हम भूल गये
हो गए आधुनिक हम इतने,संस्कृती पुरानी भूल गए
मिनरल वाटर के चक्कर में,गंगा का पानी भूल गए
पिज़ा बर्गर पर दिल आया ,ठुकराया पुवे ,पकोड़ी को,
यूं पोपकोर्न से प्यार हुआ ,कि हम गुड़धानी भूल गए
एकल बच्चे के फैशन में, हम भूल गए रक्षाबन्धन ,
वो भाई बहन का मधुर प्यार ,और छेड़ाखानी भूल गए
वो रिश्ते चाचा ,भुआ के, हर एक को आज नसीब नहीं,
परिवारनियोजन के मारे , मौसी और मामी भूल गए
मोबाइल में उलझे रहते,मिलते है तो बस 'हाय 'हेल्लो',
रिश्ते नाते ,भाईचारा ,वो प्रीत निभानी भूल गए
हुंटा ,अद्धा, ढईया ,पोना ,ये सभी पहाड़े ,पहाड़ हुए,
केल्क्युलेटर के चक्कर में ,वो गणित पुरानी भूल गए
जीवन की क्रिया बदल गयी,बदलाव हुआ दिनचर्या में,
रातों जगते,दिन में सोते वो सुबह सुहानी भूल गए
कोड़ी कोड़ी जोड़ी माया ,ना कभी किसी के साथ गयी ,
बस चार दिनों की होती है, जीवन की कहानी भूल गए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'