाई आग तन में लगाईं है 
प्यार दरशाई ले कमाई की पाई पाई ,
पति को पटाई ऐसो जादू सीख आई है 
नज़रें झुकाई ,करे नाहीं जामे छुपी हाँइ ,
सबसे सवाई होत , घर में लुगाई है 
२ 
बेचारा आदमी 

एक बिचारो प्यारो,मुश्किल को मारो ,हारो,
हार वरमाला को ,गले जबसे  डारो है 
बाहर जो शेर ,हुयो ढेर ,फेर बीबी के ,
पालतू बंदरिया सो ,नाचे पा इशारो है 
लॉलीपॉप लालच को मारो वो बिचारो ऐसो ,
दौड़ दौड़ काम करे ,घरभर को सारो है 
मूछन को ताव गयो ,मारयो बेभाव गयो ,
ऐसो सात फेरन ने ,फेरा में डारो  है  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017

नारी ,तुझमे ऐसा क्या है 

नारी तुझमे ऐसा क्या है 
जिसकी दीवानी दुनिया है 

क्या वह तेरी कोमलता है ,
या फिर तेरा कमनीय बदन 
या फिर तेरी सुंदरता है ,
या मांसल और गदराया तन 
या फिर ये नयन कटीले  है,
या चाल हिरणियों  वाली है 
रेखाएं वक्र,बदन की है ,
या फिर होठों को लाली है 
या अमृत कलश सजे तन पर ,
या मीठी बोली कोयल सी 
या लहराते कुन्तल तेरे ,
मन में करते कुछ हलचल सी 
पर शायद ये सब नहीं सिरफ ,
ये तो बस एक दिखावा है 
तेरी माँ बनने की क्षमता 
ने  देवी तुझे बनाया है 
ईश्वर ने कोख तुझे दी है ,
तुझमे प्रजनन की शक्ति है 
नवजीवन का इस दुनिया में ,
संचार तू ही कर सकती है 
तू माँ है,तुझमे ममता है ,
लालन ,पालन और पोषण है 
कोमल तन से ज्यादा कोमल ,
होता हर नारी का मन है 
तू अन्नपूर्णा है देवी ,
गृहणी,घर की संचालक है 
तू लक्ष्मी तू ही सरस्वती ,
तू दुर्गा ,शक्तिदायक है 
संगम है रूप गुणों का तू,
तू गंगा है तू यमुना है 
तू जीवनदात्री  देवी है ,
जिससे चलती ये दुनिया है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
परेशानियां -पति पत्नी की 

हर पत्नी से पति परेशान 
हर पति से पत्नी परेशान 
फिर भी एकदूजे पर आश्रित ,
एक दूजे बिन ना चले काम 
पत्नी कहती ये ऐसे है 
मत पूछो ये कि कैसे है 
घर में ही सदा घुसे रहते,
कुवे के मेंढ़क जैसे  है 
रत्ती भर काम नहीं करते ,
बस ऑर्डर देते रहते है 
मैं एक जान,सौ करू काम,
ये मुझे छेड़ते रहते है 
मैं इनसे कहूँ चलो पिक्चर ,
ये सो जाते है खूँटी तान 
हर पति से पत्नी परेशान 
हर पत्नी से पति परेशान 
पति कहता है पत्नी ऐसी 
कर दी मेरी ऐसी तैसी 
खुद को ऐश्वर्या समझे है 
और फूल रही टुनटुन जैसी 
है खीर बहुत ये टेढ़ी सी,
दिखने में सीधी  दिखती है 
तितली जैसी उड़ती फिरती ,
घर पर मुश्किल से टिकती है 
है चीज बहुत ये बातूनी,
कैंची जैसी चलती जुबान 
हर पत्नी से पति परेशान 
हर पति से पत्नी परेशान 
पति होते लापरवाह बड़े ,
अपना कुछ ख्याल नहीं रखते 
पैसे  कपड़े, खाने पीने की 
साजसँभाल नहीं रखते 
अपनी हर गलती का जिम्मा ,
सौंपा करते है पत्नी पर 
पति कुछ बोले एक कान सुने ,
और दूजे से कर दे बाहर 
चीजे रख जाते भूल स्वयं,
घरभर को करते परेशान 
हर पति से पत्नी परेशान 
हर पत्नी से पति परेशान 
पत्नी खुद पर खर्चा करती ,
 बाकी सब पर कंजूसी है 
शक्की मिजाज इतनी होती ,
पति पर करती जासूसी है 
पति सेवक सास ससुर का है,
करता जो पत्नी की मरजी 
पत्नी को अपने सास ससुर ,
से हरदम रहती एलर्जी 
पत्नी को देवर ,ननद चुभे,
पति सालीजी पर मेहरबान 
हर पति से पत्नी परेशान 
हर पत्नी से पति परेशान 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कमियां 

शादी के बाद 
बेटी और दामाद 
पहुंचे पहली बार ,ससुराल 
बाप ने पूछा बेटी खुश है ना,
कैसा है तेरा हाल 
बेटी ने शरमा कर कहा ,
पापा,मैं बहुत खुश हूँ '
आपके दामाद ,
मेरा बड़ा ख्याल रखते है 
बड़े 'रिस्पॉन्सीबल 'है 
मेरी पूरी साज संभाल रखते है 
बस एक ही शिकायत है ,
ये मुझे छेड़ते रहते है 
और हमेशा मुझमे कमियां ढूंढते रहते है 
पिताजी बोले बेटा ,
ये तो बड़ी प्रसन्नता की बात है 
अपने दिए हुए संस्कारों पर हमें नाज़ है 
वरना मोबाईल में डूबी हुई ,
आज की जनरेशन 
बस इनसे करवा लो फैशन 
पर गृहस्थी चलाने में होती है अनाड़ी 
इतनी कमिया होती है कि ,
मुश्किल से खिसकती है गृहस्थी की गाडी 
शादी के बाद हर पति,
 अपनी पत्नी में ,अपनी माँ की तरह,
 कुशल गृहणी देखना चाहता है 
और जब उसकी उम्मीद के विपरीत ,
निकलती उसकी ब्याहता है 
उसमे इतनी कमियां होती है अक्सर 
जो स्पष्ट आती है नज़र 
तो बात बात में टोका टाकी से ,
उनका अहम टकराने लगता है 
चार दिनों की चांदनी के बाद,
अँधियारा छाने लगता है 
मुझे ख़ुशी है कि तेरी माँ ने ,
तुझे ट्रेंड कर दिया है इतना 
कि तुझमे इतनी कम कमियां है कि ,
दामादजी को पड़ती है ढूंढना 
पत्नी अगर कुशल गृहणी हो तो,
 तो बड़े मजे की गुजरती है  
 और जिंदगी की गाडी ,
बड़े आनंद से आगे बढ़ती है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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