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शनिवार, 4 मार्च 2017

        पत्नी पटाओ
                 १                                
वो ऊपरवाला ही ,जोड़ियां बनाता है ,
साथ कई जन्मो का ,शादी का बन्धन है
सब अपनी बीबी से प्यार किया करते है,
कभी कभी आवश्यक,प्यार का प्रदर्शन है
सैरसपाटे पर तुम ,पत्नी को ले जाओ,
हरेक साल हनीमून,बढ़ता अपनापन है
पत्नी संग सेल्फी ले ,फेसबुक पर पोस्ट करो,
व्हाट्सएप में डालो,आजकल ये फैशन है
                   २
कभी दिखाओ पिक्चर ,कभी डिनर होटल में ,
प्यार चौगुना करता ,भेंट दिया गहना है
घर में तो कोई भी ,नाम से पुकारो तुम ,
पब्लिक में पर 'डियर' ,'डार्लिंग 'ही कहना है
पत्नी की 'हाँ 'में 'हाँ', पत्नी की 'ना' में 'ना ',
पत्नी के रुख के ही संग तुमको  बहना है
पत्नी को देवी की तरह पूजना होगा ,
पतिपरमेश्वर बन के ,उसका जो रहना है

घोटू
                 


     बिचारे लोग

सोचते थे आप आयें है तो कुछ दे जाएंगे,
इकट्ठे इस वास्ते ही हुए सारे लोग थे
सूनी सूनी आँखों में ,सपने सजाये ढेर से,
प्रतीक्षा में खड़े हाथों को पसारे लोग थे
जिंदगी भर आश्वासन ,खातेऔर पीते रहे ,
अच्छे दिन की आस में वो बेसहारे लोग थे
रोटियां सबने सियासी अपनी अपनी सेक ली,
 भुखमरी के अब भी मारे ,वो बिचारे लोग थे
राजनीती का घिनौना ,खेल खेला कोई ने ,
भगदड़ी में मुफ्त में ही गए मारे लोग थे
फेंके थे पत्थर जिन्होंने और जिन्हें पत्थर लगे ,
कुछ तुम्हारे लोग थे और कुछ हमारे लोग थे

घोटू

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

पचहत्तरवें जन्मदिन पर

सही हंस हंस, उम्र की हर पीर मैंने 
नहीं खोया ,मुसीबत में , धीर मैंने
भले  ही हालात अच्छे थे या  बदतर
इस तरह मैं पहुंच पाया हूँ  पिचहत्तर
सदा हंस कर गले सबको ही लगाया
जो भी था कर्तव्य,अपना सब निभाया
खुले हाथों ,खुले दिल से प्यार बांटा
मुस्करा कर हर तरह का वक़्त काटा
धूप में भी तपा और सर्दी में ठिठुरा
बारिशों में भीग कर मैं और निखरा
तभी खुशियां मुझे हो पायी मय्त्सर
इस तरह मै पहुँच पाया हूँ  पिचहत्तर
प्रगति पथ पर ठोकरें थी,छाँव भी थी
मुश्किलें और मुसीबत हर ठाँव भी थी
गिरा,संभला ,फिर चला या डगमगाया
दोस्तों  ने   होंसला  भी  था  बढाया
मिले निंदक भी कई तो कुछ प्रशंसक
करी कोशिश डिगाने की मुझे भरसक
राह  मेरी ,रोक वो पाए नहीं ,पर
इस तरह मैं पहुँच पाया हूँ पिचहत्तर 
साथ मेरे धीर भी था,धर्म भी था
माँ पिता का किया सब सत्कर्म भी था
दुश्मनो ने भले मेरी  राह रोकी
भाई बहनो और सगो ने पीठ ठोकी
निभाने को साथ जीवनसंगिनी थी 
दोस्तों की दुआओं की ना कमी थी
साथ सबने ही निभाया आगे बढ़कर
इसलिए मै पहुँच पाया हूँ पिचहत्तर
अभी तक कम ना  हुई है महक मेरी
वो ही दम है ,खनखनाती चहक मेरी
किया हरदम कर्म में विश्वास मैंने 
सफलता की नहीं छोड़ी आस मैंने
लीन रह कर ,प्रभु  की आराधना में
जुटा ही मैं रहा जीवन साधना में
प्रगतिपथ पर ,अग्रसर था,उत्तरोत्तर
इसलिए मैं पहुँच पाया हूँ पिचहत्तर
तपा हूँ,तब निखर कर कुन्दन बना हूँ
महकता हूँ,सूख कर चन्दन बना हूँ
जाने अनजाने बुरा कुछ यदि किया हो
भूल से  यदि हो गयी कुछ गलतियां हो
निवेदन करबद्ध है ,सब क्षमा करना
प्रेम और शुभकामनाएं ,बना रखना
प्यार सबका ,रहे मिलता  ,जिंदगी भर
इसलिए  मैं पहुँच पाया हूँ पिचहत्तर
तीन चौथाई उमर तो कट गयी  है
रास्ते की मुश्किलें सब हट गयी है
भले ही तन में नहीं वो जोश बाकी
मगर अब भी चल रहा हूँ, होंश बाकी
वक़्त के संग भले जो मैं जाऊं थक भी
कामना है करूंगा ,पूरा शतक भी
पार  करना है  मुझे यह भवसमन्दर
इसलिए मैं पहुँच पाया हूँ पिचहत्तर

मदनमोहन बाहेती'घोटू'
      तक़दीर वाली बीबी


हर किसी को नहीं होता ,इस तरह का सुख मयस्सर
मिला ऐसा पति तुमको ,ये तुम्हारा  है  मुकद्दर
तुम्हारा आदेश माने ,तुम्हारे आधीन हो जो
उँगलियों पर नाचने की कला में परवीन हो जो
तुम्हारी भृकुटी तने तो काँप जाए जो बिचारा
रात दिन सच्ची लगन से ,ख्याल रखता हो तुम्हारा
गृहस्थी के धर्म सारे ,ठीक से जो निभाता हो
होटलों में खिलाता हो ,खूब शॉपिंग कराता हो 
गाय सा सीधा सरल हो,फुर्तीला हो रंगीला
तुम्हारी फरमाइशों पर , करे झट से जेब ढीला
तुम्हारी हर भंगिमा को ठीक से पहचानता हो
समझता देवी तुम्हे हो,दास खुद को मानता हो
इस तरह का समर्पित पति ,अगर पाया आज तुमने
किया होगा मोतियों का दान कुछ पिछले जनम में
वरना सुनते आजकल तो ,कर दिए है बन्द  खुदा ने
इस तरह के आज्ञाकारी ,समर्पित पति  बनाने

घोटू
बुरी गत देखली

केश उजले ,झुर्राया तन ,ऐसी हालत देखली
पिलपिलाये चेहरे की,पीली रंगत   देखली
नरम है और पक गया पर स्वाद मीठा आम है,
चखोगे तो ये लगेगा ,तुमने  जन्नत देखली
कभी इस पर भी बहारों का नशा था,नूर था,
वक़्त ने जब सितम ढाया ,ये मुसीबत देखली
महकते थे गुलाबों से ,बन गए गुलकन्द अब ,
स्वाद ना,तुमने तो बस,बदली सी सूरत देखली
आपकी रुसवाई ने इस दिलके टुकड़े कर दिए,
हमने जीते जी हमारी ,ये बुरी गत देखली

घोटू

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