पूजन और रिटर्न गिफ्ट
क्या आपने कभी गौर किया है ,
कि हमारी सोच है कितनी संकुचित
भगवान को करते है बस पत्र पुष्प अर्पित
गणेशजी को दूर्वा
शंकरजी को बेलपत्र और अकउवा
और अन्य देवताओं को पान
फिर पानी के चंद छींटों से कराते है स्नान
और फिर ' वस्त्रम समर्पयामि 'कह कर ,
कलावे के धागे का एक टुकड़ा तोड़ कर ,
उन्हें चढ़ा देते है
और फिर 'पुंगी फल समर्पयामि 'कह कर ,
एक छोटी सी सुपारी ,
जो खाने योग्य नहीं होती ,
उनकी ओर बढ़ा देते है
ये वही पूजा की सुपारी होती है ,
जो हर बार,हर पूजा में ,
फिर फिर चढ़ाई जाती है
क्योकि भगवान इसे खा नहीं सकते ,
और पंडतांइन भी इसे नहीं खाती है
एक जटाधारी सूखा नारियल ,
जो किसी के काम नहीं आता है
हर पूजा में भगवन को चढ़ाया जाता है
'गजानन भूत गणादि सेवकं ,
कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षणम '
मंत्र वाले गणेशजी को ,
उनका प्रिय कपित्थ या जम्बूफल ,
कभी नहीं चढ़ाया जाता है
बल्कि उन्हें मोदक चढ़ाते है ,
जो उनका' ब्लड शुगर 'बढ़ाता है
उन्हें एक किलो का डिब्बा दिखाते है
एकाध लड्डू चढ़ा कर ,
बाकि सब घर ले आते है
सच ,हम है कितने सूरमा
खुद तो खाते है बाटी और चूरमा
और प्रभु को खिलाते घासफूस है
देखलो,हम कितने कंजूस है
इस तरह की सस्ती चीजों को ,
प्रतीक बना कर चढाने के बाद
हम प्रभु से करते है फ़रियाद
'हमें अच्छी बुद्धि दो
रिद्धि और सिद्धि दो '
ये जानते हुए भी कि ,
रिद्धि सिद्धि उनकी वाईफ है
एक पति से उसकी पत्नियां माँगना ,
कितना नाजाईश है
ये आप,हम सब अच्छी तरह जानते है
फिर भी रिटर्न गिफ्ट में ,
रिद्धि सिद्धि ही मांगते है
और फिर पांच या दस दिन के बाद ,
जब थक जाते है रोज रोज कर अर्चन
कर देते है उनका जल में विसर्जन
जैसे विदेशों में बसे बच्चे ,
अपने बूढ़े माता पिता को,
वर्ष में एक बार ,
आठ दस दिन के लिए बुलाते है ,
करते है सत्कार
और फिर उन्हें बिदा कर देते है ,
बाँध कर उनका बिस्तर बोरिया
यह कह कर कि 'बाप्पा मोरिया
अगले बरस तू फिर से आ'
मदन मोहन बाहेती'घोटू'