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गुरुवार, 21 अगस्त 2014

कान्हा -बुढ़ापे में

         कान्हा -बुढ़ापे में

कान्हा बूढ़े,राधा बूढी ,कैसी गुजर रही है उन पर
बीते बचपन के गोकुल में,दिन याद आते है रहरह कर 
माखनचोर,आजकल बिलकुल ,नहीं चुरा,खा पाते मख्खन
क्लोस्ट्राल बढ़ा,चिकनाई पर है लगा हुआ प्रतिबंधन
धर ,सर मटकी,नहीं गोपियाँ,दूध बेचने जाती है अब
कैसे मटकी फोड़ें,ग्वाले,बेचे दूध,टिनों में भर  सब 
उनकी सांस फूल जाती है ,नहीं बांसुरी बजती ढंग से
सर्दी कहीं नहीं लग जाए ,नहीं भीगते ,होली  रंग से
यूं ही दब कर ,रह जाते है,सारे अरमां ,उनके मन के
चीर हरण क्या करें,गोपियां ,नहा रही 'टू पीस 'पहन के
करना रास ,रास ना आता ,अब वो जल्दी थक जाते है
'अंकल'जब कहती है गोपी,तो वे बहुत भड़क जाते है
फिर भी बूढ़े ,प्रेमीद्वय को,काटे कभी प्रेम का कीड़ा
यमुना मैली, स्विंमिंगपूल में ,करने जाते है जलक्रीड़ा

मदनमोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

पति पत्नी बुढ़ापे में-दो अनुभूतियाँ

         पति पत्नी बुढ़ापे में-दो अनुभूतियाँ
                             १
हुई शादी ,मैं रहता था ,पत्नी  के प्यार में डूबा ,
       चली जाती कभी मैके ,बड़ा मैं  छटपटाता था
इशारों पर मैं उनके नाचा करता था सुखी होकर,
        कभी नाराज होती तो,मन्नतें कर मनाता था
फँसी फिर वो गृहस्थी में,और मैं काम धंधे में,
        बुढ़ापे तक दीवानापन ,सभी है फुर्र हो   जाता
बहानेबाजी करते रहते  है हम एक दूजे से,
       कभी  बी पी मेरा बढ़ता ,उन्हें सर दर्द हो जाता
                          २
जवानी में  बहुत  कोसा ,और डाटा उसे मैंने,
               बुढ़ापे में मेरी बीबी ,बहुत  है  डांटती  यारों
रौब मेरा, सहन उसने कर लिया था जवानी में,
               आजकल रौब दूना ,रोज मुझ पर गांठती यारों
जवानी में बहुत उसको ,चिढाया ,चाटा था मैंने ,
                आजकल जम के वो दिमाग मेरा ,चाटती यारों
बराबर कर रही हिसाब वो सारा पुराना है ,
                 मैंने काटी थी उसकी बातें अब वो काटती  यारों

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 
               
       


        

कोयला

                     कोयला
सलाह दी कोई ने ये  कोयले से प्यार मत करना ,
             हुआ पैदा जो जल जल कर ,कहाँ ठंडक दिलाएगा
छुओगे जो गरम को तो,जला फिर  हाथ वो देगा ,
            अगर छुओगे ठन्डे को ,तुम्हे कालिख लगायेगा
हम बोले, चीज कैसी हो ,मगर तुम पे ये निर्भर है ,
            फायदा उसके गुण का ,किस तरह तुम उठा सकते
प्रेस धोबी गरम करता ,छानता कोई पानी है,
           जला कर सिगड़ी रोटी भी ,करारी सेक  खा  सकते

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
 

हम भी कैसे है?

           हम भी कैसे है?

प्रार्थना करते ईश्वर से ,घिरे बादल ,गिरे पानी,
          मगर बरसात  होती है तो छतरी तान लेते है
बहुत हम चाहते  है कि चले झोंके हवाओं के ,
           हवा पर चलती जब ठंडी ,बंद कर द्वार लेते है
हमारी होती है इच्छा ,सुहानी धूप खिल जाये ,
            मगर जब धूप खिलती है,छाँव में  भाग जाते है
 देख कर के हसीना को,आरजू करते पाने की,
           जो मिल जाती वो बीबी बन,गृहस्थी में जुटाते है
हमेशा हमने देखा है,अजब फितरत है इन्सां की  ,
           न होता पास जो उसके  ,उसी की चाह करता  है
मगर किस्मत से वो सब कुछ ,उसे हासिल जो हो जाता ,
          नहीं उसकी जरा भी  फिर,कभी परवाह करता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

सोमवार, 18 अगस्त 2014

ब्लड रिपोर्ट

           ब्लड रिपोर्ट
                  १
           आइरन टेस्ट
हरदिन बढ़ती हुई कीमते  ,भ्रष्टाचार  और  मंहगाई
जीवन मे आगे बढ़ने पर,पग पग पर मिलती कठिनाई
नयी नयी फ़रमाईश होती ,बीबी  बच्चों  की हरदम है
सबसे लोहा लेता हरदिन ,फिर भी  ब्लड में ,लोहा कम है
                             २
                 शुगर  टेस्ट
सबसे मीठी मीठी बातें ,करता रहता हूँ मैं दिन भर
मीठी चीजें ना खाऊं मैं ,लगी हुई ,पाबंदी  मुझ पर
लोगों में मिठास बांटूं परचीनी कोई न खाने देता 
चीनी तो क्या,बनी चीन की ,चीजें भी मैं ना हूँ लेता
ना रसगुल्ले ,नहीं जलेबी ,तरसा करता हूँ  अक्सर 
फिर भी डॉक्टर ,कहते खूं में,मेरे बढ़ी हुई है शक्कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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