मैं हूँ भारत की आजादी
उमर हो गयी है सड़सठ की ,अब भी किन्तु,अधूरी,आधी
मैं हूँ भारत की आजादी
आयी थी मैं स्वप्न सजा कर,सुन्दर ,खुशहाली जीवन के
हो बरबाद ,रह गयी हूँ मैं , केवल एक तमाशा बन के
समझौतों की राजनीति ने, जिससे सत्ता में टिक पाओ
ऐसी बंदर बांट मचाई, हम भी खाएं,तुम भी खाओ
सबने मुझको ,लूटा जी भर,किसे बताऊँ ,मैं अपराधी
मैं हूँ भारत की आजादी
अब भी मुझको ,छेड़ा करते ,हैं शैतान ,पड़ोसी लड़के
कई बार पीटा है उनको ,और छकाया आगे बढ़ के
लेकिन उनकी ,बुरी नज़र है ,लगी हुई है,अब भी मुझ पर
कई रहनुमा ,आये बदले,कोई नहीं ,पाया कुछ भी कर
सबने अपने , मतलब साधे ,और हुई मेरी बरबादी
मैं हूँ भारत की आजादी
अवमूल्यन हो रहा दिनोदिन,लोग मुफ्त का चन्दन घिसते
और जनता के लोग बिचारे,मंहगाई के मारे पिसते
चुरा चुरा कर ,मेरे गहने,स्विस बैंकों में जमा कर दिये
मेरे ही संरक्षक बन कर,मेरे तन पर घाव भर दिये
क्षत विक्षत कर,अर्थव्यवस्था सबने खूब कमाई चांदी
मैं हूँ भारत की आजादी
बहुत दिनों के बाद भाग्य ने,मेरे अब एक करवट ली है
जनता ने अबके चुनाव में ,मेरी कुछ किस्मत बदली है
बहुत दिनों से छाये थे जो बादल छट जाने वाले है
मेरे मन में आस लगी है ,अच्छे दिन आने वाले है
देखें लालकिले से अबके ,मोदी करते ,कौन मुनादी
मैं हूँ भारत की आजादी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'